भाजपा नेता नारायण भदौरिया पद से निष्कासित, जिसको तलाश रही पुलिस उसने जारी किया अपना वीडियो, जाने मनोज सिंह और भाजपा नेता नारायण भादौरिया का अपराधिक इतिहास

तारिक़ आज़मी/आदिल अहमद

कानपुर। कानपुर में कल भाजपा नेता के बर्थ डे पार्टी मनाने आये कुख्यात पेशेवर अपराधी मनोज सिंह को गिरफ्तार करने वाली पुलिस से अभद्रता और अपराधी को छुड़ा कर भगा देने के आरोप में पुलिस ने कुल 9 लोगो पर मुकदमा दर्ज किया है। अब जब घटना के 24 घंटे से अधिक समय गुज़र चूका है। पुलिस के हाथ खाली है। इस दरमियान जिस भाजपा नेता नारायण भदौरिया को मुख्य अभियुक्त मान कर गिरफ़्तारी का प्रयास कर रही, उस भाजपा नेता ने पुलिस के प्रयास का आईना दिखाते हुवे खुद के मोबाइल से अपना वीडियो जारी करते हुवे खुद को निर्दोष बताया है।

इसी दरमियान सत्तारूढ़ दल भाजपा ने पार्टी की भद पिटते देख नारायण भदौरिया से किनारा कर लिया है। महानगर दक्षिणी से जिला मंत्री के पद पर आसीन नारायण भदौरिया को पार्टी ने उनके पद से हटा दिया है। पुलिस ने नामज़द और अज्ञात सहित कुल 19 लोगो पर मुकदमा दर्ज किया है और पुलिस ने नारायण भदौरिया को मुख्य अभियुक्त बनाया है। पुलिस के बयान को आधार माने तो नारायण भदौरिया के गिरफ़्तारी का प्रयास किया जा रहा है। मगर इसी दरमियान नारायण भदौरिया ने खुद का वीडियो अपने मोबाइल नम्बर से जारी करते हुवे खुद को निर्दोष बताया है। भले नारायण भदौरिया खुद को निर्दोष बताये मगर इस वीडियो के जारी होने पर पुलिस के प्रयासों पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।

गौरतलब हो कि नौबस्ता थाना क्षेत्र में बुधवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुलिस टीम पर हमला कर बर्रा थाने के हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह को भगा दिया था। हिस्ट्रीशीटर बीजेपी के दक्षिण जिला मंत्री नारायण भदौरिया के जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने आया था। इस दौरान बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने हमीरपुर रोड जाम कर हंगामा काटने के साथ ही पुलिस विरोधी नारेबाजी की थी।

कौन है कुख्यात पेशेवर अपराधी मनोज सिंह

बर्रा आठ निवासी हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह पेशेवर अपराधी है। उसके खिलाफ बर्रा, जूही, बिठूर व नौबस्ता में हत्या का प्रयास, चोरी, लूट, रंगदारी, धमकी, मारपीट समेत 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। मनोज सिंह ने वर्ष 2007 में अपराध की दुनिया में कदम रखा था। बर्रा पुलिस ने उसके खिलाफ मिनी गुंडा एक्ट की कार्रवाई की थी। इसके बाद उसने वर्ष 2008 में एक युवक को जान से मारने का प्रयास किया था। जिसके बाद पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई कर जेल भेज दिया था। एक साल बाद जेल से छूटने के बाद वर्ष 2010 से 2013 में उसके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए। जिसमें से दो मुकदमे जान से मारने के प्रयास के थे। वर्ष 2014 में उसके खिलाफ बर्रा थाने में मारपीट, धमकी, दुष्कर्म व एससीएसटी की धारा में एफआईआर दर्ज हुई थी।

