महिला सुरक्षा कानून का दुरूपयोग (भाग – 2) : कभी सीमा बनी अब पाण्डेय, पहले बन चुकी है कभी तिवारी और कभी त्रिपाठी, कभी प्रीतो और कभी प्रीती, एक महिला, दर्ज करवाए हुवे मुकदमो में नाम अलग अलग

शाहीन बनारसी

कल हमने अपनी इस सीरिज़ के पहले भाग में बताया था कि किस प्रकार से रेलवे कर्मचारी अनिल कुमार पाण्डेय की सड़क दुर्घटना में हुई मौत एक संदिग्ध मौत है। बेशक अगर आप कार से कही जा रहे है, तो वापस भी कार से आयेगे। मगर इस प्रकरण में अनिल कुमार पाण्डेय घर से गये कार से थे, मगर वापस वह ऑटो रिक्शा से आ रहे थे, जो एक बड़ी शक की सुई इस दुर्घटना पर खडी करते है। इस दुर्घटना के कारण अनिल कुमार पाण्डेय जो रेलवे में ऑडिटर की पोस्ट पर तैनात थे कि मौत हो गई थी। सबसे बड़ा शक इस दुर्घटना के कुछ ही देर बाद ही मौके पर पहुची एक महिला जिसने खुद को उनकी पत्नी बताया था के गतिविधि ने पैदा कर दिया था। साथ ही साथ इस महिला का दावा कि वह अनिल कुमार पाण्डेय की पत्नी है, बड़ा शक पैदा करता है।

महिला सुरक्षा कानून का दुरूपयोग (भाग -1) : कभी सीमा बनी पाण्डेय तो कभी तिवारी और त्रिपाठी, और कभी प्रीतो और प्रीती, संदिग्ध है मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में हुई रेलवे कर्मचारी अनिल पाण्डेय की मौत

दरअसल, हर वो शख्स जो अपराध से सम्बन्धित पत्रकारिता विगत एक दशक में किया होगा वह इस महिला को पहचान रहा होगा। चर्चित ही नही बहु चर्चित इस महिला के साथ विवादों का बड़ा नाता रहा है। जाने पहचाने चेहरे वाली इस महिला के सम्बन्ध में हमको जानकारी जुटाने के लिए काफी ख़ाक छनना पड़ा है। कभी पडरौना तो कभी मिर्ज़ापुर जैसे शहरों की ख़ाक छानने के बाद हमको इस महिला के सम्बन्ध में जो जानकारी निकल कर सामने आई वह वाकई चौकाने वाली है। इसके द्वारा लगाए गए अब तक के आरोपों पर नज़र डाले तो इसके खुद के सम्बन्ध में ये तो बात साफ़ हो जाती है कि महिला सुरक्षा के लिए बने कानूनों का जमकर इसने दुरूपयोग किया है। सिर्फ एक जनपद नही हमारी जानकारी में हमारे पास उपलब्ध साक्ष्यो के आधार पर इसने तीन जनपद में अपने नाम का कोहराम मर्दों की ज़िन्दगी में मचाया है।

कई नाम की मालकिन है यह महिला

इस महिला के सम्बन्ध में जो तथ्य हमारे तफ्तीश में सामने आये वह चौकाने वाले है। एक महिला के ही कई नाम है। कभी यह पाण्डेय बन जाती है, तो कभी त्रिवेदी, कभी तिवारी तो कभी प्रीती। इससे भी मन इसका नहीं भरता है तो तो ये प्रीतु बन कर भी लोगो की ज़िन्दगी में कोहराम मचा चुकी है। हमशा हरी डाल यानी आरोप जिस पुरुष पर लगाना है उसके आर्थिक स्थिति की बढ़िया अवलोकन करती है। आर्थिक रूप से मजबूत पुरुषो के संपर्क में आकार उनके ऊपर गंभीर आरोप इसके पहले भी इसने लगाया है।

