किसान आन्दोलन – ट्रैक्टर परेड के समर्थन में गूंज रही गुरुद्वारों से आवाज़, “अभी नही तो कभी नही”

आफताब फारुकी

चंडीगढ़: सुप्रीम कोर्ट ने भले ही तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा दिया है और इसके हेतु बातचीत के लिए एक चार सदस्यो की कमेटी का गठन कर दिया है। मगर दूसरी तरफ किसान अपने आन्दोलन से पीछे हटने को तैयार नही है। किसान अपनी एक मांग “तीनो कृषि कानूनों की वापसी” पर टिके हुवे है। अपनी मांगो के समर्थन में किसानो ने गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड का कार्यक्रम सफल करने की जद्दोजेहद में लगे हुवे है।

इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीनों नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगाने के बावजूद घंटे भर के अंदर बड़ी संख्या में पंजाब के किसान नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के लिए रवाना हुए। किसान मजदूर सघर्ष कमेटी के बैनर तले मंगलवार को ट्रैक्टर-ट्रॉली का एक बड़ा काफिला अमृतसर से दिल्ली के लिए रवाना हुआ। किसानों और किसान संगठनों ने 20 जनवरी तक बड़ी संख्या में ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए प्रतिभागियों को भेजने का फैसला किया है। किसानों के कुछ समुदाय ने फैसला किया है कि जो अपनी गाड़ी दिल्ली भेजने में असमर्थ हैं वो जुर्माना भरेंगे  अन्यथा उनका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।

मंगलवार को राज्यभर के गुरुद्वारों से लाउडस्पीकर से दिल्ली में किसान आंदोलन का समर्थन करने का ऐलान किया गया। गुरुद्वारे से कहा गया, “अगर अभी हम चूक गए तो फिर हमें कभी भी यह मौका नहीं मिलेगा। यह हमारे अधिकारों की लड़ाई है।”

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से जुड़े कई मामलों की एकसाथ सुनवाई करते हुए सितंबर 2020 में संसद द्वारा पारित किए गए तीनों नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने चार सदस्यों वाली एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया, जो किसानों की समस्याओं को सुनकर, सरकार की राय जानकर और किसान कानूनों की समीक्षा कर कोर्ट को अपनी सिफारिशें सौंपेगा।

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