दुधवा टाइगर रिजर्व के बाद पीटीआर के साथ डब्लूआईआई ने की जलीय जीव जंतु पर वेबीनार

फारुख हुसैन

पलिया कलां खीरी÷ भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में “जैव विविधता संरक्षण और गंगा और उसकी सहायक नदियों की जलीय प्रजातियों की निगरानी” पर तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यशाला आरम्भ की गयी,जो कि 16 जून से 18 जून तक चलेगी ।इस कार्यशाला में पीटीआर की जैव विविधता पर भी विस्तृत चर्चा हुई और थलचर वन्यजीवों के अतिरिक्त जलचर व नभचर जीवों एवं उनके प्राकृत वास संरक्षण के महत्व पर भी बल दिया गया। कोरोना जैसी वैश्विक महामारी संकट के दौरान भारत भर में वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी भी हमारे वन्यजीवों और जंगलों की रक्षा करते हुए प्रकृति संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

कार्यक्रम का आयोजन एनएमसीजी(नमामि  गंगे) संयोजक व डब्ल्यूआईआई के वैज्ञानिक और प्रशिक्षण समन्वयक डॉ संगीता अंगोम द्वारा किया गया था।  कार्यशाला के पहले दिन डा० रुचि वडोला, वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय वन्य जीव संस्थान ने विभ्भिन मुद्दों पर प्रकाश डाला। साथ ही नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत डब्ल्यूआईआई द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बात की, और गंगा के संरक्षण के लिए स्थानीय लोगों, वन अधिकारियों, और वैज्ञानिकों की एकजुट भागीदारी का आह्वान किया।  डा० नीलान्द्री दास गुप्ता ने जलिय,पारिस्थितिक अखंडता और जैव विविधता के जुड़ाव पर चर्चा की। मिस सुचिस्मिता दास ने गंगा बेसिन में जलीय पक्षी प्रजातियों के संरक्षण महत्व पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में  पीटीआर से फील्ड डायरेक्टर डॉ एच राजा मोहन, डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल, सामाजिक वन डीएफओ संजीव कुमार, एसडीओ प्रवीण खरे, डॉक्टर दक्ष गंगवार, डा० दया, अशोक कश्यप,सचिन,सहित 36 अन्य  वनाधिकारी  व कर्मचारी वैटनरी ड़ा०,NGO,प्रोफेसर विभिन्न युनिर्वसिटी से उपस्थित रहे।

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