दिल्ली में कहर ढाता कोरोना – 24 घंटो में 24 हज़ार से ज्यादा आये नए संक्रमण के मामले, 249 की मौत का सबब बन गया कोरोना

आफताब फारुकी

नई दिल्ली। एक तरफ कोरोना महामारी ने लोगो का जीना हराम कर रखा है वही निगेटिविटी की खबरों से परहेज़ करने के लिया सोशल मीडिया के रणबांकुरे मीडिया को सलाह देने लगे है। मगर कलम को सच कहने से कैसे रोका जाए ये सोचने वाली बात है। दिल्ली में कोरोना कहर बन कर टूट रहा है। आज जारी आकड़ो के अनुसार दिल्ली में 249 लोगो की मौत का सबब जहा कोरोना बना है। वही बुधवार को देश की राजधानी यानी दिल वालों की दिल्ली का दिल धक से कर गया जब आकड़ो में नए संक्रमित कुल 24,638 सामने आए।

राहत की बात है कि दिल्ली में पहली बार एक दिन में 24600 मरीज इस जानलेवा मुसीबत कोरोना से अपनी जंग भी जीत गए है। हालांकि अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार भर्ती मरीजों की तीन दिन निगरानी करने के बाद मोडरेट स्थिति वाले मरीजों को घर भेज दिया जा रहा है, ताकि वह होम आइसोलेशन में अपना उपचार कर सकें और बिस्तरों की संख्या भी कम न पड़े। इस हिसाब से आप ये नहीं कह सकते है कि ये सभी पूर्णतः स्वस्थ हो चुके है।

अब दिल्ली में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 9,30,179 हो चुकी है जिनमें से 8,31,928 मरीज ठीक हुए हैं। वहीं 12,887 मरीजों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में मृत्युदर 1।39 फीसदी तक पहुंच चुकी है। हालांकि हर दिन नए मरीजों के बढ़ने से सक्रिय मामले अब 85,364 पहुंच चुके हैं जिनमें से 42768 मरीज अपने घरों में आइसोलेशन में हैं। अस्पतालों की बात करें तो केवल 2426 बिस्तर खाली हैं। 19753 में से 17327 बिस्तर अब तक भर चुके हैं।

वही जाँच की बात करे तो दिल्ली में कोरोना की जांच हर दिन कम होती जा रही है। बीते 14 अप्रैल तक दिल्ली में हर दिन 70 हजार से भी अधिक सैंपल की जांच आरटी पीसीआर के जरिए होने लगी थी लेकिन पिछले एक दिन में ही 45088 सैंपल ही जांचें गए। जबकि इससे पहले मंगलवार को 56724 और सोमवार को 68778 तक था।

जांच में आई कमी के सम्बन्ध में स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राजधानी की अधिकांश लैब में जांच की वेटिंग चार दिन तक पहुंच गई है। इसकी वजह से जांच का आंकड़ा कम हुआ है क्योंकि वेटिंग को खत्म करना भी जरूरी है। कई लैब ऐसी हैं जिनकी रिपोर्ट आने में पांच दिन तक का भी वक्त लग रहा है। जबकि कोरोना की दूसरी लहर में जितनी जल्दी रिपोर्ट मिले उतना सबसे जरूरी है क्योंकि शुरूआती दिनों में ही लोगों की तबियत बिगड़ने के कई मामले पता चले हैं।

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