वाराणसी – “एक नागरिक” वाले गुमनाम कथित शिकायती पत्रों से सभ्य नागरिक और पुलिस दोनों है परेशान, दालमंडी के कई सम्भ्रांत लोगो के खिलाफ भी आया ऐसा कथित पत्र

तारिक आज़मी

वाराणसी। शहर के चौक थाना क्षेत्र के पुलिस कर्मी आज कल एक ही पैटर्न के झूठे शिकायती पत्र से परेशान है। शिकायत करता पत्र में अपना न नाम लिखता है और न ही खुद का पता अथवा फोन नंबर। पत्र में शिकायतकर्ता के नाम की जगह “एक नागरिक” लिखा होता है। पत्र एक ही प्रकार की शिकायत से भरा रहता है। पुलिस जब पत्र की जाँच करती है तो मामला झूठा ही निकलता है। इस क्रम में पुलिस जब सभ्य नागरिको के पास इस शिकायत की जाँच के लिए जाती है तो वह सभ्य नागरिक भी परेशान हो जाता है।

प्रतीकात्मक तस्वीर साभार गूगल

मामला कुछ इस प्रकार है कि बड़ी सख्या में दालमंडी और आसपास के क्षेत्र के सम्भ्रांत नागरिको के खिलाफ कोई कथित शिकायतकर्ता अपनी पहचान गोपनीय रखते हुवे खुद का नाम “एक नागरिक” लिख कर शिकायत करता है। लगभग हर एक शिकायत का तरीका और लिखावट तथा फांट एक जैसे ही है। दो तीन ऐसे शिकायती पत्रों को एक साथ रखकर देखा जाए तो अहसास हो जायेगा कि किसी एक व्यक्ति के द्वारा ही ऐसा झूठा पत्र लिख कर चौक पुलिस को जहा परेशान किया जा रहा है, वही क्षेत्र के सम्भ्रांत नागरिको पर भी बड़े आरोप लगाए जा रहे है।

स्थानीय थाना क्षेत्र के एक बड़े सपा नेता के खिलाफ तो एक दर्जन से अधिक ऐसे पत्र अब तक आ चुके है। इस पत्र में लिखा है कि अमुक सपा नेता बाहुबली माफिया मुख़्तार अंसारी का आदमी है। ज़मीन कब्ज़ा करना, रंगदारी उतारना जैसे इसके काम है। इस प्रकार की शिकायत देख कर सपा नेता के पहली बार तो पसीना ही छुट गया था। पुलिस इस शिकायत अथवा कहे कि कथित शिकायत पर जाँच ही कर रही थी कि ऐसे पत्र के आने का सिलसिला शुरू हो गया। हद तो तब खत्म है जब दालमंडी और आसपास के इलाको में रहने वाले सम्भ्रांत बिल्डर्स और समाज सेवको तक को मुख़्तार अंसारी का गुर्गा, अवैध वसूली करने वाला, संपत्ति पर कब्ज़ा करने वाला जैसे आरोप लगा कर ये गुमनाम कथित शिकायत पत्र आने शुरू हो गए है।

क्या हो रहा इसका क्षेत्र में साइड इफेक्ट

इस प्रकार के शिकायती पत्रों की जाँच में जब पुलिस मौके पर जाकर जाँच कर रही है तो जिसके सम्बन्ध में कथित शिकायत रह रही वह तो परेशान हो रहा है, मगर जाँच पूरी होने अथवा उसके पहले ही वह अपने प्रतिस्पर्धियो पर शक की नज़र से देखने लग रहा है। इस शक की बुनियाद भले ही कुछ न हो मगर प्रतिस्पर्धा में ये एक दुसरे के खिलाफ नफ़रत का काम कर रहा है। हर वो इंसान जिसके खिलाफ ऐसी कथित शिकायत आ रही है, वह इस “एक नागरिक” को अपना कंपटीटर समझ रहा है। वही जब उस कंपटीटर के खिलाफ ऐसी कथित शिकायत आ रही है तो वह दुसरे को इसका ज़िम्मेदार समझ रहा है।

