वाराणसी में आरटीई दाखिले में अनियमितता प्रकरण – बेपरवाह अफसरों और लापरवाही की दास्ताँ लिये भटक रहे गरीब अभिभावक

साभार – संजल कुमार के सोशल मीडिया पोस्ट से

वाराणसी। आरटीई के तहत निजी स्कूलों में दाखिले को लेकर विभिन्न सामाजिक संगठन और अभिभावकों का एक प्रतिनिधी शुक्रवार को मंडल बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर ज्ञापन सौंपा। शिक्षा विभाग पर इन लोगो ने फिर अनियमितता का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि आराजी लाईन ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के आवास से 10-15 किलोमीटर दूर के स्कूल आवंटित किए गए हैं, जबकि आरटीई के प्रावधान के तहत एक किलोमीटर से अधिक की दूरी नहीं होनी चाहिए।

ब्लाकवार आवंटित स्कूलों की सूची के बाद प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गया है। इसके बाद शिकायतों का दौर शुरू हो गया है। शिक्षा का अधिकार अभियान उत्तर प्रदेश के बैनर तले सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता के नेतृत्व मे अभिभावकों सहित विभिन्न सामाजिक संगठनो ने बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिये ज्ञापन में दर्जनों बच्चों के नाम, स्थायी पता और आवंटित स्कूलों का उल्लेख किया है। मांग किया गया है कि इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए। समस्या का समाधान नही होने पर इस मामले को मुख्य न्यायाधीश इलाहाबाद हाईकोर्ट, बाल संरक्षण अधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव व चेयरमैन सीबीएसई को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग की कार्यशैली व दोषी स्कूलों के द्वारा की जा रही मनमानी की शिकायत की जायेगी।

आरोप लगाया कि प्राथमिकता के हिसाब से फार्म मे भरे गये स्कूल के विकल्प आवंटित नहीं किये गये। इतना ही नहीं कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिसमें दो-तीन साल से आवेदन कर रहे अभ्यर्थी को स्कूल आवंटित ही नहीं किया गया है ऐसे बच्चे अगले साल ओवरएज हो जा रहे है और कई आवेदकों को गैर मान्यता प्राप्त स्कूल आवंटित कर दिए गए हैं। रेड ब्रिगेड ट्रस्ट के प्रमुख अजय पटेल ने क्षेत्र के कई विद्यालयों का जिक्र करते हुए बताया कि इन विद्यालयों में जितने भी छात्र- छात्राओं को आरटीई के तहत प्रवेश दिया गया है, उनमें अधिकतर विद्यालय से काफी दूरी पर निवास करते हैं। जबकि, कई स्थानीय अभिभावकों ने बच्चों के प्रवेश के लिए आवेदन किया था।

कहा यदि आराजी लाइन क्षेत्र के आसपास स्थित इन विद्यालयों में प्रवेश की यह स्थिति हैं तो अन्य क्षेत्र के विद्यालयों में भी ऐसी ही प्रवेश प्रक्रिया को अपनाया गया होगा। उन्होंने कहा आरटीई के तहत विद्यालय के आसपास रहने वाले बच्चों का प्रवेश पर पहला अधिकार है। इस बाबत अजय पटेल के पीआईएल पर उच्च न्यायालय द्वारा आदेश भी जारी किया गया है जिसका अवहेलना शिक्षा विभाग कर रहा है। जारी तीनों सूचियों में स्कूलों के आवंटन प्रक्रिया में पारदर्शिता नही है। बड़ी संख्या में आवेदन अकारण निरस्त किये गये हैं, वहीँ हजारों आवेदकों को दो स्कूल आवंटित किया गया तो दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर बच्चे को किसी भी सूची में स्थान नही मिला है। कई निजी स्कूल चयनित बच्चों को प्रवेश देने से मना कर दे रहे हैं ऐसे में अभिभावकों और बच्चो को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि शिक्षाधिकारी और स्कूल प्रबंधक सरेआम नियमों का उल्लंघन करके छात्र व अभिभावकों का आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं। अभिभावकों ने कई बार इसकी शिकायत जनसुनवाई पोर्टल, जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी से की है लेकिन प्राइवेट स्कूलों की सशक्त लावी के दबाव में दोषी शिक्षा अधिकारियों और स्कूलों के खिलाफ कोई भी उचित कार्यवाही आजतक नहीं की गई है। उधर, काशी विद्यापीठ स्थित कई स्कूलो के खिलाफ दाखिला न लेने और दाखिला लेने के लिए अवैध धन की अभिभावकों से मांग पिछले सत्र में दाखिला लिए बच्चों के अभिभावकों से फीस देने की मांग ना देने पर स्कूल से नाम काट कर निकाल देने जैसे कई शिकायत भी दर्ज कराई गई है।

दूसरी ओर, जिला समन्वयक (आरटीई) विमल केशरी का कहना है कि आवेदकों को नियमानुसार स्कूलों का आवंटन हुआ है। उन्होंने जो विकल्प भरा था, उसके अनुरूप ही स्कूल दिए गए हैं। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है। अगर किसी प्रकार की त्रुटी गड़बड़ी हुई है तो संज्ञान मे आते ही उसे सुधारा जा रहा है। फीस और अवैध धन मांगने वाले व दाखिला नहीं लेने वाले स्कूलों के खिलाफ नोटिस भी जारी किया गया है। प्रतिनिधि मंडल में अजय पटेल, राजकुमार गुप्ता, विनय कुमार सिंह, गौतम सिंह, ममता कुमार, बिंदु गुप्ता, सरिता यादव, पूजा, श्याम सुंदर यादव, बाबूलाल पटेल, विजय कुमार यादव, गोविंद यादव, अश्विनी यादव, राजेश पटेल, दशमी पटेल, ननकी देवी, संजय, श्याम सुंदर सहित दर्जनों अभिभावक शामिल थे।

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