तारिक आज़मी की मोरबतियाँ : मस्जिद दो नीम कंगुरा (ढाई कंगुरा) में लगी विवादों की सोलर लाइट, किसी को वोटो के सियासत की चाहत, तो किसी को चाहिए इलाकाई हुकूमत, बस हो गयी ढिशुम-ढिशुम 

तारिक आज़मी 

वाराणसी। वाराणसी के ज़ेर-ए-गुलर (चौहट्टा लाल खान) स्थित मस्जिद दो नीम कंगुरा यानी ढाई कंगुरा वैसे तो एक ऐतिहासिक मस्जिद है और चर्चित ईदगाह है। पुरातन महत्त्व रखने वाली इस मस्जिद/ ईदगाह के कई ऐतिहासिक महत्व है। अमूमन लोग इसको जिन्नाती मस्जिद भी कहते है। इस मस्जिद में दो पुरे कंगूरे और एक आधा कंगुरा है। जिसके कारण इसको दो नीम कंगुरा का नाम दिया गया है। बताते चले कि कदीमी उर्दू अदब में नीम का मायने आधे से होता है, इसीलिए इसको बोल-चाल की भाषा में लोग ढाई कंगुरा मस्जिद भी कहकर पुकारते है। ऐतिहासिक महत्व की इस मस्जिद शहर के ज़ेर-ए-गुलर इलाके में स्थित है।

तारिक आज़मी
प्रधान सम्पादक

आज कल ये मस्जिद क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। इसका कारण इस मस्जिद का ऐतिहासिक महत्व नहीं बल्कि मस्जिद में लगी 2 सोलर लाइट है। विगत दिनों मस्जिद में साफ़-सफाई का काम चल रहा था। अमूमन इस मस्जिद को फण्ड की कमी नहीं होती है क्योकि इस मस्जिद में किराये के पैसो से भी खर्च चल जाता है। रौशनी, लाइट, इनवर्टर, पंखा आदि सभी सुविधाए मस्जिद में उपलब्ध है। क्षेत्र के एक सज्जन बोड़ा खान बड़े मियां बनकर इलाके के पार्षद के पास पहुँच जाते है, और उनसे मस्जिद के अन्दर विधायक कोटे की 2 सोलर लाइट लगवाने का आग्रह आकर देते है। पार्षद महोदय को इलाके का भारी मुस्लिम वोट दिखाई देता है और वह अपने कोटे की दोनों सोलर लाइट इस मस्जिद में लगवा देते है। जिसके बाद शुरू होती है विवादों कि पटकथा।

हर सोलर लाइट के साथ प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की तस्वीर भी लगती है, तो इन दोनों लाइट के साथ भी यह तस्वीर लगी। अब मुस्लिम धर्म के विश्वास के अनुसार मस्जिद में किसी की भी तस्वीर नहीं होती है। ये तस्वीरे धीरे-धीरे क्षेत्र में सुगबुगाहट का कारण बढ़ जाती है और एक दुसरे से बतकही शुरू हो गयी। जिसके बाद दो गुट भी तकसीम हो गया। एक गुट तस्वीर का विरोध कर रहा था तो दूसरा गुट हुकूमत की सियासत, किसी को मुतवल्ली बनना है तो किसी को वसूलो की बात। किसकी को खजांची होना है, तो कोई सियासी हुकूमत चाहता है। सियासत अपने अरमानो को भी समेटे सामने आ गई और क्षेत्र के वोटो की शहंशाही दाव पर लग गई।