सिर्फ पुलिस हो रही है परेशान

इस प्रकार के शिकायती पत्रों की जाँच में केवल पुलिस को भागदौड़ करना पड़ रहा है। मगर जब जाँच हो रही है तो “खोदा पहाड़, निकली चुहिया” की कहावत चरितार्थ हो रही है। वही आपसी प्रतिद्वंदिता कही रंजिश की शक्ल न ले ले इसकी चिंता क्षेत्र के अन्य संभ्रांतो को रहती है। पुलिस की दिन भर ऐसे कथित शिकायती पत्रों की जांच में अच्छा ख़ासा वक्त गुज़र रहा है। जिस समय का उपयोग इस त्यौहार के सीज़न में पुलिस अन्य कार्यो में कर सकती है वह समय इस कथित शिकायत पर रिपोर्ट लगाने में कर रही है।

क्या कहते है क्षेत्रीय नागरिक

इस प्रकार के कथित शिकायतों की बढ़ रही संख्या पर क्षेत्र में नागरिको जो “एक नागरिक” की कथित शिकायतों से परेशान है में रोष बढ़ता जा रहा है। इस मामले में हमसे बात करते हुवे क्षेत्रीय पार्षद मोहम्मद सलीम ने कहा कि “बेशक पुलिस शिकायतों की जाँच करे, जो दोषी है अथवा गलत है उसको किये की सजा बिलकुल मिलनी चाहिए। मगर साथ में हमारा पुलिस के उच्चाधिकारियों से अनुरोध है कि एक जांच इस “एक नागरिक” नाम के शिकायतकर्ता की भी करे, जो खुद की पहचान नही बता रहा है और शिकायते कर रहा है। कही ऐसा तो नही कि पुलिस को  भटकाने के लिए एक षड़यंत्र रचा जा रहा है। अथवा ऐसे फर्जी शिकायतों के आधार पर सीधे साधे संभ्रांत लोगो को परेशान केवल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है।”

इस क्रम में हमारी बातचीत क्षेत्र के एक समाज सेवक से हुई। उन्होंने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर हस्ते हुवे कहा कि “मेरे खिलाफ खुद एक ऐसी शिकायत आई है। मैंने आज तक कभी मुख़्तार अंसारी को तस्वीरो के अलावा कही नही देखा, अपना काम और समाज के लिए जो मुझसे हो सकता है करने के अलावा कभी कुछ किया नहीं। मगर मेरे खिलाफ भी ऐसी शिकायत कोई कर रहा है तो क्या कहा जा सकता है। पुलिस को एक बार शिकायतकर्ता का भी पता लगाना चाहिए।”

क्या “एक नागरिक” केवल ऐसे ही आरोप लगा रहा है

बहरहाल, क्षेत्र में इस “एक नागरिक” की कथित शिकायतों से लोग परेशान हो रहे है। आरोप निराधार बार बार सामने आ रहे है। एक ही व्यक्ति विशेष के खिलाफ एक ही शिकायत कई बार होना एक अलग सी बात है। मगर सभी शिकायतों का पैटर्न एक जैसा होना शक भी पैदा करता है। पत्रों की भाषा शैली देख कर लगता है कि एक ही व्यक्ति के द्वारा ये पत्र एक ही स्याही के प्रयोग से छापे गए है। आरोप भी एक जैसे ही है। सभी आरोपों में “एक नागरिक” के लिए जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत है वह मुख़्तार अंसारी का ही आदमी होता है। सभी बाहुबली, मकानों पर अवैध कब्ज़ा करने वाले और सभी वसूली करने वाले है। उसके खिलाफ अपने पास इकठ्ठा सबूत को क्यों नही पत्र के साथ लगाता है।

बेबुनियाद आरोपों के सिलसिले में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि इस “एक नागरिक” के पास अगर इतनी जानकारी है कि अमुक व्यक्ति सफेदपोश बना है जबकि वह अपराधी का करीबी आदमी है तो फिर ये “एक नागरिक” इस आरोप का श्रोत क्यों नही बताता है। ऐसा नही है कि आरोपों की पहली ये कोई खेप है। इसके पहले कोतवाली थाना भी ऐसे “एक नागरिक” वाले आरोपों से लगभग तीन साल पहले परेशान हो चूका है। वहा तो एक ही व्यक्ति के खिलाफ दो दर्जन के करीब शिकायते “एक नागरिक” के द्वारा किया गया था। उस समय कोतवाली पुलिस भी काफी परेशान हुई थी। बाद में ये कथित शिकायते आना बंद हो गई थी क्योकि कोतवाली पुलिस ने शिकायतकर्ता तक पहुचने की कोशिश शुरू किया था।

अब कोतवाली के बाद देखना होगा कि चौक पुलिस कितने वक्त तक इस “एक नागरिक” की शिकायत से परेशान रहती है।

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