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जो लोग वोट डालने गए उन्हें पुलिस ने दौड़ा कर पीटा, दाढ़ियो पर हाथ डाले गए, वोट नही डालने दिया गया, मतदान के दौरान इतनी नाइंसाफी होगी ये हमको पता होता तो हम चुनाव ही नही लड़ते: आज़म खान

तारिक़ खान

डेस्क: उत्तर प्रदश में हुवे उपचुनावों में मिली सपा को करारी हार के बाद आज़म खान ने सत्तारूढ़ भाजपा पर इस हार का ठीकरा फोड़ते हुवे कहा है कि पुलिस ने लोगो को वोट नही डालने दिया है। जो लोग वोट करने आए थे उन्हें पुलिस ने पीटा है। अगर मुझे पता होता कि मतदान के दौरान इतनी नाइंसाफी होगी तो हम चुनाव ही नहीं लड़ते।

आज़म खान ने कहा कि इन्हें (भाजपा) हमसे (मुस्लिम समुदाय) से घृणा हो गई है। हमारे पास बंटवारे के समय पर मौका था कि हम पाकिस्तान चले जाएं लेकिन हम नहीं गए। हम नहीं गए ताकि अपने बच्चों को फौज में भेज सकें। मैं तो सिर्फ इतना बोलना चाहता हूं कि देश में अगर ऐसे ही चुनाव होने हैं तो मुसलमानों से वोट देने का अधिकार छीन लेना चाहिए।

खबरिया चैनल एनडीटीवी से बात करते हुवे आज़म खान ने कहा कि रामपुर ने पुलिस ने लोगों को वोट ही नहीं डालने दिया है। जो लोग वोट करने आए थे उन्हें पुलिस ने पीटा है। अगर मुझे पता होता कि मतदान के दौरान इतनी नाइंसाफी होगी तो हम चुनाव ही नहीं लड़ते। उन्होंने आगे कहा कि रामपुर में इस कदर वोट नहीं डालने दिया गया कि जो वोट डला है उन लोगों की हिम्मत और हौसले को हम सलाम करते हैं। जितना मार सकते थे, जिनता अपमानित कर सकते थे, जितना महिलाओं को दौड़ा सकते थे, गालियां दे सकते थे। वो सब किया गया है।

रामपुर में मिली हार पर खान ने कहा कि एक व्यक्ति की हार लोकतंत्र की हार नहीं हो सकती। बीजेपी को मुझे हराकर उन्हें वो खुशी नहीं मिलेगी जो उन्हें एक सिस्टम को हराकर मिली है। उन्होंने रामपुर की शराफत को हराया है लोगों की बेबसी को हराया है। उन्होंने लोगों की गरीबी को हराया है। जीता क्या है, घृणा, नाइंसाफी, जुर्म। जुर्म भी बेपनाह जुर्म, आतंक, तबाही। अगर इसको जीत कहते हैं और इसमें अपनी खुशी मानते हैं। तो उन्हें इसपर शर्मिंदा होना चाहिए। सारा नंगा नाच सबने देखा है, ये अलग बात है कि ज्यादातर आंखें बंद हो गई, लेकिन एकाध आंखें अभी भी खुली हैं। अगर हम इस बात की जरा भी पहले भनक मिल गई होती कि चुनाव ऐसा होगा, तो हो सकता था कि हम अपना उम्मीदवार खड़ा ही नहीं करते। हम वॉकओवर दे देते, लेकिन हमे इस बात का यकीन दिलाया गया था कि चुनाव निष्पक्ष होगा। गलती हमारी है। हम किसी को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराते हैं। हम विधानसभा चुनाव और लोकसभा में हम ये सब देख चुके थे।

आज़म खान ने कहा कि लोगों की दाढ़ियों पर हाथ डाले गए, ठोकरों से मारे गए। बस्तियों में जाकर ऐलान तक किया गया कि खबरदार कोई वोट डालने नहीं जाएगा। लिहाजा, पूरी की पूरी बस्तियां वोट डालने नहीं निकली। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यहां बड़े कमजोर लोग हैं। हमने दोहरी गुलामी सही है। अंग्रेजों की भी और नवाबों की भी। नवाब और अंग्रेजों ने इस रामपुर से सब कुछ लूट लिया था। हमने उस नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठाई। लोकतंत्र को खत्म करने वाले भी हमारे ही लोग हैं।

आजम खान ने रामपुर में प्रचार के लिए अखिलेश यादव के ना आने पर कहा कि हमने जानबूझकर अखिलेश जी को प्रचार के लिए नहीं बुलाया। अखिलेश जी नहीं आए तो पुलिस ने लोगों पर लाठियां बरसाई है, अगर अखिलेश यादव प्रचार के लिए आते तो शायद हमारा जोश देखकर पुलिस गोली भी बरसाती। जो मुझे सुन रहे हैं उनसे सिर्फ मैं इतना ही कहूंगा कि नफरत का जवाब मोहब्बत से दें।

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