कानपुर: आखिर पीड़ित कौन? वेश्यावृति का आरोप लगा कर हवन करने वाले, या फिर वह अकेली बीमार महिला जिसके परिवार में नही कोई पुरुष, सच जानकार हो जायेगे आप भी हैरान

शाहीन बनारसी

कानपुर: कभी कभी जो होता है वह दिखता नही है और जो दिखता है वह होता ही नही है। शायद इसको भ्रम जाल से अधिक कुछ नही कहा जा सकता है। यदि कोई दबा कुचला हो तो दो चार लाते और भी उसके ऊपर जड़ देने वालो की कमी इस दुनिया में नही है। इंसानियत का क्या है साहब, हर नुक्कड़ पर दो चार रुपयों में मिल जाती है। बस उसका खरीदार कोई नही है। पुलिस का क्या ? पुलिस पर तो आरोप लगा देने से लोग अपने मान सम्मान को बढ़ता महसूस करेगे।

ऐसा ही कुछ आज सुबह से नज़र आया गोविंद नगर थाना क्षेत्र के गुजैनी ए-ब्लॉक में स्थित प्राथमिक स्कूल के पास गली के एक प्रकरण में जहा पहली नज़र में दिखाई दिया कि अमुक परिवार ही काफी कमज़र्फ है और स्थानीय पुलिस तो कुछ करती ही नही है। थाना प्रभारी के लिए तो यह आभास हुआ कि शायद दिन भर एसी कमरों में ही बैठे रहते होंगे। मगर ये भ्रम की धुंध काफी वक्त तक नही टिक पाई और हकीकत आखिर में सामने आ गई कि कुछ फर्जी किस्म के लोगो द्वारा भूमाफियाओ के षड़यंत्र के तहत सब भ्रम फैला कर पुलिस प्रशासन को बदनाम करने का प्रयास किया गया है।

हुआ कुछ इस प्रकार कि आज सुबह क्षेत्र में कुछ महिलाओं ने एक पंडित जी के द्वारा हवन पूजन करवाया गया। उनका आरोप था कि प्राईमरी स्कूल वाली गली में एक भवन में रहने वाली महिलाए पिछले 30 साल से वेश्यावृति का काम करती है। लाखो शिकायतों के बावजूद पुलिस उनके ऊपर कार्यवाही नही कर रही है और मामले में हिला हवाली कर रही है। हवन के समय मौके पर स्थानीय खुद को पत्रकार साबित करने पर तुले कुछ लोग भी मौजूद रहे। खबर तुरंत बनी। थोडा वीडियो बना और व्हाट्सअप पर जमकर वायरल होने लगा। स्थानीय पुलिस पर बड़ा सवालिया निशाँन लगने लगा कि पुलिस इन वेश्यावृति करने वालो पर कोई कार्यवाही नही करती है। पुलिस प्रशासन से कई बार मदद मांगी और कई विरोध प्रदर्शन भी किए जिसके बावजूद धंधा आज भी बंद नहीं हुआ। ऐसा लग रहा था कि हवन कर रहे लोग एक एक पल की उस परिवार के गतिविधियों पर नज़र रखे है।

हवन करने वालो का कहना भले हो या न हो मगर कथित खबर में ये ज़रूर लिखा गया कि लोग अपने मकान बेच कर पलायन करने को मजबूर है। लोगो ने अपने-अपने घरों में घर बिकाऊ है के पोस्टर लगा दिए है और पुलिस प्रशासन व उच्चाधिकारियों से कई बार शिकायत करने और लगभग 3 महीनों से लगातार विरोध प्रदर्शन करने व कई मुमकिन कोशिशे करने के बावजूद भी जब हो रहे इस घिनौने धंधे के मामले में कोई एक्शन नहीं लिया गया तो लोगों ने मायूस होकर आखिरकार गली में एकत्र होकर हवन, पूजा पाठ कर भगवान को याद किया और अपने अपने मकान बेच कर कही पलायन कर जाने का फैसला किया।

