मिन्हाज-उल-क़ुरआन संस्था ने ज़रुरतमन्दों को बाँटी खाद्ध सामाग्री

तारिक खान

प्रयागराज. कोरोना वॉयरस के कारण घरों में क़ैद लोगों को राशन के खत्म होने पर शासन प्रशासन स्तर पर जहाँ पके हुए खाने के पैकेट ज़रुरतमन्दों तक पहुँचाए जा रहे हैं वहीं तमाम सामाजिक संगठनों की ओर से भी  खाना आँटा दाल चावल बिस्किट बाँटने में इस वक़्त तमाम संस्थाएँ बढ़ चढ़ कर भाग ले कर गंगा जमुनी तहज़ीब की मिसाल को सार्थक बनाने का प्रयास कर रही हैं।

सामाजिक व धार्मिक संस्था मिन्हाज उल क़ुरआन तहरीक के डॉक्टर ताहिर उल क़ादरी के सरपरस्त में ये संस्था हर शहर में चल रही हैं डॉ राहील बरेली सरीफ,सुऐब आलम लखनव,मो फ़रीद प्रयागराज भी इसमे सहयोगी बने हैं। और प्रयागराज के सै०से आदिवक्ता हाईकोर्ट मो दाऊद ने बताया की ज़रुरतमन्दों को राहत पैकेट बाँटने वाली संस्थाओं के प्रति आभार जताते हुए बताया की कोरोना वॉयरस और लॉक डाऊन के कारण राशन पानी की समस्या से जूझ रहे। ग़रीब,बेसहारा,रिक्शा चालक,झोपड़ी में रहने वालों,भीख मांग कर गुज़र बसर करने वालों,ठेला और खुमचा लगा कर जिविकोपार्जन करने वालों को प्रत्येक मोहल्लों में पहुँच कर खाने बाटे ओर आँटा, दाल,चावल, बिस्किट आदि खाद्ध सामाग्री का वित्रण किया।

मिनहाज उल क़ुरआन के मो फ़रीद,आदिवक्ता मो दाऊद,ने अपनी गाड़ी में तमाम तरहा की राहत सामाग्री भर कर एक एक मोहल्लों में जा रहे हैं और सभी ज़रुरतमन्दों की हर सम्भव मदद करने में  में राहत पैकेट बाँट रहे हैं।संस्था द्वारा चक,चौक,बहादुरगंज, मानसरोवर,अटाला, करेली, बाज़ार,अकबरपुर आदि मोहल्लों मे ग़रीब परिवार को राहत पैकेट का वित्रण किया गया। मो दाऊद ने बताया की इस वक़्त जहाँ लोग अपने अपने घरों में क़ैद वाली ज़िन्दगी काट रहे हैं ।वही रोज़गार ठप होने से तमाम ऐसे लोग हैं जो प्रतिदिन छोटा मोटा काम कर अपने परिवार का पेट भरने को रोटी का जुगाड़ करते थे वह सभी इस वक़्त तमाम तरीक़े की परेशानी से घिरे हैं।

ऐसे लोगों की मदद करना ही सब से बड़ा पुन्य है।इस वक़्त सब से बड़ी समस्या ग़रीबों और असहाय परिवार के लिए दो जून की रोटी का है ।शासन प्रशासन मुस्तैदी से डटा है वही स्वयंमसेवी संस्थाएँ भी लगातार सहयोग कर रही हैं।अभी भी कुछ ऐसे लोग भी हैं जो समाज के मध्यम परिवार से ताल्लूक़ रखते हैं और संकोच और इज़्ज़त को बचाए रखने के लिए किसी के आगे हाँथ नहीं फैला सकते लेकिन व उनहे भी राशन पानी की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है।ऐसे लोगों तक खामोशी से राहत पहुँचाने की ज़रुरत है।

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