तारिक आज़मी की मोरबतियाँ – दालमंडी के भाजपा नेता, अवैध पटाखा किंग दे रहे है जन्नत का लाईसेंस, पहले आओ पहले पाओ की स्कीम तो नही है न नेता जी

तारिक आज़मी

वाराणसी। वाराणसी का दालमंडी क्षेत्र फिल हाल अपने कारोबार को लेकर पसीने बहा रहा है। मगर इसमें अपनी सियासत का परचम बुलंद करने वाले सियासी रोटी भी जमकर सेक रहे है। जहा कारोबारी खुद के कारोबार में मंदी की मार झेल रहे है। पुरे दूकान खुलने के वक्त तक बोहनी तक नही कर पाने वाले कारोबारी परेशान है कि महीना खत्म हो रहा है। कहा से दूकान का किराया से लेकर काम करने वाले लडको को वेतन दे, वही दूसरी तरफ सियासत पटाखे फोड़ने में व्यस्त है। इस दरमियान दालमंडी क्षेत्र निवासी एक अवैध पटाखा कारोबारी ने शायद जन्नत का टिकट बेचने का कारोबार शुरू कर डाला है।

हम बात कर रहे है अवैध पटाखा किंग भाजपा नेता की। नेता जी असल में शायद जन्नत के ट्रेवेल एजेंट बन गए है। वो सबको जन्नत का टिकट देते फिर रहे है। धरती के भगवान् साझने वाले ये नेता जी फरिश्तो से भी शायद सेटिंग करके रखे हुवे है। कौन जन्नती है कौन जहन्न्मी इसका फैसला वो करके शायद फरिश्तो से टिकट आपको जन्नत का दिलवा दे।

क्या है मामला

दरअसल मामला दालमंडी क्षेत्र में हो रहे एक गुमटी निर्माण से सम्बन्धित है। कल शनिवार को दालमंडी क्षेत्र में विवादों का मरकज़ बन चुके एक अवैध गुमटी का निर्माण शुरू हो गया था। इस दरमियान क्षेत्र में सुगबुगाहट पैदा हो गई और क्षेत्र के संभ्रांत नागरिको ने इसकी सुचना स्थानीय पुलिस को दिया। मौके पर पहुची पुलिस ने मामले में हस्तक्षेप करके सख्त हिदायत देते हुवे काम बंद करवा दिया। साथ ही गुमटी निर्माण करवा रहे लोगो को तम्बी किया कि वह ऐसी हरकत-ए-बेजा न करे। उक्त प्रकरण से सम्बन्धित हमारे द्वारा एक समाचार प्रकाशित किया गया। जिसका बुरा जिसकी गुमटी निर्माण हो रहा था उसको न लगकर सबसे ज्यादा बुरा भाजपा नेता और अवैध पटाखा किंग माने जाने वाले आसिफ शेख को लग गया।

फिर क्या था साहब, रात को जब भाजपा नेता को सवारी सवार हुई तो उन्होंने हमको मैसेज के द्वारा जन्नत में प्लाट देना शुरू कर दिया। सूत्र बताते है कि जब आसिफ शेख उर्फ़ आसिफ पटाखा मुझको जन्नत में प्लाट दिलवाने की बात कर रहे थे तो उनके सर पर “विजय माल्या बाबा की सवारी हावी थी।” अब “सवारी” “विजय माल्या बाबा” की हो तो इंसान जन्नत का ठेकेदार तो बन ही जाता है। वैसे उनके “जन्नत” देने के इस शब्द को हम समझ सकते है और उनकी मानसिक स्थिति को भी समझ सकते है। असल में वो हमको डराना चाहते थे और हम ठहरे “बजडबेहया” मौत से हमको डर ही नही लगता है। क्या करेगे सत्ता के नशे में चूर आसिफ शेख उर्फ़ आसिफ पटाखा। रईस बनारसी के दो-चार गुर्गो के बल पर उछलने वाले जन्नत के ठेकेदार ढेर करेगे तो अपने गुर्गो से कहकर जन्नत भेज देंगे। कौन सा यहाँ “अमृत का घड़ा” पीकर आया हु, आज नही तो कल मरना ही है। मगर आसिफ शेख के द्वारा दिए गए इस “जन्नत” की धमकी से डरने वाले हम तो नही है।

