ज्ञानवापी (आलमगीरी) मस्जिद प्रकरण: आधे घंटे की सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की अदालत ने किया 6 जुलाई को सुनवाई की तारीख मुक़र्रर, जाने क्या-क्या हुआ है अब तक इस प्रकरण में

तारिक़ खान

प्रयागराज: वाराणसी की ज्ञानवापी (आलमगीरी) मस्जिद प्रकरण में आज जहा सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगी वही आज इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज आधे घंटे के करीब सुनवाई के बाद इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख मुकर्रर कर दिया है। अदालत ने इस केस पर अगली सुनवाई छुट्टियों के बाद करने की बात कहकर 6 जुलाई की तारीख मुकर्रर कर दिया है। आज पेश हुवे मामले में मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता अदालत में उपस्थित रहे। वही हिन्दू पक्ष की आज दलील पूरी होने की जानकारी हासिल हो रही है।

बताते चले कि स्वयम्भू लार्ड विशेश्वर भगवान की जानिब से सिविल कोर्ट वाराणसी में वाद दाखिल कर दावा किया गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद पहले मंदिर थी और औरंगजेब ने तोड़ कर इसको मस्जिद बना लिया गया था। इसलिए मस्जिद को हिन्दू पक्ष के हवाले करते हुवे इसमें पूजा अर्चना करने की अनुमति दिया जाए। जिस पर वाराणसी की अदालत में सुनवाई शुरू हुई। जिसके बाद इस केस को स्टे कर दिया गया था।

इस केस के प्रतिउत्तर में मस्जिद कमिटी की जानिब से दाखिल याचिका में में कहा गया है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत यह वाद नहीं चलाया जा सकता है। यह एक्ट कहता है कि अयोध्या को छोड़कर अन्य किसी धार्मिक स्थल के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। इस एक्ट में कहा गया है कि आजादी के समय 15 अगस्त 1947 को जिस धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी वही स्थिति बरकरार रहेगी। काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्षकार हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोनों पक्षकारों की ओर से कुल छह याचिकाएं दाखिल की गई हैं। बहस पूरी होने पर यूपी सरकार का भी पक्ष रखने की तैयारी है।

मुस्लिम पक्षकारों अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर की अर्जी का विरोध किया है।दलील दी गई है कि 1991 में बने प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट के तहत यह याचिका पोषणीय नहीं है। 1999 में स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर पक्ष की ओर से एक दूसरी अर्जी दाखिल की गई, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के तहत किसी भी मामले में छह महीने से ज्यादा स्टे यानी स्थगन आदेश आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।

इसके खिलाफ दोनों मुस्लिम पक्षकारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की। इस अर्जी पर 15 मार्च 2021 को हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। अब तक हाईकोर्ट में ज्ञानवापी केस में कुल 4 याचिकाएं दायर हो चुकी हैं। वाराणसी के सिविल जज की अदालत में 8 अप्रैल 2021 को एक आदेश पारित कर विवादित परिसर की एएसआई से खुदाई का आदेश दिया गया। इसके बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया को खुदाई और सर्वेक्षण का काम एक हाई लेवल कमेटी द्वारा कराए जाने का आदेश पारित किया गया। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने निचली अदालत के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। कई महीनों तक चली सुनवाई के बाद 9 सितंबर 2021 को कोर्ट ने एएसआई के सर्वेक्षण कराए जाने के आदेश पर रोक लगा दी। इस तरह से कुल 6 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है।

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