इलाहाबाद विश्वविद्यालय  की कुलपति की आपत्ति पर मस्जिद कमेटी ने लाउडस्पीकर की दिशा बदली, आवाज भी कर दी कम…

तारिक खान

प्रयागराज। ध्वनि प्रदूषण पर इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव की चिट्ठी सार्थक साबित हुई है। सिविल लाइंस में कानपुर रोड स्थित लाल मस्जिद की मीनार में लगे लाउडस्पीकर की दिशा बुधवार को बदल दी गई। आवाज को भी पहले की तुलना में 50 फीसद से भी कम कर दिया गया। मस्जिद के मुतवल्ली रहमान ने प्रयागराज पुलिस से मिले निर्देशों के क्रम में यह बदलाव किया है। विश्वविद्यालय परिसर और चौक में कतिपय छात्र संगठनों तथा दलों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने कुलपति के विरोध में प्रदर्शन भी किया।

पुलिस के निर्देश पर उठाया कदम, कुलपति के विरोध में प्रदर्शन भी

शहर में कानपुर रोड पर लाल मस्जिद है। इसकी मीनार पर दो लाउडस्पीकर हैैं। एक की दिशा उत्तर और दूसरे की दक्षिण थी। बुधवार सुबह सिविल लाइंस इंस्पेक्टर रवींद्र प्रताप सिंह मस्जिद पहुंचे। मुतवल्ली (केयर टेकर) रहमान से बातचीत की। बताया कि हाईकोर्ट का आदेश है कि ध्वनि विस्तारक यंत्र की आवाज 75 डेसिबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। कुलपति की तरफ से तीन मार्च को दी गई शिकायत के बारे में भी अवगत कराया गया। इसके बाद मुतवल्ली ने क्लाइव रोड स्थित कुलपति के निवास की तरफ उत्तर में लगे लाउडस्पीकर की दिशा बदलवा दी। बताया कि आवाज भी 50 प्रतिशत से ज्यादा कम कर दी गई है ताकि किसी को असुविधा न हो। उनका यह भी कहना है कि अगर कुलपति व्यक्तिगत तौर पर ऐसा करने के लिए कहतीं तो भी बदलाव कर दिया जाता। मुतवल्ली के अनुसार मस्जिद की मीनार पर पहले भी दो लाउडस्पीकर लगे थे और अब भी इतने ही हैं।

दिन भर चर्चा में रहा पत्र

अजान के लिए लाउडस्पीकर की तेज आवाज से दिक्कत संबंधी इविवि कुलपति का तीन मार्च को लिखा गया जिलाधिकारी को संबोधित पत्र कमिश्नर, आइजी, एसएसपी को भी कापी था। यह पत्र बुधवार को इंटरनेट मीडिया से लेकर मेन स्ट्रीम मीडिया में सुर्खी बना रहा। कुलपति ने सिविल लाइंस प्रयागराज ध्वनि प्रदूषण विषयक पत्र तेज आवाज में होने वाली अजान से होने वाली दिक्कत बताते हुए हाईकोर्ट के आदेश का भी उल्लेख किया है।

यह था इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 15 मई 2020 को जनहित याचिका (570/2020) पर अहम फैसला दिया था। जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस अजीत कुमार की खंडपीठ के फैसले के अहम बिंदु यह है कि अजान इस्लाम का हिस्सा, किंतु स्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं। -मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अजान पर रोक वैध।- मानव आवाज में दे सकते हैं अजान। -तेज आवाज दूसरों के मूल अधिकारों का उल्लंघन। -किसी को भी दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जा सकती। प्रकरण में एसपी सिटी दिनेश सिंह ने इस सम्बन्ध में कहा कि ‘हाईकोर्ट के आदेश और गाइड लाइन के अनुसार मस्जिद में लगे लाउडस्पीकर की आवाज कम करवाई गई है।

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