आखिर क्या है भाजपा नेता और अवैध पटाखा किंग आसिफ शेख के पेट में दर्द का कारण

दरअसल भाजपा नेता और अवैध पटाखा किंग दालमंडी क्षेत्र में अवैध पटाखा विक्री में अपनी हुकूमत चलाते थे। वर्ष 2017 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद अपनी हनक कायम रहे इस कारण उन्होंने भाजपा का दामन भी थाम किया। इसके पहले और बाद में भी आसिफ पटाखा के नाम से मशहूर इन सज्जन का अवैध पटाखे का कारोबार जमकर चलता था। सूत्रों की माने तो क्षेत्र में सभी अवैध पटाखा कारोबारियों से पुलिस को “प्रसाद” देने के नाम पर रकम वसूल कर पटाखा बिकवाने वाले शेख साहब, जन्नत के ठेकेदार खुद बन बैठे।

इसी दरमियान आज से तीन वर्ष पहले जब अपने गोदाम में भयानक अवैध पटाखा भरे थे तो दीपावली के सीज़न में उनके यहाँ ही पुलिस ने छापा मार दिया। छापेमारी इतनी ज़बरदस्त थी कि शेख साहब उसने “चीन्घुड” गए थे। लगभग 40 लाख का माल पकड़ा गया था। अब पटाखा किंग के यहाँ पटाखे पकडे गए तो उन्होंने अपनी इज्ज़त बचाने के लिए जमकर पैरवी सत्ता से लगवाने का प्रयास किया। इसी दरमियान अवैध पटाखे की इतनी बड़ी खेप पकडे जाने की जानकारी हमको होने के बाद हमने सम्बन्धित समाचार चला दिया जिसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को हो गई। अब शेख साहब की जन्नत अचानक जहन्नम में बदलती दिखाई दी और शेख साहब फरार हो गए। पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और बाद में उस 40 लाख के माल को पूरा का पूरा नष्ट कर दिया गया। माल के नष्ट करने की प्रक्रिया में भी शेख साहब का जुगाड़ काम न आया और पूरा माल एक एक चुटपुटिया तक नष्ट हो गई।

बस यही से शेख साहब ने हमको अपना दुश्मन समझ लिया कि अगर ये खबर न चलाता तो शायद वो माल अपना बचा लिए होते। साथ ही साथ पार्टी में अपनी इज्ज़त का कचरा होने का भी खौफ उनको सता गया। उसके बाद तो हर साल ही आसिफ शेख उर्फ़ आसिफ पटाखा के यहाँ छापेमारी और माल ज़ब्ती की कार्यवाही हुई। इसी वर्ष दीपावली के पहले खुद तत्कालीन एसएसपी वाराणसी अमित पाठक ने इनके गोदाम पर छापा मारा। इस छापेमारी में आसिफ शेख तो भाग खड़े हुवे मगर उनका नवजवान बेकसूर लड़का जो इनके इस काले कारोबार से कोई मतलब नही रखता है मुफ्त में पकड़ गया था। साथ में आसिफ शेख साहब ने खुद का नाम न आने देने की पूरी कोशिश किया और एक और अपने यहाँ के नौकर को पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया। दो बेकसूर लोग जेल चले गए। मगर पटाखा किंग की मुश्किल कम न हुई और उनका नाम भी ऍफ़आईआर में आया तथा उनको भी ज़मानत करवानी पड़ी।

इस केस में भी हमारी कलम ने खबर लिखी जिससे भाजपा नेता और भी ज्यादा खुन्नस खा गये। हमको अफ़सोस सिर्फ इस बात का था कि भाजपा नेता और अवैध पटाखा किंग आसिफ शेख ने अपने नवजवान उस बेकसूर लड़के को अपनी जगह फंसा दिया जिसका उनके कारोबार से कोई लेना देना ही नही था। मगर शेख साहब ठहरे भाजपा के सिपाहसालार, वो अपना पद और कद भाजपा में बचाने के लिए कुछ भी कर सकते है। तो कर डाला उन्होंने। सूत्रों की माने तो जब कप्तान ने छापेमारी किया तो आसिफ शेख साहब तो कूद के भाग गए और अपने बेटे को दूकान पर भेज दिया। बेटे से पुलिस ने पूछा दूकान किसकी है वो बोला मेरी है तो वो टंग गया। अब आप खुद समझ सकते है कि शेख साहब कितने ऊँचे कद के सियासतदान है।