स्थिति बड़ी दयनीय समझ आने लगी। जो भी सोशल मीडिया पर खबर देखता वह पुलिस प्रशासन पर ही सवाल खड़े करता। अचानक स्थानीय पुलिस कटघरे में खडी दिखाई देने लगी। अधिकारियो ने भी मामले का संज्ञान लेकर अपने ही मातहत को खरी खोटी सुना डाली। हडकंप की स्थिति हो गई थी। मगर ये स्थिति कुछ ही देर चल सकी और थोड़ी ही देर में दुसरे पक्ष की भी सच्चाई सामने आई तो सुनकर ये समझने में देर नही लगी कि जिसको लोग अक्युज्ड बताने की कोशिश कर रहे है असल में वह खुद में एक विक्टिम है। पीड़ित तो वह पक्ष है जिसके खिलाफ पुरे मोहल्ले के लोगो को लामबंद किया जा रहा है। जिस महिला पर वेश्यावृति करने का आरोप लग रहा है उसकी उम्र 70 साल है और उसके परिवार में उसका एक नाती उम्र 15 साल तथा उसकी बेवा बहु उम्र 38 साल है।

मामला कुछ इस प्रकार है कि इलाके के कुछ लोगो ने उसके ऊपर आरोप लगाया कि उसके घर में वेश्यावृति होती है। स्थानीय लोगो का आरोप था कि विगत दो दशक से वेश्यावृति हो रही है। मगर पुलिस रिकार्ड में कभी किसी ने कोई शिकायत नही किया। अचानक चुनाव के दरमियान कुछ विवाद उत्पन्न हुआ। सूत्र बताते है कि स्थानीय एक पत्रकार ने किसी काम के लिए इस बुज़ुर्ग महिला से 50 हज़ार लिया था। मगर न तो काम हुआ और न ही कथित पत्रकार साहब ने पैसे वापस किये। इसके बाद ही अचानक ये “रायता फैलने लगा” कि अमुक महिला वेश्यावृति करती है। पुलिस को शिकायत जाती है। पुलिस मामले में जाँच करती है। दबाव के तहत पुलिस ने प्रकरण में मुकदमा भी दर्ज कर लिया और महिला के घर पर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए। जिससे कोई भी आने जाने वाले पर नज़र रखा जा सके। महिला इन सबसे परेशान हो गई और अपने मकान को बेच कर कही और जाकर रहने का उसने फैसला कर डाला।

जब मकान बेचने की बात बाज़ार में आई तो भूमाफियाओ की नज़र इस मौके के मकान पर पड़ी। सूत्र बताते है कि अब भूमाफिया औने पौने दामो में इस मकान को खरीदना चाहते है। इसके कारण क्षेत्र के कतिपय कथित पत्रकारों को लेकर ऐसे नाटक शुरू कर दिए। जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर जाती है। पुलिस महिला के बयान वीडियो पर लेती है। बीमार बुज़ुर्ग महिला रो रो कर अपना दुखड़ा पुलिस को बताती है। हमारे पास महिला के बयान का वीडियो उपलब्ध है। मगर मामले में महिला की अस्मत का ख्याल करते हुवे हम वीडियो पोस्ट नही कर रहे है। सब मिलाकर समझ आया कि कथित पत्रकार महोदय और क्षेत्र के भूमाफियाओ का फैलाया हुआ भ्रम जाल है। आखरी कौन इस बात पर यकीन कर सकता है कि एक 70 साल की बुज़ुर्ग महिला वेश्यावृति कर सकती है ?

सब मिलाकर एक बड़ी जाँच की मामले में ज़रूरत समझ आती है जो निष्पक्ष होनी चाहिए। निष्पक्षता से कम से कम ये तो सामने आना ही चाहिए कि आखिर विक्टिम सच में है कौन? कौन पीड़ित है और कौन उसके दबे कुचले होने का फायदा उठा रहा है। सामने ये भी सच आना चाहिए कि इस तरीके के “रायते फैला” कर आखिर किसका फायदा है। जब सभी अपने अपने मकान बेचने की बात कर रहे है तो इसके लिए पोस्टर लगाने की क्या ज़रूरत है सीधे मकान बेच सकता है इंसान। पोस्टर लगा कर सिर्फ शासन और प्रशासन पर दबाव बनाने का षड़यंत्र आखिर कौन रच रहा है ?

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