किराना-परचून व तंबाकू के चक्कर में अपने मुख्य मार्ग से भटकी एसएसबी, ऐड़ा बनकर पेड़ा खाने में लगे मादक पदार्थ तस्कर

फारुख हुसैन

पलियाकलां-खीरी। एसएसबी की तैनाती इंडो नेपाल बॉर्डर पर 2004 में भारत सरकार द्वारा की गई थी। जिसका मुख्य उद्देश्य भारत-नेपाल सीमा पर हो रही मादक पदार्थों की तस्करी, मानव तस्करी, गैर कानूनी असलहे व देश विरोधी गतिविधियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना था। परंतु जैसे जैसे समय गुजरता गया वैसे वैसे एसएसबी भी अपने उदे्श्य से भटकती गयी या यूं कहें शातिर तस्करों द्वारा अधिकारियों के साथ बैठ-बैठकर उद्ेश्य से भटका दिया गया। जिससे आज आलम यह है कि एसएसबी खीरी की 39 बटालियन भारत मे ही तम्बाकू, सिगरेट, पान मसाला, किराना परचून व खाद आदि पकड़कर कस्टम के हवाले करके अपने आप मे ही सीना चैड़ा कर रही है।

सूत्रों के अनुसार बॉर्डर पर मादक पदार्थों की तस्करी अब भी जारी है। यहां बता दें कि एसएसबी रिकॉर्ड के अनुसार 6 जनवरी .2020 को एसएसबी की 39 बटालियन की बीओपी सूंडा ने वन विभाग के साथ मिलकर 741/6 पिलर से 150 मीटर भारत मे वन्य जीवों के कुछ अंग बरामद किए व 15 फरवरी 2020 को मिर्चिया-सुमेरनगर बीओपी ने 765 से 8 किमी. भारत मे 6.161 किग्रा. चरस बरामद की थी और इस दिनांक के बाद एसएसबी मादक पदार्थ तो जैसे भूल ही गयी है। जिसके लिए उसको बॉर्डर पर भारत सरकार द्वारा तैनात किया गया है। इस समय तो केवल सुपर पावर तम्बाकू ,बीड़ी सिगरेट पान मसाला ही पकड़ना एसएसबी के लिए जैसे प्राथमिकता बन गयी है। जिसके लिए एसएसबी 39 बटालियन के उच्चाधिकारियों के आदेश पर सिविल एरिया में नाके लगाना शुरू कर दिए हैं, जिस अंतराष्ट्रीय रोड़ पर कस्टम विभाग का ऑफिस है। उसी अंतर्राष्ट्रीय मुख्य मार्ग पर कस्टम आफिस से लगभग 6 किमी. पहले एक एसएसबी चैकी खोल दी गयी है। जोकि आने जाने वाले वाहनों के गाड़ी के कागज व सामान के जीएसटी बिल चेक करती व धन उगाही करती है।

अगर यही काम एसएसबी को करना है तो सेल्स टैक्स व आरटीओ विभाग को खत्म कर देना चाहिए। क्यों सरकार फालतू की नियुक्तियां कर मोटी तन्खाह देती है। कुल मिलाकर लखीमपुर जिले की 120 किमी.सीमा नेपाल देश से लगती है और इस सीमा की सुरक्षा का दायित्व सशस्त्र सीमा बल की तीन बटालियन संभालती हैं। जिसमें 49, 39, और तीसरी वाहिनी है। 49 बटालियन और तीसरी वाहिनी तो अपने कार्यों को बखूबी निभातीं हैं व जो उनके अधिकार में है वही कार्य करती हैं किंतु 39 वीं बटालियन अपने अधिकारों से अधिक भी कार्य करती है। जैसे गाड़ियों का कागज चेक करना, भारतीय क्षेत्र में जीएसटी बिल चेक करना, सिविल एरिया में बिना मुखबरी के कहीं भी नाका लगाना, कहीं भी रोड़ के किनारे बिना नक्शे के चैकी बना देना। जिससे कि अक्सर 39 बटालियन की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह व तस्करी होने में कहीं न कहीं संलिप्तता नजर आती है।

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