‘फिल्मी गीतों में लोकधुनों का प्रभाव’ पर राष्ट्रीय बेबीनार का कराया जा रहा आयोजन

करिश्मा अग्रवाल

व्यञ्जना आर्ट एण्ड कल्चर सोसायटी, प्रयागराज की ओर से आयोजित पाँच दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार ‘ फिल्मी गीतों में लोकधुनों का प्रभाव’ के सष्ठम सत्र बिहार में विशिष्ट वक्ता प्रो. निशा झा जी ने कहा – लोक संगीत का क्षेत्र बहुत व्यापक है। जीवन का जितना विस्तार है, लोक संगीत का भी उतना ही विस्तार है जीवन का प्रत्येक क्षण लोक संगीत में समाहित है। विशिष्ट वक्ता डॉ. लावण्य कीर्ती ने बिहार के सोहर,चैती, विदेसिया,कजरी,होली के गीत,राखी के गीत,भजन,आरती गा कर हमें सुनाए और साथ ही इन धुनों का फिल्मों में कैसे प्रयोग हुआ है यह भी गा कर बताया।

विशिष्ट वक्ता एवं लोक गायिका सुश्री चंदन तिवारी ने फिल्मों में प्रयोग हुए कुछ बहुत ही सुन्दर भोजपुरी गीत अपनी मधुर आवाज़ में हमें गा कर सुनाए। सप्तम सत्र में विशिष्ट वक्ता एवं आकाशवाणी पुणे के सह निदेशक श्री सुनील देवधर ने बीज वक्तव्य प्रदान किया और विशिष्ट वक्ता एवं गायिका डाॅ अचला दीक्षित जी ने गीतों के पक्ष को अधिक रुचिकर और महत्वपूर्ण बनाने का काम किया।

पंडित देवानंद पाठक की अध्यक्षता में सष्ठम सत्र का मॉडरेशन सुरेन्द्र कुमार ने किया तथा सप्तम सत्र का माॅडरेशन डॉ. मनीष मिश्र ने किया और परिचय शांभवी शुक्ला ने पढ़ा, सभी का स्वागत संस्था की सचिव डॉ मधु रानी शुक्ला ने किया। कल दिनांक 10-07-2020, सायं 4 – 6 बजे अष्टम सत्र भोजपुरी में चर्चा प्रो. चन्द्रकला त्रिपाठी,डाॅ. शलेष गौतम,डॉ. ज्योति सिन्हा,डॉ. धनंजय चोपड़ा जी करेंगे एवं समापन सत्र में राजस्थानी लोकधुनों पर श्री सुरेश मुद्गल, श्री के. सी. मालू,श्री जुगल किशोर,श्री अमित ओझा जी चर्चा करेंगे।

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