पंचायत का तुगलकी फरमान – तलाक दिलवा कर पति से ही धुलवाया पत्नी के मांग का सिंदूर

मो0 सलीम

वाराणसी। पंचायत हर मोहल्ले और शहर अथवा गाव में होती है। पञ्च को परमेश्वर की उपाधि केवल इस कारण दिया जाता है क्योकि पञ्च दो लड़ते हुवे लोगो की आपस में समझा बुझा कर गलत को गलत समझा कर सुलह करवाने जैसा पुण्य काम करते है। मगर यही पंचायत जब तुगलकी फरमान जारी करने लगती है तो सुनकर अचम्भा भी होता है। ऐसा ही कुछ अजीबो गरीब मामला सोनभद्र जिले के रायपुर थाना क्षेत्र के गोटीबांध गांव में गुरुवार को पंचायत के दौरान सामने आया जब पति-पत्नी के बीच अजीबोगरीब तरीके से तलाक हो गया। इस दौरान महिला की मांग का सिंदूर धुलवा कर तलाकनामा भी लिखा गया।

घटना के सम्बन्ध में मिली जानकारी के अनुसार गोटीबांध गांव निवासी मीना की लगभग ढाई दशक पहले यानी लगभग 25 साल पहले पन्नू गंज थानाक्षेत्र के धर्मदासपुर निवासी संतोष गिरि से शादी हुई थी। इनको दो बेटियां बेटी नेहा (17), खुशबू (13) और बेटा अमित (5) है। इधर, कुछ दिनों से पति-पत्नी के संबंधों में कड़वाहट आ गई थी। इस कारण मीना मायके में ही रह रही थी। इसी दौरान मीना ने पति से अलग होने का निश्चय कर लिया।

मीना ने गुरुवार को गोटीबांध स्थित शिव मंदिर परिसर में पंचायत बुलाई। वहीं उसने पति को भी बच्चों के साथ बुलाया। यहां प्रधान और अन्य लोगों की पंचायत में पति-पत्नी ने अलग रहने का फैसला कर लिया। इसके बाद पंचायत ने अजीबोगरीब तरीके से तलाक करवाया और विवाहिता की मांग से सिंदूर धुल दिया गया। ये सिंदूर भी कोई और नहीं उसके पति ने खुद अपने हाथो से धो डाला। इसके बाद नेहा और अमित पिता के साथ और बेटी खुशबू मां के साथ रहने को राजी हुई। इसके बाद स्टांप पर तलाकनामा लिखकर दंपती और उनकी तीनों संतानों के दस्तखत कराए गए। मीना ने अपनी मां के साथ मायके रहने का फैसला किया है, क्योंकि उसके पिता की मृत्यु हो चुकी है। सरईगढ़ चौकी प्रभारी प्रमोद यादव से बात किया गया तो उन्होंने बताया कि यह मामला उनकी संज्ञान में आ गया है। जांच की जा रही है।

इस अजीबोगरीब तरीके से हुवे तलाक को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। लोग मामले में तरह तरह की चर्चा कर रहे है। साथ ही लोग इस तरीके का मज़ाक भी उड़ाते दिखाई दे रहे है। मामले में पुलिस जाँच की बात कह रही है। बड़ा सवाल उठता है कि 25 साल पहले का रिश्ता पंचायत ने कुछ ही मिनट में खत्म करने का फैसला दे डाला। क्या दोनों पक्षों को बैठा कर समझा बुझा कर घर वापस आबाद करने का प्रयास इस पंचायत के द्वारा नही किया जा सकता था।

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