वर्ष 2015 से 2021 तक मनोज सिंह के खिलाफ लूट, रंगदारी, चोरी, जान से मारने का प्रयास समेत अन्य धाराओं में कई मामले दर्ज हुए हैं। हाल ही में उसके खिलाफ बर्रा थाने में चोरी, हत्या का प्रयास समेत अन्य मामला दर्ज हुआ था। जिसमें वह वांछित चल रहा था। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक तीन जनवरी 2021 को एडीजी एससीएसटी एक्ट ने दलित युवती से मारपीट, धमकी और दुष्कर्म के मामले में हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह को 10 साल की सजा सुनाई थी। जमानत लेकर वह बाहर था। हिस्ट्रीशीटर के खिलाफ दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी आरोपी पुलिस से बचता रहा।

खाकी और खादी का है मनोज सिंह को संरक्षण

वैसे अपराध को खाकी और खादी का संरक्षण कोई नई बात तो नही है। मगर बिकरू काण्ड के बाद से दोनों ने ही अपराध से दुरी बना लिया है। मगर इस दरमियान सूत्र बताते है कि पुलिस और नेताओं से साठगांठ के चलते हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह के हौसले बुलंद होते चले गए है। थाने से महज 100  कदम की दूरी पर मकान होने के बाद भी पुलिस उस पर हाथ नहीं डालती थी। यही नहीं सूत्र तो यहाँ तक बताते है कि वह इलाके में होने वाली छोटी मोटी घटनाओं का चौकी में सुलह भी करवाता था।

कानपुर बुधवार को हुआ हंगामा जितना बड़ा था, उतना ही बड़ा राजनीति और अपराधी के बीच गठजोड़ का नजारा भी था। यहां चल रही एक भाजपा नेता नारायण भदौरिया की बर्थडे पार्टी में हिस्ट्रीशीटर मेहमान बनकर आया था। उसकी मेहमान नवाजी शुरू हो पाती, उससे पहले ही सटीक सूचना पर पहुंची नौबस्ता पुलिस ने उसे गेस्ट हाउस के बाहर ही दबोच कर जीप में बैठा लिया। इस पर मेजबान नेता जी तमतमाते हुए समर्थकों संग बाहर आए और पुलिस के साथ धक्कामुक्की व गाली-गलौज करते हुए जीप के आगे बैठ गए। इस बीच कुछ समर्थकों ने भीड़ का फायदा उठा हिस्ट्रीशीटर को जीप से उतारकर भगा दिया।

नारायण भदौरिया के खिलाफ भी दर्ज है अपराधिक मामले

नैतिकता के पाठ की दुहाई देने वाली भाजपा के नेता भी अपराधिक इतिहास रखे हुवे है। हम बताते चले कि जब तक सम्मानित अदालत किसी को दोषी नही मानती है तब तक उसको दोषी नही कहा जा सकता है यह हम भी मानते है। मगर पुलिस रिकार्ड में दर्ज मुकदमो की बात करे तो भाजपा ने जिला मंत्री पद पर आसीन बैठे नारायण भदौरिया का भी अपना अपराधिक इतिहास रहा है।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार भाजपा के दक्षिण जिला मंत्री नारायण सिंह भदौरिया के खिलाफ भी आधा दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। जिसमें वर्ष 2006 में किदवईनगर में गाली गलौज, मारपीट, धमकी व वर्ष 2012 में बाबूपुरवा थाने में मारपीट, धमकी की रिपोर्ट दर्ज है। वहीं वर्ष 2013 में आत्महत्या के लिए प्रेरित करने, धमकी समेत अन्य मामले दर्ज हुए थे। इसके अलावा वर्ष 2017 में लखनऊ के गाजीपुर थाने में जान से मारने के प्रयास समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। जिसमें नारायण सिंह भदौरिया वांछित चल रहा था। मामले में लखनऊ की सीजेएस कोर्ट ने बीजेपी नेता के घर की कुर्की के आदेश दिए थे, लेकिन राजनीतिक पहुंच के चलते बीजेपी नेता की ना तो गिरफ्तारी हुई और ना ही घर की कुर्की की गई थी। शायद इसको ही सत्ताधारी दल का नेता होने का फायदा कहते है। आज इतना समय बीतने के बाद भी कुर्की की कार्यवाही अथवा गिरफ़्तारी न होना एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाता है।

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