इसके आरोपों की तफ्तीश अगर करे तो इसके द्वारा अब तक सरकारी आकड़ो में घोषित पति नही बल्कि पतियों की लिस्ट है। पहले अचुत्यानंद नन्द पाण्डेय, फिर जितेन्द्र तिवारी, उसके बाद दद्दन दुबे, फिर अखिलेश दुबे और अब अनिल कुमार पाण्डेय को अपना पति सरकारी आकड़ो में बता चुकी है। इन बातो का साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध है। ये वो मामले है जो हमारे प्रकाश में आ चुके है। बकिया मामले इतने ही है इसकी भी हम गारंटी नही ले सकते है। कोई दावा नही है कि इससे अधिक भी लिस्ट नही होगी। हो सकता है कि कुछ जनपद हमारी तफ्तीश में छुट चुके हो। दो माह से लगातार मेहनत के बाद हम तीन जनपद में ही इसकी कुंडली निकाल सके है। उसके अलावा किसी अन्य जनपद में भी हो, इसका कोई दावा नही है कि किसी अन्य जनपद में इसके कारनामे न हो।

वर्ष 2000 में पहला मामला दर्ज करवाया था

महिला सुरक्षा कानून का खिलवाड़ बना कर उसका दुरूपयोग करने वाली इस महिला का सबसे पहला मामला जो हमारे प्रकाश में आया वह था कुशीनगर जनपद से। कुशीनगर जनपद के तुर्कपट्टी थाने में इसने 18 जुलाई 2000 को अपने पिता को वादी मुकदमा बनाते हुवे खुद को सीमा त्रिपाठी संबोधित कर अचुत्यान्न्द पाण्डेय को अपना पति बताते हुवे दहेज़ उत्पीडन का मामला दर्ज करवाया था। अपराध संख्या 141/2000 में इसने अपने उस कथित पति, अपने कथित सास-ससुर, हर्ष कुमार पाण्डेय और सुंदरी देवी को आरोपी बनाया था।

इस मामले को दर्ज करवाने के बाद ये काफी चर्चा में आई थी। तत्कालीन थाने के एक हेड कांस्टेबल और वर्तमान में सेवानिर्वित हो चुके एक सज्जन ने अपना नाम प्रकाश में न आने की शर्त पर बताया कि घटना को तुल देने के लिए काफी विवाद ये महिला थाने पर करती थी। पुलिस कर्मियों पर भी कई बार इसने गंभीर आरोप लगाये थे। एक समय तो स्थिति ऐसी भी हो गई थी कि थाने के पुलिस कर्मियों में इसके शक्ल से ही खौफ पैदा हो गया था। उन्होंने बताया कि सभी को डर सताता रहता था कि कब ये महिला किस पुलिस कर्मी पर मनगढ़ंत आरोप लगा कर कोई तहरीर न भेज दे।

बहरहाल, हमने इसके द्वारा दर्ज इस अपराध की कापी देखा था। जिसमे इसने खुद को अचुत्यान्न्द पाण्डेय की पत्नी बताया था। हमने काफी प्रयास किया मगर हमारा संपर्क अचुत्यान्न्द पाण्डेय से नही हो पाया। क्षेत्र के कुछ जानकारों से जब इसके संबध में पूछा तो उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। उनका कहना था कि हम किसी विवाद को मुफ्त में नही मोल लेना चाहते है। ये शब्द ही बहुत कुछ कहने के लिए काफी थे। फिर भी एक ने दबी जुबांन से बताया कि अचुत्यान्न्द पाण्डेय का पूरा परिवार ही इस घटना के बाद से तबाही के तरफ जा चूका है।

