कमिश्नर साहब, वन वे का यह क्रांतिकारी कदम सच में बड़ा घुमावदार है, आखिर ज़मीनी हकीकत से रूबरू तो हो जाता वाराणसी यातायात पुलिस विभाग, समस्या का निस्तारण इस तरीके से भी हो सकता था

ए जावेद संग शाहीन बनारसी

वाराणसी। वाराणसी यातायात विभाग ने अब भूलभुलैया की तरह घुमाने का मन बना रखा था। शहर को जाम के झाम से निजात दिलाने के प्रयास में और भी जाम के झाम में इस क्रांतिकारी कदम ने झोक दिया है। बिना ज़मीनी समस्याओं को जाने यातायात विभाग द्वारा क्रांतिकारी कदम उठाने का प्रयास आम जनता के ऊपर ही भारी पड़ने लग रहा है।

वाराणसी की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए वाराणसी के बेनिया तिराहे को वन वे करने का प्रयास काफी घुमावदार साबित हो रहा है। एक तिराहे को जाम के झाम से निजात दिलाने के लिए दो जगह भीषण जाम का झाम फ़ैल गया। बेनिया तिराहे पर बैरिकेट करने के पहले यातायात विभाग ने शायद ज़मीनी हकीकत से रूबरू खुद को करवाना ज़रूरी नही समझा था। अब बैरीकेट के कारण थोड़ी दूरी को शतक लगाने के लिए बेचैन पेट्रोल को फुक कर घूम-घूम कर जाना पड़ेगा।

इस बैरिकेट से आपको अगर पियरी होते हुवे चेतगंज जाना है तो आपको नई सड़क होते हुवे कोदई चौकी जाना होगा फिर वहा से युटर्न लेकर वापस आपको चेतगंज आना पड़ेगा। ये तो थोडा कम कष्टकारी है। इससे अधिक तो आपको पियरी आने के लिए जूझना पड़ेगा। अगर आपकी बेनिया होते हुवे पियरी जाना है तो आपको बेनिया से चेतगंज सेनपुरा जाकर वहा से युटर्न लेना पड़ेगा फिर आप पियरी आ सकते है। हद तो तब हो गई है कि इस बैरिकेट के कारण पहले जो एक जगह बेनिया पर ही जाम लगता था अब वह दो जगह और भी बढ़ गया और सेनपुरा तथा कोदई चौकी पर भी भीषण जाम लगने लगा।

सबसे ज्यादा दिक्कत मय्यत को रहीम शाह तकिया पर ले जाने के लिए हो रही है। रहीम शाह कब्रिस्तान पर जाने के लिए मय्यत को लेकर लोगो को आज लम्बा चक्कर लगाना पड़ा। इस बैरिकेट व्यवस्था से आसपास के दुकानों में भी कारोबार का नुक्सान दिखाई पड़ रहा है। इस इलाके से होकर अगर मरीज़ को लेकर कबीर चौरा जाना है तो मरीज़ के साथ इस घुमावदार चक्कर के ही चक्कर में इंसान फंसा रह सकता है। बेशक इसका कुछ और भी निराकरण किया जा सकता था। मगर हकीकत में उसके लिए थोडा मेहनत और करना पड़ता।

क्या हो सकता था इसका आसान निस्तारण

ख़ास तौर पर अगर ध्यान दे तो ये तिराहे पर जाम का झाम बेतरतीब खड़े ऑटो रिक्शा और टोटो के कारण हो जाती है। शहर में 4500 ऑटो और इतने ही टोटो होने की बात किया जाता है। मगर अगर गिनती किया जाए तो कई हज़ार ऐसे ही चल रहे है। यदि इसको नियंत्रित किया जाता तो शायद ये समस्या ही उत्पन्न नही होती।

इस समस्या को समाधान करने के लिए खडी हुई एक और समस्या को अब यातायात विभाग कैसे हल करता है वह देखना होगा। वैसे सलाह देखी जाए सुझबुझ की तो जिस स्थान पर बेनिया बाग़ में तिब्बत मार्किट लगी है उस मार्किट को सनातन धर्म स्कूल अथवा नया कही आसपास स्थानांतरित करके वहा ऑटो, टोटो स्टैंड के साथ अस्थाई पार्किंग बना दिया जाए। जिससे इस सड़क पर वाहनों का लोड कम होगा। इसके बाद इसका पालन सख्ती से करवाया जाए। किसी भी ऑटो और टोटो को सड़क पर सवारी उतारने और बैठने से रोक दिया जाए। सड़क खुद-ब-खुद चौड़ी हो जाएगी और यातायात दुरुस्त हो जायेगा।

थोडा कोशिश अतिक्रमण पर नियंत्रण हेतु भी किया जा सकता है। नो वेंडिग ज़ोन इस पूरी रोड को बना कर यहाँ के पटरी और खोमचे व्यवसाईयो को बेनिया बाग़-सराय रोड पर तरतीब के साथ कर दिया जाए। तो जाम की समस्या का निजात और भी मिल जायेगा। मगर यातायात पुलिस और अन्य सम्बंधित विभाग इस थोड़ी मेहनत के बजाये आम जन को घूम-घूम घुमाओ में डालना बेहतर समझता है। सडको पर यातायात पुलिस बेशक पसीने बहाती है। मगर उनकी जितनी संख्या होनी चाहिए वह कम है। नियमो का अगर पालन हो तो हमारा शहर बनारस बेशक काफी खुबसूरत है।

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