हाजरा हॉस्पिटल प्रकरण – डॉ आरिफ अंसारी ने जारी किया सीसीटीवी फुटेज, कहा देखे खुद, कैसे झूठ बोल रहे है परिजन

तारिक आज़मी

वाराणसी। वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र के हनुमान फाटक स्थित हाजरी हॉस्पिटल में कल रात हंगामा हुआ था। हंगामे के कारण स्थानीय पुलिस मौके पर पहुच गई थी। प्रकरण में परिजनों का आरोप था कि डॉ आरिफ अंसारी ने मामले में लारवाही दिखाई है और केस को हंडल नही कर रहे है। वही परिजनों का कहना था कि डॉ आरिफ ने मरीज़ को रिफर कर दिया है, जबकि कोई भी और डाक्टर मरीज़ लेने से इनकार कर रहे है। परिजनों का कहना था कि हम गरीब बुनकर है, चिकित्सक ने न हमको बच्ची से मिलने दिया है और न ही हमने बच्ची को देखा कल अस्पताल से अचानक डॉ आरिफ अंसारी ने छुट्टी दे दिया और घर ले जाकर देखा तो बच्ची का एक पैर काला पड़ चूका था।

आज सुबह ही बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद सुबह दस बजे ही परिजनों ने अंतिम संस्कार भी कर डाला। मगर इसके बाद सोशल मीडिया पर क्रांति लिखने वालो की भीड़ सामने दिखाई दे गई। कुछ भीड़ में ऐसे थे कि वो डॉ का पक्ष जाने बगैर खुद का फैसला खुद को अदालत समझ कर देने लगे। कोई डॉ आरिफ अंसारी का भी बयान लेना सही नही समझा और खुद को अदालत की तरह फैसला सुना कर आरिफ अंसारी को सूली पर चढाने के लिए बेताब दिखाई देने लगे। पत्रकारिता के नियमो को ताख पर रखकर कुछ पत्रकार भी भीड़ का हिस्सा बन डॉ आरिफ अंसारी पर सीधे मीडिया ट्रायल करने में व्यस्त हो गए। किसी ने ऐसा ही ज़रूरी नहीं समझा कि आखिर डॉ की भी राय ले ले।

बहरहाल, सबका अपना अपना काम करने का तरीका रहता है। उनका शायद तरीका यही हो। बहरकैफ, आज जब सोशल मीडिया पर मामला तूल पकड़ने लगा है। इसके बाद दोपहर बाद डॉ आरिफ अंसारी ने खुद की सफाई में पत्रकारों को सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध करवाया और कहा कि आप खुद देख ले और बताये क्या आरोप परिजनों के सही है। परिजनों का कहना है कि मरीज़ को देखने और मिलने नहीं दे रहे थे। सीसीटीवी फुटेज में साफ़ दिखाई दे रहा है कि मरीज़ के बारे में पूरी जानकारी मरीज़ के पास खड़े करके दिया जा रहा है। परिजन अपने मरीज के पास खड़े है।

क्या थी पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री

इस सम्बन्ध में डॉ आरिफ ने बताया कि मरीज़ की कंडीशन जब मेरे पास डॉ जुनैद के यहाँ से रेफर करवा कर लाया गया था तो क्रिटिकल थी। बच्ची जन्म के बाद रोई नही थी। काफी इन्फेक्शन था। मरीज़ को दो दिनों तक जन्म के बाद डॉ जुनैद के यहाँ एडमिट किया गया था। (इस बात की पुष्टि कल हंगामा कर रहे परिजनों ने भी हमसे किया था कि डॉ जुनैद ने “जवाब” दे दिया था फिर यहाँ लेकर आये)। बच्ची की स्थिति के सम्बन्ध में परिजनों को पहले दिन ही बता दिया गया था तभी एडमिट किया गया। परिजनों ने अपनी खुद की स्वीकारोक्ति भी दिया था।

डॉ आरिफ ने बताया कि उसके बाद पैर का इन्फेक्शन लगातार बढ़ता रहा और गैंग्रीन की समस्या होती चली गई। मरीज़ को प्रतिदिन उनके परिजनों को दिखाया जाता था। रोज़ ब रोज़ उसकी हालत दिखाई जाती थी। वेंटिलेटर पर रखने के बावजूद भी मरीज़ से पैसे की मांग नही होती थी। कुल 8 दिन के एडमिशन में मात्र 10 हज़ार मय दवा और वेंटिलेटर चार्ज के मरीज़ के परिजनों ने दिया। इस दरमियान कई बार मरीज़ के परिजनों से बीएचयु रेफर की बात कहा गया मगर परिजन तैयार नही हुवे। अंततः 18 अक्टूबर को मरीज़ को रेफर करके परिजनों एक साथ भेज दिया गया। इसके बाद परिजनों ने एक दिन पूरा अपने घर पर रखा और फिर इधर उधर भटक रहे थे। मेरे पास आकर हंगामा करने लगे कि आप ही इलाज करो। मैंने ऐसा करने से मना कर दिया।

डॉ आरिफ अंसारी ने इस दरमियान समस्त कागज़ात तक पत्रकारों को दिखाते हुवे कहा कि एक साजिश के तहत मुझको परेशान करने की कुछ लोग कोशिश कर रहे है। साजिशन मुझको बदनाम करने के लिये लोगो ने एक षड़यंत्र रचा हुआ है। इतने वर्षो के कार्यकाल में मेरा रिकॉर्ड साफ़ सुथरा रहा है। एक कलंक के तरीके से मुझको बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल किया जा रहा है। मुझको अज्ञात नम्बरों से फर्जी फोन किया जा रहा है। कभी कोई खुद को सीबीआई अधिकारी का पीआरओ बताता है और कहता है कि जांच करने आने वाला हु, तो कभी कोई खुद को किसी मंत्री का पीआरओ बताता है। डॉ आरिफ अंसारी ने कहा कि हर तरीके से हर एक जाँच के लिए तैयार हु। मुझको मालूम है कि न तो इलाज में कोई कोताही बरती गई है और न ही किसी तरीके की कोई कमी रखा गया है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *