भविष्य सुधारने गए सरकारी स्कूलों के बच्चो से मास्टर साहब करवा रहे मजदूरी

फारूख हुसैन

लखीमपुर खीरी= एक ओर सरकार शिक्षा के स्तर को लगातार बढ़ाने का प्रयास कर रही है और शिक्षा के एक नारा भी बहुत जोर शोर से बुंलद हो रहा है कि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया। पर इस स्लोगन का मतलब शायद हमारे शिक्षा कर्मी पूरी तरह से भूल चुके हैं और वह अब हमारे मासूम बच्चों से विद्यालय में शिक्षा नहीं बल्कि मजदूरी करवाने में जुटे हुए हैं। यह सब देखकर लगने लगा है कि अब भारत सरकार के स्लोगन पर शिक्षाकर्मी खुलेआम पलीता लगाते नज़र आ रहें हैं।

आज हम आपको एक ऐसे विद्यालय की बारे में बताएंगे जहा पढ़ाई के नाम पर छोटे-छोटे मासूम बच्चों से मज़दूरी कराई जाती है। यह जो तस्वीरें हम आप देख रहें हैं जो आपको अंदर तक झकझोर कर रख देगीं।

कहते हैं कि बाल श्रम केवल आपको शहरों की दुकानों पर या फिर रास्तों में फैक्ट्री में दिखाई देगें। मगर शायद आपको पता न हो कुछ शिक्षक और प्रधानाध्यापक ऐसे भी है जो खुद के स्कूल के बच्चो से मजदूरी के काम करवा लेते है।

यह तस्वीरें यूपी के जनपद लखीमपुर खीरी के फुलबेहड ग्राम के पुर्व माध्यमिक विद्यालय की हैं जहां सरकारी स्कूल के छात्रों के हाथों में जिस उम्र में कॉपी पेन होना चाहिए, उन हाथों में मजदूरो की तरह से बोझे उठाने पड़ रहे है। वजह और मज़बूरी भी तो है कि अगर नहीं किया काम तो मास्टर साहब की कुटाई कौन सहेगा।

छात्रों को स्कूल में पढ़ाने की बजाय सरकार से मोटी रकम पाने वाले अध्यापक अब छात्रों से मजदुरी का काम करा रहे हैं, छात्रो से सामान लदवाने से लेकर लकडी को गाडी से उतरवा  रहे हैं, इतना ही नहीं मासूम छात्र अध्यापकों के डर से रोड मे बालु और ईट बिछाने का भी कार्य कर रहे हैं।

बच्चो के भविष्य से खिलवाड़ करने वाली इस घटना के मद्देनज़र जब हमने इस बारे में शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से बात करने की तो अधिकारी कैमरे के सामने बोलने पर कन्नी काट गए। अब समझ में ये नहीं आ रहा है कि कैमरे से कन्नी काट रहे ये अधिकारी क्या खुद को आईनों के सामने खड़ा करके वाजिब जवाब दे सकते है।

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