बोल शाहीन की लब आज़ाद है तेरे : इल्म और तालीम उम्र या मज़हब की मोहताज नही, जाने क्यों मनाया जाता है शारदीय नवरात्र

शाहीन बनारसी

इल्म और तालीम किसी उम्र और मज़हब की मोहताज नही होती है। अगर इल्म पाने की जद्दोजेहद रगों में हो तो इल्म कही से भी हासिल किया जा सकता है। इसके लिए हमारा मज़हब या फिर हमारी उम्र अगर बंदिशे बनाती है तो बेशक वह बंदिश हमारी सोच की बंदिश होगी। बहरहाल हम मुद्दे पर ही रहते है। हमारा मादर-ए-वतन हिन्दुस्तान अमन-ओ-आमान का देश है। यहां पर विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाये जाते है बल्कि इसको त्योहारों का देश कहा जाता है। यहां अनगिनत धर्मो के लोग रहते है और सभी एक-दुसरे का त्यौहार मिल जुल कर मनाते है। हमारे मुल्क हिन्दुस्तान में छोटे से छोटे त्योहारों को भी बड़े ही धूम-धाम से सेलिब्रेट किया जाता है। हमारे यहां तो छोटी छोटी खुशियों को भी बड़े ही अच्छे ढंग से और धूम-धडाके के साथ मनाया जाता है।

हमारे देश में ईद-उल-फ़ित्र की सेवई जगदीश और मोहन के दूकान से आती है तो दीपावली की मिठाई शफीक और कलीम से खरीदी जाती है। दिवाली के पटाखे राशिद मियां के साथ जलाए जाते है। तो ईद की सिवई जय प्रकाश और संजय के साथ खाई जाती है। हमारे मुल्क में त्यौहार ही नहीं बल्कि एकता और प्रेम का भी समावेश मिलेगा। इसी खूबी और एकता के कारण ही तो जो आता है हमारे मुल्क का होकर, यही रह जाना चाहता है। दुनिया का है नगीना, आते है लोग हमारे मुल्क में गुज़ारने चंद दिन और रह जाते है साल और महिना।

अब आज से शारदीय नवरात्र शुरू हो गया है। सुबह से आपकी आखे नवरात्र के बधाई सन्देश से थक रही होंगी तो मोबाइल के डाटा भी खत्म ऐसे स्टीकर को डाउनलोड करके हो रहे होंगे। हमने इस शारदीय नवरात्र के सम्बन्ध में जानकारी इकठ्ठा किया और आज आपसे उसको साझा कर रही हु। हमारा मकसद सिर्फ इतना है कि मुहब्बत के इस मुल्क हिन्दुस्तान में शाहीन शारदीय नवरात्र के महत्व को बताये तो शालिनी रमजान की फ़ज़ीलत बताये। क्या आप जानते है कि शारदीय नवरात्रि क्यों मनाया जाता है। आइये हम आपको इस त्यौहार से अवगत कराते है।

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक शारदीय नवरात्रि हर साल शरद ऋतु में अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होते हैं और इसका विशेष महत्व है। इस साल शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे हैं। नवरात्रि में नौ दिनों तक भक्त मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं और मां को प्रसन्न करने के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि नौ दिनों तक भक्तिभाव से मां दुर्गा की पूजा करने से वह प्रसन्न होकर भक्तों के सभी कष्ट हर लेती हैं। नवरात्रि के पहले दिन मंदिर साफ करके वहां कलश स्थापना की जाती है। लेकिन क्या आप जानते है ​कि नवरात्रि क्यों मनाए जाते हैं और इसका क्या महत्व है।

हिंदू धर्म में नवरात्रि एक साल में चार बार आते हैं लेकिन चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। ​हिंदू नववर्षक की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से मानी जाती है। वहीं शारदीय नवरात्रि का भी अलग महत्व है। कहा जाता है कि शारदीय नवरात्रि धर्म की अधर्म पर और सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन्हीं नौ दिनों में मां दुर्गा धरती पर आती है और धरती को उनका मायका कहा जाता है। उनके आने की खुशी में इन दिनों को दुर्गा उत्सव के तौर पर देशभर में धूमधाम से सेलिब्रेट किया जाता है। श्रध्दालु पहले दिन कलश स्थापना कर इन नौ दिनों तक व्रत-उपवास करते हैं।

नवरात्रि मनाए जाने को लेकर दो पौराणिक कथाएं प्रचलित है। पहली कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षक ने ब्रह्मा जी को प्रसन्न कर उनसे वरदान मांगा था कि दुनिया में कोई भी देव, दानव या धरती पर रहने वाला मनुष्य उसका वध न कर सके। इस वरदान को पाने के ​बाद महिषासुर आतंक मचाने लगा। उसके आतंक को रोकने के लिए शक्ति के रुप में मां दुर्गा का जन्म हुआ। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध चला और दसवें दिन मां ने महिषासुर का वध कर दिया।

दूसरी कथा के अनुसार जब भगवान राम लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे तो उससे पहले उन्होंने मां भगवती की अराधनी की। भगवान राम ने नौ दिनों तक रामेश्वर में माता का पूजन किया और उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें जीत का आर्शीवाद दिया। दसवें दिन राम जी ने रावण को हराकर लंक पर विजय प्राप्त की थी। तभी तक विजयदशमी का त्योहार मनाया जाता है।

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