व्हाट्सएप पर वायरल होता इटली द्वारा कोरोना मरीज़ के पोस्टमार्टम का फैक्ट चेक

तारिक खान

ज्ञान के अजीब-ओ-गरीब समुन्द्र के रूप में उभरते व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में आज कल एक सन्देश जमकर वायरल हो रहा है। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से निकल कर ये सन्देश फेसबुक की मायावी दुनिया में भी पहुच गया है। वो तो शुक्र है कि ट्वीटर पर इतना बड़ा सन्देश लिखने की जगह नही होती है और वहा पढ़े लिखो की जमात ज्यादा था तो ये सन्देश वहा कयामत नही ढा रहा है। वरना अब तक तो इटली खुद आकार सदेश बनने वाले का पाँव छूकर आशीर्वाद लेती कि प्रभु ये अथाह ज्ञान का भंडार कहा से लेकर आप आये है। आपके चरण कहा है।

बहरहाल, हमारा मन आज कटाक्ष का नही है। व्यंग तो एकदम करता ही नही हु। आज इस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज्ञान का सच पता करने का प्रयास किया जाता है। वैसे तो इसका सच भास्कर आज से लगभग 7 माह पहले ही सबको विस्तार से बता दिया था। मगर एक बार जैसे ही कोरोना के मामले बढने लगे है वैसे ही ये मैसेज दुबारा इस व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी पर चर्चा में आ गया है। किसी न किसी समूह में इसको रोज़ ही देखा जा रहा है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि भेजने वाला इतने दावे के साथ इस सन्देश को भेजता है जैसे लगता है कि उस कथित पोस्टमार्टम के समय वह मौके पर मौजूद था और चिकित्सको को बता रहा था कि जैसे मैंने सिखाया है वैसे ही पोस्टमार्टम करना।

आप हमारी अभी तक की बात पर तीन बार जोर जोर से हंस सकते है। उसके बाद आगे का आर्टिकल पढ़ सकते है। वायरल मैसेज में दावा किया जा रहा है कि इटली के वैज्ञानिकों ने अपनी नई रिसर्च में पाया है कि कोविड-19 जैसा कोई वायरस असल में है ही नहीं। 1200 शब्दों के इस मैसेज को तीन दावों में बांटकर अगर इसकी पडताल किया जाए तो पहल दावा है कि WHO का कानून कोविड-19 से मरने वालों के शरीर का पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति नहीं देता। लेकिन, इटली ने इस कानून को तोड़कर लाशों का पोस्टमॉर्टम किया और पाया कि कोविड-19 एक वायरस नहीं बैक्टीरिया है।

जबकि हकीकत ये है कि WHO की वेबसाइट पर ऐसे किसी नियम का उल्लेख नहीं है। जो कोविड-19 से संक्रमित मरीज की लाश का पोस्टमॉर्टम या किसी भी तरह की रिसर्च करने से रोकता हो। आप खुद इस वेब साईट को देख सकते है। WHO पहले भी स्पष्ट कर चूका है हम किसी भी देश पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकते। WHO की वेबसाइट पर साफ़-साफ़ लिखा है कि 5G नेटवर्क से वायरस का संक्रमण नहीं फैलता। वायरस रेडियो वेव या मोबाइल नेटवर्क के जरिए नहीं फैल सकते हैं। जिन देशों में 5G नेटवर्क नहीं पहुंचा है, वहां भी कोरोना संक्रमण ने लोगों की जानें ली हैं। नोवेल कोरोना वायरस संक्रमण मनुष्य या फिर संक्रमित सतह के संपर्क में आने से फैलता है। रेडिएशन से इसका कोई वास्ता नहीं है। इसी साईट पर WHO ने कोरोना वायरस से मृत शरीर को पोस्टमार्टम हाउस तक ले जाने और प्रोसेस के दौरान अपनाई जाने वाली सावधानियों का ज़िक्र किया गया था। इसलिए ये दावा ग़लत है कि WHO ने कोरोना मरीजों के पोस्टमार्टम पर रोक लगाई थी।

अब आते है दुसरे दावे पर। दूसरा दावा है इस सन्देश का कि कोविड-19 नाम का कोई वायरस अस्तित्व में है ही नहीं ये एक ग्लोबल घोटाला है। लोग कोरोना वायरस से नहीं बल्कि ”5G इलेक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन ज़हर” के कारण मर रहे हैं। जबकि हकीकत ये है कि WHO हर सप्ताह एक सिचुएशन रिपोर्ट जारी करता है। इसमें कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की संख्या और इससे होने वाली मौतों के आंकड़े होते हैं। ये आंकड़े सदस्य देश ही संगठन को उपलब्ध कराते हैं। जाहिर है जब इटली खुद कोविड-19 के नए मामलों के बारे में दुनिया को बता रहा है, तो वह मानता है कि कोविड-19 एक वायरस है। इस प्रकार से ये दावा भी फर्जी है।

तीसरा दावा आपकी हंसी छोड़ने के लिए आपको मजबूर कर देगा। तीसरे दावे में कहा गया है कि इटली के वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना वायरस का इलाज एंटीबायोटिक्स से हो सकता है। जबकि हकीकत ये है कि  रायटर्स ने अपनी एक खबर में बताया है कि 24 अगस्त को 2020 इटली ने कोविड-19 वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। अगर वहां कोविड-19 का इलाज एंटीबायोटिक्स से हो रहा होता तो इटली वैक्सीन का परीक्षण आखिर क्यों कर रहा है इसका जवाब व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज्ञानियों के पास भी नही है।

हकीकत में व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से चर्चित हुवे इस वायरल मैसेज में किए जा रहे तीनों दावे मनगढ़ंत और फेक हैं। सन्देश को थोडा रोचक बनाने के लिए इसमें कुछ साइंटिफिक शब्दों का इस्तेमाल करके इस तरह फ्रेम किया गया है कि लोग इसे सच मानकर शेयर करें। वैसे भी इस सोशल मीडिया साईट पर कापी पेस्ट एक खेल सा हो गया है। हकीकत को कोई पता करने के लिए पढने की कठिनाई नही उठाएगा बल्कि सभी कापी पेस्ट में लग जायेगे। हमारे इस फैक्ट चेक को आप आजतक, द लल्लनटॉप, और बीबीसी पर भी चेक कर सकते है। ऐसा इसलिए भी कह रहा हु क्योकि आपको इन बड़े नामो पर अधिक विश्वास होगा। वैसे हम तो दिखाते है वो सच जो वक्त के धुंध में कही खो जाता है।

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