कानपुर –कार्डियोलाजी आग कांड में आई अस्पताल प्रशासन की लापरवाही सामने, इस्पेक्टर और आईपीएस ने जान की बाज़ी लगा कर मरीजों और तीमारदारो की बचाई जान

आदिल अहमद/मो0 कुमेल

कानपुर। कानपुर स्थित एलपीएस इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी में रविवार सुबह अचानक आग लग गई। आग कार्डियो के इमरजेंसी वार्ड में लगी थी। उस समय लगभग डेढ़ सौ मरीज़ और तीमारदार अस्पताल के अन्दर थे। इसी दरमियान अस्पाल कर्मी मरीजों और तीमारदारो की फिक्र किये बगैर खुद अस्पताल परिसर से बाहर निकल आये थे। अस्पताल के प्रथम तल पर लगी आग से अस्पताल परिसर में हडकम्प मच गया था। हॉस्पिटल मैनेजमेंट का दावा था कि ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर के शीशे तोड़ सारे मरीज बाहर निकाल लिए गए।

गौरतलब हो कि कल रविवार सुबह कार्डियोलॉजी के फर्स्ट फ्लोर स्थित इमर्जेंसी वॉर्ड में अचानक आग लगने से हड़कंप मच गया। आग लगने के चलते ग्राउंड फ्लोर में भी धुआं फैल गया। इसके बाद मरीजों को प्रथम तल की खिड़की तोड़कर बेड समेत बाहर निकाला गया। दमकल की गाड़ियों ने आग और धुएं पर काबू पा लिया है। मगर अब जो कुछ सामने आ रहा है उसमे अस्पताल प्रशासन की बड़ी खामियों को उजागर हो रही है। अब मिल रही जानकारी के अनुसार आग कार्डियोलॉजी के आईसीयू में बने स्टोर रूम में लगी थी। कुछ ही देर में पूरा आईसीयू चपेट में आ गया था। डीजी फायर आरके विश्वकर्मा ने इस पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि आईसीयू में इस तरह का स्टोर रूम बनाया जाना बिल्कुल गलत है। यहां गंभीर मरीज भर्ती होते हैं। स्टोर रूम को बनाना और आग से बचने का उपाय न होना बेहद गंभीर है।

शुरुआती जांच में तमाम खामियां और लापरवाही सामने आई हैं। जांच पूरी होने के बाद इसमें बडे़ स्तर पर कार्रवाई होना तय माना जा रहा है। सुबह करीब सात और साढ़े सात बजे के बीच स्टोर रूम में आग लगी थी। एक कर्मचारी व डॉक्टर ने स्टोर रूम से धुआं निकलता देख अन्य अधिकारियों व डॉक्टरों को बुलाया। डॉक्टर और कर्मचारी खुद की जान बचाकर वहां से भाग निकले। मरीजों को हटाना तीमारदारों के लिए मुश्किल हो गया। इसलिए वो सभी भीतर फंस गए। बाद में दमकलकर्मियों व पुलिसकर्मियों ने उनको बाहर निकाला। डीजी फायर भी कुछ देर बाद वहां पहुंचे। जब घटनास्थल का मुआयना किया तो देखा कि जिस स्टोर रूम में आग लगी थी, वह आईसीयू के भीतर था। उन्होंने कार्डियोलॉजी प्रशासन से पूछा कि आखिर स्टोर रूम यहां क्यों बनाया गया। इसका कोई जवाब नहीं दे सका।

अग्निकांड में कार्डियोलॉजी प्रशासन कई अन्य बड़ी लापरवाही सामने आई है। कार्डियोलॉजी परिसर और आईसीयू में आग बुझाने के कंडम उपकरण लगे थे। इनको चलाने वाला भी कोई नहीं था। लिहाजा शुरुआत में आग बुझाने का प्रयास तक नहीं हुआ। वहीं कार्डियोलॉजी बगैर फायर एनओसी के चल रहा है। फायर विभाग से इसकी एनओसी ही नहीं ली गई थी। बताते चले कि कोई भी अस्पताल आदि संचालित करने के लिए फायर विभाग की एनओसी लेनी होती है। दमकल अफसरों ने बताया कि कार्डियोलॉजी को कोई भी एनओसी जारी नहीं की गई है। हैरानी की बात ये है कि सैकड़ों मरीज हर दिन यहां भर्ती होते हैं और सैकड़ों मरीजों का आना जाना रहता है। इसके बावजूद प्रशासन इतनी बड़ी लापरवाही कर इन सभी जान आफत में डाल रहा है। दमकल ने अपने फायर फाइटिंग सिस्टम से आग पर काबू पाया।