बतकही बढ़ी, मामला का मुख्य मुद्दा यही था कि मस्जिद में सोलर लाइट की जब कोई जरुरत ही नहीं थी तो आखिर क्यों लगवाई गयी। बात बढ़ते-बढ़ते आवाज़े तेज़ होने लग गयी। इसी दरमियान साड़े तीन फुट के बैंगन डॉन चिंघाड़ पड़े कि “मस्जिद में ताला बंद करवा देंगे।” अब साड़े तीन फुट के बैंगन डॉन का जब लोगो ने ये फरमान सुना तो साबूदाना गिरस उनका समर्थन करने लग गये। खून आखिर खून को पुकार रहा था। अब साबूदाना गिरस और बैंगन डॉन के साथ सोलर लाइट लगवाने के लिए पार्षद के पास जाने वाले बोड़ा खा एक पाले में खड़े हो गये, और दुसरे पाले में बकिया लोग रहे। बतिया खूब बढ़ी। मार कचर-पचर होए लगी, तब्बे टक्कर गिरस जूता उठाकर साबूदाना गिरस के दौड़ा लिहीन। उ तो बढ़िया भवा कि बीचे में गजोधर चच्चा पकड़ लिहीन और बतिया खाली तनी तुनि ढिशुम-ढिशुम तक सीमित रह गयी। नाही तो जूतम पैजार हो गई होती। यहाँ गजोधर चच्चा का योगदान बहुते बढ़िया रहा।

माहौल बिगड़ता देख तीन फुट के बैंगन गिरस, बोड़ा खा, साबूदाना गिरस मौके से निकल लिए। मार गुस्सा के साबूदाना गिरस उजाला मियां को लेकर पहुँच गये पुलिस चौकी। चौकी इंचार्ज कुंवर अंशुमन सिंह ने पहले पूरा मामला समझा, उसके बाद दोनों पक्षों को ढंग से समझा दिया कि गुरु सोलर लाइट लगे चाहे न लगे, कोई सियासत करे या फिर कोई हुकूमत करे। हमारे क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम रहनी चाहिए। अगर शान्ति व्यवस्था में खलल हुआ तो खलल डालने वाले को ढंग से समझा दिया जायेगा। दुन्नो पक्ष समझ गये और अपने-अपने घर चले गये। दु रोटी खाके, सबर का पानी पीके सूत गये। सोलर लाइट लगी भई है, और क्षेत्र में सियासत का बाज़ार गर्म है। हर नुक्कड़ पर टक्कर मिया का जिक्रो फिक्र हो रहा है तो साबूदाना गिरस अपने साढ़े तीन फुट के बैगन डॉन और बोड़ा खान के साथ अलग थलग पड़ गये है। पूरा मुहल्ला एक तरफ हो गवा है। गजोधर चच्चा गजबे का बीच बचाव करके दुन्नो पक्ष की सुन रहे है।

अब सुनने में आवा है कि कमेटी भंग होई गई है। कमेटी में अब मुतवल्ली बदला जायेगा। मुतवल्ली की तलाश जोरो शोरो से चल रही है। साबूदाना गिरफ अपना आदमी मुतवल्ली बनवाना चाहते है। वही बोड़ा खान की चाहत है कि मुतवल्ली उनके केहू बना दे। इधर गजोधर चच्चा की चाहत में सांस फुल रही है कि मुतवल्ली ऊ बन जाये तो मजा आ जाये गुरु। सब मिलाकर क्षेत्र में सियासी वर्चस्व बनाने की जद्दोजेहद भी जारी है। इन सबके बीच पार्षद महोदय बकरा बन गये। न खुद ही मिला न रिसाले सनम की तरह दुन्नो पक्ष उनसे बुरा मान बैठा है।

बस ऐसे ही मज़ा लेने के लिए लिख दिया ताकि आप पढ़े और ज़रा सा हंस ले, मुस्कुरा ले, बकिया सब खैरियत है। फ्री की सोलर लाइट मस्जिद में लगी हुई है। सियासत के प्यादे चल रहे है। आपसी तनातनी केवल घुरी घुरौव्वल तक रह गई है। एक दो दिन में वो भी खत्म हो जायेगी। हाथो में आया जूता वापस पैरो में पहना जा चूका है। टक्कर मिया, साबूदाना गिरफ, साढ़े तीन फुट के बैगन डॉन, बोड़ा खान सब दरोगा की डांट सुनकर अब शांति से बैठ गए है। वैसे डिस्क्लेमर लिखेते चले कि इस लेख का उद्देश्य केवल आपको हंसी दिलवाने के लिए है। इसका किसी जीवित अथवा मृत व्यक्ति से कोई सबंध नही हिया।

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