महिला सुरक्षा कानून का दुरूपयोग (भाग – 3) : थानेदार पर ही लगा दिया था बलात्कार का आरोप, कभी सीमा बनी पाण्डेय तो कभी बन चुकी है तिवारी, त्रिपाठी, प्रीतो, प्रीतु और प्रीती

Misuse of Women's Protection Act Part - 3 : When the police station chief himself was accused of rape

शाहीन बनारसी

 पिछले अंक में हमने कथित नाम सीमा के द्वारा कुशीनगर जनपद में दर्ज करवाए गए दो कथित मुक़दमे के सम्बन्ध में आपको बताया था। किस प्रकार से एक युवक पर इसने उस युवक के माता पिता के षड़यंत्र से इसका बलात्कार करने का आरोप लगाया था। खुद के साथ बलात्कार होना बताने वाली इस महिला ने इसके कुछ ही महीनो के बाद इस मामले में युवक के परिवार से समझौता कर लिया था और एक शपथ पत्र लिख कर दे दिया था कि ये उस युवक अथवा उसके परिवार के किसी व्यक्ति को न जानती है और न ही पहचानती है। पक्ष द्रोह के कारण मामला खत्म हो गया था। इस शपथ पत्र की हमारे पास प्रति उपलब्ध है।

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महिला सुरक्षा कानून का दुरूपयोग (भाग -1) : कभी सीमा बनी पाण्डेय तो कभी तिवारी और त्रिपाठी, और कभी प्रीतो और प्रीती, संदिग्ध है मुगलसराय कोतवाली क्षेत्र में हुई रेलवे कर्मचारी अनिल पाण्डेय की मौत

मगर इसके बाद से पुलिस ने इस महिला के इस खेल को समझ कर इसके ऊपर कार्यवाही का मन बना लिया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष कोतवाली पडरौना जे0 पी0 पाण्डेय थे। जे0पी0 पाण्डेय ने इस मामले में बढती गन्दगी को साफ़ करने का मन बना लिया था। इसके ऊपर सख्ती दिखाना जेपी पाण्डेय को ही भारी पड़ गया। तत्कालीन थानाध्यक्ष इस प्रकरण में अग्रिम कार्यवाही करते उसके पहले ही इस महिला ने खुद को सीमा त्रिपाठी से अब सीमा पाण्डेय बनते हुवे अपने पति के नाम की जगह अपने पिता का नाम देते हुवे अदालत की शरण ले लिया।

थानाध्यक्ष पर लगाया बलात्कार का आरोप

एक तरफ थानाध्यक्ष कोतवाली पडरौना जेपी पाण्डेय इसके ऊपर सख्त होना चाहते थे कि समाज को इस महिला के अत्याचारों से निजात मिल जाये। मगर दूसरी तरफ उनकी खुद की इज्ज़त आबरू सब दाव पर लग गई। इस कथित सीमा नाम की महिला ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पडरौना, कुशीनगर के अदालत में 156(3) के तहत मुकदमा दर्ज कर जेपी पाण्डेय पर ही बलात्कार का आरोप लगा डाला। इस महिला के द्वारा 10 नवम्बर 2007 की घटना को दिखाते हुवे जेपी पाण्डेय पर 27 नवम्बर को मुकदमा संख्या 843/07 पेश कर डाला।

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महिला सुरक्षा कानून का दुरूपयोग (भाग – 2) : कभी सीमा बनी अब पाण्डेय, पहले बन चुकी है कभी तिवारी और कभी त्रिपाठी, कभी प्रीतो और कभी प्रीती, एक महिला, दर्ज करवाए हुवे मुकदमो में नाम अलग अलग

इस आरोप की जानकरी मिलने के बाद बताया जाता है कि कोतवाली पडरौना थानेदार साहब के होश फाख्ता हो गये थे। थानेदारी भले रही होगी मगर घर की थानेदार ने भी शक करना शुरू कर दिया। थानेदार साहब का मान सम्मान सब दाव पर लगा गया। पूरी कोतवाली में हडकंप मच गई। एक सेवानिवृत हो चुके तत्कालीन दरोगा ने तो नाम न ज़ाहिर करने के शर्त पर यहाँ तक बताया कि महिला अगर थाने से दूर भी दिखाई दे तो हडकंप थाने में हो जाता था। थानेदार साहब तो किसी तरह मामले को निपटाना चाहते थे। हालात ऐसी हो गई थी कि क्षेत्र में गश्त करने के लिए निकलने वाले पुलिस कर्मियों में भी इस महिला का खौफ छा चूका था कि कब ये किसके ऊपर झूठा बलात्कार का केस लगा दे।

पूरी कोतवाली पडरौना इस मामले को हल करने में लग गई। कई थाने के परिचित सम्भ्रांत नागरिको और पत्रकारों से भी अनुरोध, अनुनय, विनय हुआ कि इस महिला को समझाया जाए। आखिर एक को सफलता हाथ लगी और महिला समझ गई। अब ये सफलता किन शर्तो पर हाथ लगी, इसके बारे में सिर्फ अहसास किया जा सकता है क्योकि हमारे पास इसके कोई साक्ष्य नही है कि ये सफलता किन शर्तो पर हाथ लगी थी। पुलिस पर आरोप लग जाना कोई बड़ी बात नही है मगर जिस समय ये घटना घटित हुई उस समय ऐसे आरोप लग जाना बड़ी बात समझी जाती थी।

हालात कैसे रहे होंगे सोच कर ही हमको हसी छुट पड़ी कि जिस थाने को देख कर अपराध करने वालों के पसीने छूटते है, वही थाना झूठे आरोप लगाने का अपराध करने वाले से खौफज़दा रहा होगा। थानेदार साहब को किस प्रकार से किसी गलत को रोकना भारी पड़ गया था उसका अहसास आप भी कर सकते है। ऐसे झूठे आरोप लगने के बाद समाज से अधिक खुद का मान सम्मान परिवार में घटता महसूस हुआ होगा जब पारिवारिक सदस्य ही शक की नज़र से देख लेते होंगे।

थोडा झूठ, उसके बाद थोडा और झूठ और फिर मोटी रकम की आदत लग गई

थोडा झूठ और फिर थोडा और झूठ और आखरी में थोडा और झूठ। फिर उसके बाद मोटी रकम। शायद ये आदत में शुमार हो चूका था। पहले कुलदीप मल्ल और फिर थानेदार खुद इसके शिकार हो चुके थे। इस महिला का दबदबा भी कायम हो गया था। मगर समाज में भी इसका खौफ साफ़ ज़ाहिर हो गया था। जनपद पुलिस ने इसकी शिकायतों को नज़रअंदाज़ करने का फैसला किया था। ये होना भी शुरू हो चूका था। ये वह समय था जब जनपद के थानों पर महिला पुलिस कर्मियों की उपस्थिति कम रहती थी। रात को तो थानों पर महिला पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग ही नही रहती थी। ऐसे में पुलिस कर्मियों की खुद की सुरक्षा इस महिला के कारण खतरे में थी।

समय का चक्र बदल रहा था। महिला के कारण मचे कोहरामो से इसके खुद के नाम और पहचान को भी धब्बेदार बना डाला था। जिसके बाद इसका कोई भी कल इस जनपद में चलना तो संभव नही हो पा रहा था। यहाँ से उसने किसी और जनपद जाना ही बेहतर समझा होगा और वह चली गई। अब ये दुसरे जनपद किसके साथ गई, इसकी जानकारी तो हासिल नही हो पाई। मगर इलाकाई लोगो की माने तो कई जनपद के कुछ दबंगों के संपर्क में महिला थी। जिसमे गाजीपुर जनपद के सादात इलाके के भी एक बाहुबली का नाम आ रहा था। चर्चाओं की माने तो यह बाहुबली अभी भी इसके संपर्क में है।

अगले अंक में हम आपको बतायेगे कि कुशीनगर जनपद के बाद कौन सा जनपद आया इसके निशाने पर. जुड़े रहे हमारे साथ.

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