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हाथरस रेप पीडिता की तस्वीर छापना दुर्भाग्यपूर्ण है, मगर हम कानून पर कानून नही बना सकते – सुप्रीम कोर्ट

आदिल अहमद

नई दिल्ली: मीडिया में हाथरस गैंगरेप पीड़ित की तस्वीर के प्रकाशन के खिलाफ एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़िता की तस्वीर छापी गई। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई की। जस्टिस रमना ने कहा कि इन मुद्दों का कानून से कोई लेना-देना नहीं है। लोग ऐसी चीजें करना चाहते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। इसके लिए पर्याप्त कानून है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसी घटनाएं होती हैं।

जस्टिस रमना ने कहा, “हम कानून पर कानून नहीं बना सकते। यहां कानून बनाने के लिए अदालत का विवेक सही नहीं होगा। सरकार को प्रतिनिधित्व किया जाना चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता के इस मामले को हमारे संज्ञान में लाने के प्रयासों की सराहना करते हैं लेकिन हम इस मामले में कानून नहीं बना सकते। कोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं और विश्वास करते हैं कि प्रतिवादी इस पर गौर करेंगे। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा गया था कि हाथरस रेप पीड़िता की तस्वीर मीडिया में प्रकाशित की गई थी। अदालत इसके खिलाफ आदेश जारी करे।

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