इसके बाद भी उनकी मुश्किलें हल नही हुई। सूत्रों की माने तो उन्होंने छुटपुट कई जगह माल रख रखा था। पुलिस ने उनका हर एक माल ज़ब्त किया। सूत्रों की माने तो कच्ची सराय में ज़ब्त माल भी भाजपा नेता का था। मगर उस माल के साथ उन्होंने अपने एक गरीब नौकर को पुलिस से पकडवा दिया था। इन सबके बीच हर एक छापेमारी पर हमारे द्वारा समाचार प्रकाशित किया गया जो भाजपा के इन सज्जन को काफी बुरा लगा। एक गोपनीय सूत्र ने हमसे यहाँ तक कहा कि पार्षद पद हेतु अखाड़े में दम्भ भरने की तैयारी कर रहे आसिफ शेख साहब इस बार भाजपा के टिकट की दावेदारी करेगे और उसके लिए प्रयासरत है कि उनके काले कारोबार पर वह सफ़ेद पेंट मार कर सफाई पसंद बन जाए। मगर काला शा काला के तर्ज पर उनका कारोबार सामने आता रहता है।

अपने मुनाफे के लिए मासूम ज़िन्दिगियो को भी लगा देते है दाव पर

भाजपा नेता ने अपने पद और पार्टी के नाम को ढंग से भाजाया है। अपने दोनों मकानों में बड़ा और अवैध बेसमेंट तैयार करवा लिया है। एक भवन जिसमे इनका माल भरा रहता है वह गुदड़ी स्थित प्राथमिक पाठशाला के ठीक पीछे है। उस भवन के बेसमेंट में ये भारी मात्रा में स्टोक रखते है। अगर कोई घटना दुर्घटना होती है तो आसपास का इलाका शमशान बन जायेगा मगर इसकी चिंता भाजपा नेता को एकदम नही है। असल में सत्ता उनकी जो है।

वही नेता जी ने अपना एक बड़ा और आलिशान मकान ठीक उस भवन के पीछे वाली रोड पर बनवा लिया है। न नक्शा और न कोई अनुमति। नेता जी ने एक बड़ा बेसमेंट यहाँ भी बनवाया है। उस बेसमेंट का उपयोग भी शुरू हो गया है। वीडीए के कर्मचारी आते है तो उनको इसी भवन के प्रथमतल पर बने अपने कथित आफिस में बैठा कर बात करते है। भौकाल के लिए उन्होंने उस आफिस में कई भाजपा के कद्दावर नेताओं का फोटो लगा रखा है। सूत्र बताते है कि कर्मचारियों के सामने फोन निकाल कर फर्जी तरीके से कान में लगाते है और डायलाग देते है “हाँ मंत्री जी, जी मंत्री जी, हो जायेगा मंत्री जी, शाम को मिलते है मंत्री जी।” कहकर फोन जेब में रखकर उसका अलग भौकाल कर्मचारियों पर जमा देते है और कर्मचारी “मंत्री जी” शब्द सुनते ही वीडीए कर्मचारियों की हिम्मत नही पड़ती है इनसे कुछ कहने की।

बहरहाल, असल में नेता जी किसी और के लिए लिखी खबर पर मुझको “जन्नत” भेजने को कह रहे थे। तो ले नेता जी अब आपके लिए ही लिख दिया है। जमकर लिखा है। अब जन्नत के साथ जहन्नम भी भेज देना। मगर एक बात कान खोले और सुन ले कि मैं अथवा मेरा कोई रिपोर्टर आपकी धमकी से डरने वाला नही है। हम जो सच है लिखेगे। आप जितनी धमकी देना हो देते रहो हम धमकी के खिलाफ आपके ऍफ़आईआर भी नही करेगे क्योकि गुरु समझो हम काम करेगे अपना, न कि थाना, चौकी, कोर्ट कचहरी करेगे। देते रहो धमकी। जानते तो नेता जी इतना आप भी हो कि आपकी पार्टी आपके अवैध कामो में साथ नही देगी नेता जी। सियासत की रवादारी सीखे। दुसरे को इस्लाम की तरबियत देना बंद करे। दिन भर जींस और टीशर्ट में घुमने वाले भी कैमरे पर टोपी और शेरवानी पहन लेते है। एक्को टाइम तो छोड़े साहब, एक नेता जी को ऐसा भी जानता हु जो जुमा तक की नमाज़ नही पढ़ते है मगर कैमरा पर बयान देना होगा तो तुरंते टोपी सर पर होती है। वैसे वो नेता आप नहीं हो आप तो माशा अल्लाह 5 वक्त की नमाज़ पढ़ते है, रात में उठ कर तहज्जुद तक पढ़ते है। ये टोपी वाला शब्द आपके लिए नही है। बल्कि उन नेताओं के लिए है जो पहनते तो टोपी अपने सर पर है मगर दुनिया को टोपी पहना देते है।

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