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डीएम साहब, बाढ़ग्रस्त सालारपुर के चमेलिया बस्ती का हाल है बेहाल, कुछ इमदाद की नज़र इधर भी हो जाए

शाहीन बनारसी/मो0 सलीम

वाराणसी। गंगा का जलस्तर  बढ़ने के कारण वरुणा में उलट प्रवाह से वरुणा तट के इलाके बाढ़ ग्रस्त हो चुके है। इस दरमियान सरकारी सहायता की किसी तरीके की जानकारी अभी तक सामने नही आई है। यहां तक की बाढ़ चौकी की स्थापना कहा हुई है इसकी भी जानकारी बाढ़ प्रभावित लोगो को अभी तक नही हो पाई है। हालात-ए-सैलाब का जायज़ा लेने आज हमारी टीम सालारपुर के चमेलिया बस्ती का रुख कर बैठी।

चमेलिया बस्ती सालारपुर पंजाबी अस्पताल के पहले चौराहे से दाहिने दस कदमो की दुरी पर मुख्य मार्ग से थोड़ा ही अंदर है। अन्दर जाते कई तिरपाल लगे दिखाई दे रहे थे। ये बाढ़ पीड़ित वो लोग है जिनके आशियाने बाढ़ के पानी मे प्रभावित है। इलाके में एक तल्ले के भवन पानी के अंदर समा चुके है। लोगो के दिलो दिमाग मे 2013 में आई बाढ़ की दहशत बसी हुई है। यही नही घरों में होने वाली चोरियां भी इनके खौफ को और बढ़ा रही है।  तिनका तिनका जोड़ कर आशियाना बनाने वालों की ज़िंदगी की मेहनत जहां पानी मे डूबी हुई है वही उनके ऊपर निगाह आपदा का अवसर तलाशते चोरों की भी है। जो इस मुसीबत में घिरे लोगो के लिए एक और मुसीबत होती है। रातों को जाग कर बाढ़ में घिरे अपने घरों की हिफाज़त करना अब उनकी मजबूरी है।

हमसे बात करते हुवे बाढ़ पीड़ित परिवार के गुलजारी ने बताया कि बाढ़ में खुद की दाल रोटी का इंतज़ाम करना मुश्किल हो जाता है। उस पर से चोरी होने का डर सताता रहता है। घरों में गृहस्ती का सामान बाढ़ के पानी के भेंट चढ़ जाता है। ज़िन्दगी की कमाई इस हालत में देख कर आंसू निकल आते है। एक अन्य बाढ़ प्रभावित परिवार के मोहित ने हमसे बात करते हुवे कहा कि जनप्रतिनिधियों के तरफ से आज तक कोई सहायता कभी नही मिली। वोट लेने के समय दिखाई देने वाले चेहरे दुबारा हाल पूछने नही आते है। तिनका तिनका जोड़ कर इस आशियाने को हम बनाकर भी आज बेघर है। एक अन्य बाढ़ पीड़ित विनोद ने बताया कि 2013 से लेकर आज तक हर बार बाढ़ का प्रकोप हम लोग झेलते है। अखबारों की खबरों में पढ़ते है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत सामग्री लोगो ने बाटा। आज तक इस इलाके में कोई भी सहायता देने नही आया। सरकार के तरफ से क्या सहायता आती है, किसको मिलती है, ये आज तक इस पूरे बस्ती के लोगो को नही मालूम है। दिन भर सगड़ी चलाता हु, रात को दो जून की रोटी इंतज़ाम होती है। बाढ़ के कारण उस पर भी असर पड़ जाता है। कभी मिल गई तो खाया, नही मिल पाई तो भूखा सो जाना हमारे नसीब में इस वक्त लिखा हुआ है।

PNN24 न्यूज़ और हाजरा हॉस्पिटल के सौजन्य से बटी राहत सामग्री

इस इलाके की हालात ने हमारी इंसानियत को झकझोर दिया। हमने अपने सहयोगी हाजरा हॉस्पिटल के अधिष्ठाता डॉक्टर आरिफ अंसारी से राब्ता कायम किया और डॉ0 आरिफ अंसारी के महत्वपूर्ण सहयोग से हमारे द्वारा बाढ़ प्रभावित 25 परिवारों को राहत सामग्री वितरित किया गया। मदद के वक्त किसी का फोटो खींचना हमारे उसूलों के खिलाफ हमेशा रहा है। मगर इस बार फ़ोटो खींचना हमारी मजबूरी बन गई।

हमारी दी हुई सहायता ऊंट के मुह में जीरा समान ही हैं। हम महज़ 25 परिवारों तक ही राहत सामग्री पहुचा पाये है। इस इलाके में अभी भी 50 परिवार ऐसे है जिनको राहत सामग्री की आवश्यकता है। हम समाज के जागरूक नागरिकों और समाजसेवियों से अपील करते है कि वह आगे आये और अन्य बाढ़ पीड़ित इलाको के साथ इस इलाके का भी दौरा करे। हमने सहायता सामग्री लेने वालों की पहचान गुप्त रखने के लिये उनके चेहरों को छिपाने की कोशिश किया है।

राहत सामग्री वितरित करने वालो में PNN24 न्यूज़ के प्रधान सम्पादक तारिक़ आज़मी, ए0 जावेद, मो0 सलीम, शाहीन बनारसी, खुर्शीद, ज्योति ठाकुर आदि मौजूद रहे।

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