दमकल विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जब उन्होंने अस्पताल के फायर फाइटिंग सिस्टम का मुआयना किया तो पता चला कि वे खराब पड़े हैं। वाटर पाइप लाइन, हाइड्रेंट पूरी तरह खराब मिले। उपकरण एक्सपायर हो चुके थे। दमकल के अधिकारियों ने बताया कि अगर फायर फाइटिंग सिस्टम सही होता और उसको चलाने वाले मौजूद होते तो आग इतनी नहीं फैल पाती।

आईपीएस डॉ अनिल कुमार और इस्पेक्टर अश्वनी पाण्डेय ने दिखाई बहादुरी

कार्डियोलॉजी अग्निकांड में अगर किसी जान का नुक्सान नही हुआ तो इसका पूरा श्रेय आईपीएस डॉ अनिल कुमार और इस्पेक्टर स्वरुपनगर अश्वनी कुमार पाण्डेय को जाता है। आईपीएस डॉ0 अनिल कुमार और इस्पेक्टर अश्वनी पाण्डेय ने खुद की जान जोखिम में डाल कर कार्डियोलाजी के शीशे तोड़े और सभी पुलिस वालो ने हिम्मत के साथ अन्दर घुस कर इलाज करवाने आये मरीजों को उनकी बेड सहित बाहर निकाला। आईपीएस डॉ अनिल कुमार और इस्पेक्टर अश्वनी पाण्डेय ने मरीजों की चीख पुकार सुनकर खुद की जान जोखिम में डाल कर मरीजों और तीमारदारो की जान बचाई।

दोनों ने खिडकियों के शीशे तोड़ कर अन्दर जाकर लोगो को बाहर निकालना शुरू कर दिया। इस दरमियान अपने अधिकारियो को मौत के मुह में जाकर ज़िन्दगी बचाते देख कर अन्य पुलिस वाले भी जान जोखिम पर लगा कर मरीजों और तीमारदारो की जान बचाने में लग गए। एक तरफ जहा अस्पताल प्रशासन से सम्बन्धित लोग आग देखा कर मरीजों और तीमारदारो को छोड़ खुद की जान बचाने को तरजीह देकर भाग गये थे, वही आईपीएस डॉ अनिल कुमार और इस्पेक्टर अश्वनी पाण्डेय ने खुद की जान डाव पर लगा कर उन मरीजों और तीमारदारो की जान बचाई जो आग में फंसे हुवे थे।

बताते चले वाराणसी में पोस्टेड रह चुके डॉ अनिल कुमार वर्त्तमान में एडीसीपी वेस्ट है। आईपीएस और इस्पेक्टर मरीजों की छटपटाहट को देख कर खुद को रोक न सके और खिडकियों के शीशे तोड़ कर अन्दर दाखिल हो गए। उन्होंने कई मरीजों और तीमारदारों को बाहर निकाला। प्रशासनिक अधिकारियों में सबसे पहले मौके पर इंस्पेक्टर स्वरूपनगर अश्वनी पाण्डेय पहुचे थे। वार्ड में भरा धुआं देखकर इंस्पेक्टर अश्विनी कुमार पांडेय ने शीशे की खिड़कियां तोड़ना शुरू की। एक दो खिड़कियां तोड़ीं तो धुआं बाहर निकलना शुरू हुआ और लोग बाहर निकलने लगे। इसके बाद अन्य पुलिस अफसर व जवानों ने भी शीशे तोड़कर लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। पुलिस के इस बहादुरी की शहर में ही नही बल्कि पुरे प्रदेश में चर्चा है।

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