डेंगू के कहर से खौफज़दा होता काशी : बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 मोहम्मद आरिफ अंसारी ने बताया बच्चो को डेंगू से बचाने का तरीका

शाहीन बनारसी

भारत में डेंगू काफी आम है। यह बताया नहीं जा सकता कि पूरे देश में कितने शिशु व बच्चे डेंगू से प्रभावित होते हैं, मगर एक राज्य में डेंगू के तकरीबन पांच मामलों में एक मामला शिशुओं का होता है। नवजात शिशुओं में डेंगू होना आम नहीं है, मगर यदि मां डेंगू की वजह से काफी बीमार हो तो प्रसव के दौरान शिशु तक डेंगू पहुंचने की संभावना होती है। डेंगू बुखार, भारत में मच्छरों की वजह से होने वाली सबसे आम बीमारी है। ख़ासतौर से वाराणसी जनपद में डेंगू का कहर जारी है।

हमने बच्चो में डेंगू के सम्बन्ध में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 आरिफ अंसारी से बातचीत किया। उन्होंने हमसे बात करते हुवे इसके लक्षणों के सम्बन्ध में बताया कि आमतौर पर बुखार और चकत्ते हो सकते है। डेंगू फीवर से पीड़ित व्यक्ति करीब 10 दिनों तक बीमार रहता है, और जल्दी पता चल जाने और सही उपचार से ठीक हो जाता है। उन्होंने बताया कि डेंगू चार प्रकार का होता है जो एक-दूसरे से संबंधित है। मगर अलग-अलग विषाणुओं (डेन-1, डेन-2, डेन-3 और डेन-4) की वजह से होता है।

डेंगू कैसे फैलता है?

डेंगू फैलने के कारण पर हमसे विस्तार से बात करते हुवे बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 मोहम्मद आरिफ अंसारी ने बताया कि डेंगू का विषाणु मादा टाइगर मच्छर के काटने से फैलता है। यही मच्छर चिकनगुनिया का कारण होता है और यह अन्य बीमारियां भी फैलाने की क्षमता रखता है। अन्य मच्छरों के भिन्न, डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन में काटते हैं। ये मच्छर तड़के सुबह और शाम ढलने से पहले सबसे ज्यादा सक्रिय होते हैं। ये मच्छर गर्म, आर्द्र मौसम और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसी वजह से बारिश के दिनों और मानसून में डेंगू के मामले ज्यादा होते हैं।

क्या है बचाव के तरीके

डॉ आरिफ ने हमसे इस सम्बन्ध में विस्तार से बात करते हुवे बताया कि अपने आसपास पानी न इकठ्ठा होने दे। पानी टंकी की नियमित रूप से सफाई करे। ओडोमास मच्छरों से बचने के लिए काफी प्रभावी होता है। इसका प्रयोग किया जा सकता है। साथ ही घर में साफ़ सफाई रखे। खासतौर पर घर के कोनो में सफाई जहा अक्सर गर्दा स्टोर हो जाती है की सफाई रोज़मर्रा करे। खाने में फ्रूट्स का सेवन करे। खाली डिब्बों या पुराने गमलों को हटा दें, इनमें पानी जमा हो सकता है, खासकर कि मानसून के मौसम में। कूलर, खुले नालों, छोटे तालाबों और पानी इकट्ठा होने के अन्य स्थानों पर मिट्टी के तेल की कुछ बूंदें डाल दें।

उन्होंने बताया कि घर के बाहर नीम के पत्तों या नारियल की छाल जलाने से मच्छरों को दूर रखने में मदद मिल सकती है। घर के आसपास और आस-पड़ोस में मच्छर मारने वाले धुएं के नियमित छिड़काव से भी मच्छरों का पनपना रोका जा सकता है। डेंगू के खिलाफ टीका मौजूद है, मगर अभी भारत में इसका परीक्षण नहीं हुआ है, इसलिए यह अभी यहां उपलब्ध नहीं है। यह टीका नौ साल से कम उम्र के बच्चों के लिए नहीं है। बच्चे को एक बार डेंगू होने के बावजूद भी उसे इससे जुड़े तीन अन्य तरह के डेंगू विषाणुओं से प्रतिरक्षा नहीं मिलती है। वास्तव में, इसके बाद उसे भविष्य में अन्य तीन तरह के डेंगू विषाणुओं से डेंगू होने का खतरा बढ़ जाता है

डॉ आरिफ ने बताया कि अगर डेंगू का इलाज न कराया जाए तो यह गंभीर डेंगू का रूप ले सकता है, जिसे डेंगू हैमरेजिक फीवर (डीएचएफ) भी कहा जाता है। इसके लक्षण सामने आने के तीन से सात दिन के अंदर आपके बच्चे के शरीर का तापमान घटने लग सकता है, मगर अन्य गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:

शिशुओं और बच्चों में डेंगू बुखार के क्या लक्षण हैं?