पडरौना में भी विवादित नाम है सीमा

इस दरमियान 7 वर्षो के लगभग का एक गैप आता है। इस दरमियान सीमा कहा थी इसकी जानकारी हमको उपलब्ध नही हो पाई। हमने कुशीनगर के तुर्कपट्टी थाने से ही सूत्र के माध्यम से पडरौना के कोतवाली थाने के सम्बन्ध में जानकारी मिली। कुशीनगर जनपद का पडरौना एक बड़ा टाउन है। यहाँ के कोतवाली में सीमा ने खुद को सीमा पाण्डेय ही बताते हुवे एक मुकदमा अपराध संख्या 386/2007 दर्ज करवा कर एक युवक पर शादी का झासा देकर बार बार बलात्कार का आरोप लगाया। इस मामले में इसने खुद को निरीह प्राणी साबित करते हुवे कहा कि कुलदीप मल्ल पर आरोप लगाया था कि कुलदीप मल्ल ने अपने माता पिता के सहयोग से उसको शादी का आश्वासन देते हुवे उसके साथ कई बार बलात्कार किया है साथ ही धोखे से उसने उसके पैसे और जेवर भी ले लिया है।

इस मामले की गहराई में जब हम गए तो जानकारी हासिल हुई कि कुलदीप मल्ल एक आर्थिक स्थिति से मजबूत युवक था। युवक से इस महिला का संपर्क हो गया था। लगभग 3-4 माह के बाद इस महिला ने कुलदीप मल्ल पर आरोप लगाया था कि उसने उसका बलात्कार किया है। सिर्फ कुलदीप मल्ल ही नही बल्कि उसके माता पिता ने भी कुलदीप का साथ दिया था। साथ ही साथ उसने उसके पैसे और जेवर ले लिया है। इस मामले में पुलिस ने विवेचना शुरू किया तो उलटे पुलिस को ही लेने के देने पड़ गए थे। पुलिस पर भी इसने काफी गंभीर आरोप लगा डाले थे। इस सम्बन्ध में हम आपको आगे बतायेगे। हम कुलदीप मल्ल के इस केस पर ही सीमित रहते है।

इस आरोप को दर्ज करवाने के तीन चार महीने बाद ही कुलदीप मल्ल से इसकी सुलह हो गई। सुलाह इसको कहना गलत शब्द शायद होगा आप कह सकते है कि ये पक्ष द्रोही हो गई। इसने दिसंबर माह में ही कुलदीप मल्ल से सुलह के बाद एक शपथ पत्र स्टाम्प संख्या 21-AA-192378 पर दर्ज करवा कर अदालत में भी पेश कर दिया कि यह कुलदीप मल्ल को जानती और पहचानती ही नही है। कुलदीप मल्ल दूसरी जाति का है और ये पंडित है। इसका कुलदीप मल्ल से कोई लेना देना नही है और उसको जानती और पहचानती भी नही है। अब इस मामले में हमने जब कुलदीप मल्ल से मुलाकात किया तो वह कुछ भी कहने को तैयार नही हुवे और कहा कि बात ख़त्म हो गई है तो हम इसको अब नही उबारना चाहते है। हमने लेन देन की बात पूछी तो दबे लफ्जों में कहा कि पैसे में बड़ी ताकत होती है। जिस कारण आरोप लगाया था वह कारण पूरा हो गया तो बात खत्म हो गई।

सूत्र बताते है कि इसने इस मामले में मोटी रकम हासिल किया था। प्रकरण के बाद से कुलदीप की सामाजिक प्रतिष्ठा पर काफी असर पड़ा था। क्षेत्र के लोगो का कहना है कि कुलदीप का परिवार आर्थिक और सामाजिक रूप से इस घटना के बाद टूट गया था। बड़ी मुश्किल से लोग इस बात को भूल पाए है। दुबारा बात का उबरना उनके ऊपर और भी असर करेगा। मोटी रकम क्या थी इसकी जानकारी तो हमको नही हो पाई है। मगर क्षेत्र के लोगो का मानना है कि ये रकम लाख नही बल्कि लाखो में थी। इस शपथ पत्र की प्रति हमारे पास उपलब्ध है।

क्रमशः भाग – 3

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