महोबा – चार साल का मासूम गिरा खेत में खुदे 30 फिट गहरे बोरवेल में, राहत और बचाव कार्य जारी

आदिल अहमद/मो0 कुमैल

कानपुर। महोबा जिले में कुलपहाड़ क्षेत्र के बुधौरा गांव में बुधवार को किसान भागीरथ कुशवाहा का चार साल का इकलौता बेटा धनेंद्र 30 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में गिर गया। सूचना पाकर पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर पहुंच गए। बच्चे की जान बचाने की कवायद जारी है। फायर ब्रिगेड की टीम और जेसीबी के साथ ही डॉक्टरों की टीम वहां पहुंच गई है। लखनऊ से एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम भी मौके पर पहुच चुकी है।

बताते चले कि बुधौरा गांव निवासी किसान भागीरथ कुशवाहा का घर से आधा किलोमीटर दूरी पर खेत है। भागीरथ की पत्नी क्रांति देवी छोटी बेटी नित्या (3) के साथ सुबह अपना आधार कार्ड बनवाने के लिए महोबा आ गई थीं। इसलिए भागीरथ कुशवाहा चार साल के बेटे धनेंद्र उर्फ बाबू और छह साल की बेटी रेखा को साथ लेकर खेत में काम करने गया था। भागीरथ ने पुलिस को बताया कि वह खेत में सिंचाई कर रहा था। दोनों बच्चेे खेत में बनी मेड पर लगे नीम के पेड़ पास खेल रहे थे। दोपहर करीब एक बजे खेलने के दौरान खेत में ही खुले पड़े बोरवेल के करीब 30 फीट गहरे गड्डे में धनेंद्र जा गिरा।

मौजूदा हालत में समाचार लिखे जाने तक ढली रात के समय पुलिस और प्रशासनिक अफसर मौके पर मौजूद है, राहत व बचाव का काम जारी है। इस दौरान खेत में मौजूद मासूम के पिता भागीरथ कुशवाहा, मां क्रांति देवी, दोनों बहनें नित्या व रेखा के अलावा दादी आशारानी, बाबा कालीचरन दोपहर से देररात तक मौके पर डटे रहे।

क्या हुआ अभी तक

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ टीम मौके पर पहुंची। टीम ने टनल बनाने का काम शुरू कर दिया है। गांव के लोग और रिश्तेदार इन लोगों को ढांढस बंधाते रहे कि भगवान पर विश्वास रखें, घनेंद्र सकुशल बोरवेल से निकल आएगा, पर जैसे-जैसे रात होने लगी, वैसे-वैसे ही परिवार को अनहोनी की आशंका भी सताने लगी। इसके बाद घनेंद्र की मां, दादी, बड़ी बहन नित्या खेत में ही उसके सकुशल बोरवेल निकलने के लिए हाथ जोड़कर बैठ गईं। सभी भगवान से घनेंद्र की जान की रक्षा के लिए प्रार्थना करती रहीं।

पूरा गाँव ही इश्वर से कर रहा है प्रार्थना, मौके पर मौजूद है मेडिकल टीम

गांव की कई महिलाओं ने भी ईश्वर से मासूम घनेंद्र के लिए प्रार्थना कर रही है। उधर, घनेंद्र के बोरवेल में गिरने की खबर मिलते ही डॉ। पीके सिंह और डॉ। राजेश वर्मा की अगुवाई में एक टीम पहुंची। इस दौरान दो एंबुलेंस को भी मौके पर तैनात कर दिया गया। डॉक्टरों की टीमें दो आक्सीजन सिलिंडर साथ लेकर पहुंची थी।

इन्हीं सिलिंडरों से पाइप को जोड़ कर बोरवेल में गिरे बच्चे तक आक्सीजन पहुंचाई गई। सिलिंडर खाली होने पर दो और आक्सीजन सिलिंडर वहां मंगाए गए। दो एंबुलेंस इसलिए मंगाई गई कि बच्चे को बोरवेल से निकालने के बाद जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके।

साथ ही घनेंद्र के परिवार के किसी सदस्य की तबीयत बिगड़ती है, तो उसे एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा सके। वहीं मौके पर एसएफओ देवेश तिवारी की अगुवाई में फायर कर्मियों की आठ सदस्यीय टीम भी पहुंची। फायर कर्मियों ने पुलिस की मदद से बोरवेल के पास मौजूद लोगों को दूर किया और बोरवेल की गहराई देखी। डॉक्टरों की मदद कर आक्सीजन पाइप को बोरवेल के अंदर गिरे बच्चे तक पहुंचाने का काम किया। इसके बाद खुदाई के दौरान कई बार फायर कर्मी खोदे जा रहे गड्ढे की नापजोख कर अफसरों को बताते रहे कि कितना गहरा गड्ढा खुद चुका है और कितना और खुदना है।

सराहनीय है एसडीएम और चौकी प्रभारी का कार्य

इस दरमियान कुलपहाड़ के एसडीएम मोहम्मद उबैस की कार्यशैली प्रशंसनीय रही है। ग्रामीणों ने कुलपहाड़ के एसडीएम मोहम्मद उवैस और बेलाताल चौकी प्रभारी सुनील तिवारी की काफी तारीफ किया है। बताया कि दोपहर करीब डेढ़ बजे बेलाताल चौकी प्रभारी और एसडीएम मौके पर पहुंच गए। एसडीएम ने बड़े अफसरों को सूचना देेने के साथ ही जेसीबी और डॉक्टरों की टीम को बुलाया। जेसीबी और डॉक्टरों की टीम के पहुंचते ही घनेंद्र की जान बचाने के लिए काम शुरू कराया। अंत तक चौकी प्रभारी और एसडीएम डटे रहे। इसके अलावा कुलपहाड़, अजनर, श्रीनगर, पनवाड़ी समेत कई थानों की फोर्स भी मौके पर पहुंची।

प्रशासनिक पहल पर बोरवेल के आसपास लगी लाइटें

प्रशासन के लाइटिंग की व्यवस्था करने के बाद घनेंद्र को बचाने का काम और तेजी से शुरू हुआ, पर अंधेरा होने तक बोरवेल से बाहर नहीं निकाला जा सका। अंधेरा होता देख अफसरों ने एक बड़े जनरेटर की व्यवस्था की। इसके बाद बोरवेल के आसपास और नौ ट्यूब लाइटें और छह हाइलोजन लाइटें लगाकर रोशनी की गई। इसके बाद राहत कार्य में किसी तरह की रुकावट नहीं आई। राहत और बचाव कार्य जारी है।

छह जेसीबी और आठ ट्रैक्टर भी लगे

जैसे-जैसे रात हो रही थी वैसे-वैसे घनेंद्र की जान बचाने का काम तेजी पकड़ रहा था। दोपहर में दो जेसीबी गड्ढा खोदने के लिए मंगाई गईं। शाम पांच बजे दो और जेसीबी मंगाई गई। शाम सात बजे फिर एक जेसीबी मंगाई गई। शाम 7।27 बजे छठवीं जेसीबी वहां पहुंची और बोरवेल के पास गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ।

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