 डॉ आरिफ अंसारी ने बताया कि शिशुओं और बच्चो में डेंगू होने पर भी इसके कोई लक्षण सामने नहीं आते। शिशुओं और छोटे बच्चों में इसके लक्षण अक्सर हल्के होते हैं। शिशुओं और बच्चों में डेंगू के लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर वायरल बीमारी के लक्षणों की तरह ही होती है, जैसे कि शरीर का बढ़ा हुआ तापमान जो कि करीब एक हफ्ते तक रहे। शरीर का कम तापमान (96.8 डिगी फेहरनहाइट से कम)साथ ही, बच्चों में चिड़चिड़ापन और अशांत, काफी उत्तेजित या उनिंद्रा, सामान्य से अत्याधिक रोना, मसूढ़ों या नाक से खून आना या खरोंच लगना, चकत्ते होना, हर दिन तीन या इससे ज्यादा बार उलटी होना आदि मुख्य लक्षण है।

 उन्होंने बताया कि वही बड़े बच्चों को तेज बुखार, जो आता-जाता रहे, आंखों के पीछे दर्द, जो कि आंखों को घुमाने पर और अधिक होता हो, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में दर्द, तेज सिरदर्द, उनकी त्वचा पर लाल और सफेद धब्बेदार चकत्ते हो सकते हैं। भूख न लगना, मिचली, उलटी आदि है। डेंगू होने पर अधिकांश लोग काफी कमजोरी महसूस करते हैं। बीमारी के बाद भी थोड़े समय तक यह कमजोरी रह सकती है।

 डॉ आरिफ ने विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि अगर आपके बच्चे को बुखार और त्वचा पर चकत्ते हों या फिर जोड़ों में दर्द हो, तो अपने डाक्टर से तुरंत संपर्क करें। डेंगू और चिकनगुनिया के लक्षण एक समान ही होते हैं, इसलिए डॉक्टर सही बीमारी का पता लगाने के लिए खून की जांच करवाने के लिए कह सकते हैं। डेंगू का कोई निश्चित इलाज नहीं है, मगर लक्षणों को कम करने के लिए उपचार किया जाता है। बुखार व जोड़ों के दर्द में आराम के लिए डॉक्टर पैरासिटामोल दे सकते हैं। बच्चे को आईब्रूप्रोफेन या कोई प्रज्वलनरोधी (एंटी इनफ्लेमेटरी) दवाएं नहीं दें, क्योंकि डेंगू की वजह से खून में प्लेटलेट्स का स्तर घट जाता है और इससे रक्तस्त्राव हो सकता है। आईब्रूप्रोफेन और अन्य प्रज्जवलरोधी दवाएं भी खून पर इसी तरह का प्रभाव डालती हैं, जिससे की समस्या और गंभीर हो सकती है।

 उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त कुछ अन्य उपाय अपनाया जा सकता है जैसे  सुनिश्चित करें कि शिशु को पर्याप्त आराम मिले। उसे खूब सारा तरल पिलाएं और हल्के और पौष्टिक भोजन दें। स्तनपान करने वाली शिशुओं को बार-बार स्तनपान करवाते रहना चाहिए। स्तनदूध अन्य महत्वपूर्ण तरल पदार्थों की कमी पूरी करता है, जिससे की शरीर में पानी की कमी से बचा जा सकता है। थोडे बड़े शिशुओं और बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्ट्स (ओआरएस) की जरुरत हो सकती है, ताकि शरीर में तरल, लवण और शक्कर की कमी पूरी हो सके। बुखार कम करने के लिए हर थोड़ी देर में गीली पट्टियां उसके माथे पर रखें। डेंगू बुखार 10 दिन तक रह सकता है, मगर कुछ लोगों में एक महीने तक थकान बनी रह सकती है।

 

 

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