मो0 कुमेल/ ईदुल अमीन
डेस्क: ज्ञानवापी मस्जिद, ताजमहल, कुतुबमीनार, जामा मस्जिद, मथुरा ईदगाह आदि के बाद अब मंदिर मस्जिद विवाद हिंदल वाली, गरीब नवाज़ ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दरबार अजमेर तक पहुच गया है। दिल्ली की महाराणा प्रताप सेना ने दावा किया है कि अजमेर दरगाह पहले हिन्दू मंदिर थी और आज भी उसमे स्वस्तिक के निशान है। इसकी जाँच होनी चाहिए, जिसमे इसके मंदिर होने का सबूत मिल जायेगा।
पत्र में यह भी लिखा गया है कि दरगाह के अंदर कई जगहों पर हिन्दू धार्मिक चिह्न भी हैं, जिसमें स्वस्तिक के निशान को प्रमुख बताया गया है। उन्होंने लिखा है कि इसके अलावा भी हिन्दू धर्म से संबंधित अन्य प्रतीक चिह्न भी दरगाह में मौजूद हैं। आपको बता दें कि हाल ही में ख्वाजा गरीब नवाज का 810वां उर्स मनाया गया है। वहीं दरगाह के जानकारों के अनुसार इसका इतिहास 900 साल पुराना है लेकिन अभी तक के इतिहास में ऐसा कोई पुख्ता दावा नहीं किया गया कि दरगाह किसी हिन्दू मन्दिर को तोड़कर बनाई गई है।
बताते चले कि इस आस्ताने से सभी धर्मो की आस्था जुडी हुई है। आस्ताने पर हर धर्म के लोग आते है और अपनी मुरादे पूरी करवाने के लिए ख्वाजा के दर पर हाज़री लगाते है। वही हर वर्ष देश के प्रधानमन्त्री के जानिब से भी उर्स के मौके पर चादर पेश किया जाता है। ऐसे में सभी मुद्दों को पीछे छोड़ते हुवे सब मंदिर मस्जिद मुद्दे पर केन्द्रित मामले सामने आने लगे है।
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