तारिक खान
प्रयागराज. बारिश और बांधो से छोड़े गए पानी से उफान पर आई गंगा अब रेत में दफन राज़ खोल रही है. खासतौर से कटान की वजह से रेत में दफनाए गए शवों के लगातार बाहर मिलने से नगर निगम प्रशासन के पेशानी पर परेशानी के बल पड़ गए हैं। बृहस्पतिवार को फाफामऊ घाट पर रेत में दफनाए गए 22 और शव गंगा में बहने से पहले रोक लिए गए। देर शाम तक कटान की वजह से रेत से शवों के बाहर आने का सिलसिला यहां जारी रहा। देर रात तक इस घाट पर लावारिस शवों की चिताएं लगाकर अंतिम संस्कार कराया जाता रहा। अब तक इस घाट पर 92 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है।
जोनल अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने कर्मकांड और श्राद्ध के साथ इन शवों को मुखाग्नि दी। रात को घाट पर एक लाइन से चिताएं जलती रहीं। कटान को देखते हुए अंतिम संस्कार के बाद रात को फाफामऊ घाट पर निगरानी बढ़ा दी गई। एक भी शव गंगा में न बहने पाएं, इसके लिए छह लोगों को रात भर घाट पर निगरानी करने के लिए तैनात कर दिया गया है। निगम के अफसरों का कहना है कि घाट पर कटान का दायरा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे और भी शव बाहर आ सकते हैं। इसलिए कि घाट पर रेत में अभी दर्जनों शवों के होने की आशंका जताई जा रही है।
बताते चले कि ऐसा माना जा रहा है कि कोरोना सक्रमण के दरमियान परिजनों द्वारा ये शव रेत में दफन कर दिए गए थे। ये सभी शवो की मृत्यु कोरोना से हुई कोई ये दावे से नही कह सकता है। मगर इनमे कोरोना से मृत लोग नही है ये भी दावे से नहीं कहा जा सकता है।
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