ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: जिला जज की अदालत में हुई सुनवाई, पत्रावली आदेश हेतु सुरक्षित, प्रतिकार यात्रा की याद दिलाते हुवे स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने कहा, करूँगा 11 लाख सैनिको की सेना का निर्माण

ईदुल अमीन/अजीत शर्मा

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद के वज़ुखाने में मिली आकृति जिसे वादिनी मुकदमा द्वारा शिवलिंग होने का दावा किया जा दावा किया जा रहा है की पूजा को लेकर धरने पर बैठे अविमुक्तेश्वरानन्द के मामले में आज जिला जज अदालत में सुनवाई हुई है। अदालत में वाद दाखिल कर स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने उक्त स्थल पर दर्शन पूजन की अनुमति अदालत से मांगी है। अदालत ने मामले की सुनवाई करने के बाद प्रकरण में फाइल आदेश हेतु सुरक्षित कर लिया है।

इस दरमियान आज स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द ने प्रतिकार यात्रा का ज़िक्र करते हुवे कहा कि मेरे उस आह्वाहन पर 5 लाख लोग इकठ्ठा हो गए थे। अब मैं 11 सैनिको के साथ आन्दोलन करूँगा क्योकि मुझे प्रशासन ने अगर पूजा की अनुमति नही दिया तो जब प्रतिकार यात्रा में जब मेरे आह्वाहन पर 5 लाख लोग आ सकते है तो इस बार 11 लाख लोग आयेगे। उन्होंने कहा कि मैं 11 लाख लोगो की धर्म सेना बनाऊंगा और फिर एक बड़ा आन्दोलन होगा।

आज हुवे वाद में कहा गया कि जो वाद में याचना की गई है वह अर्जेंट प्रकृति का है। इस वाद में श्री आदि विश्वेश्वर के राग-भोग व पूजन-अर्चन को प्रतिवादियों द्वारा रोक दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप भगवान राग भोग पूजन अर्चन नही हो पा रहा है। जिला अदालत में दीवानी की अदालत ग्रीष्मावकाश के कारण बंद है। ऐसे में यह वाद जिला जज के समक्ष इस आशय से पेश किया जा रहा है कि मामले को अर्जेंट यानि अति आवश्यक प्रकृति का देखते हुए ग्रीष्मकालीन वैकेशन जज को सुनवाई के लिए आदेशित किया जाए। जिससे भगवान श्री आदि विश्वेश्वर का राग भोग पूजन अर्चन हो सके।

अदालत में वाद के पक्ष में दलील रखते हुए अरुण कुमार त्रिपाठी ने कहा कि ज्ञानवापी में जो शिवलिंग मिलने की बात कही गई है वह आदि विश्वेश्वर देवता स्वरूप विराजमान हैं। देवता को सुप्रीमकोर्ट ने भी माइनर माना है। सुप्रीमकोर्ट का इस मामले में दिए गए आदेश का जिक्र करते हए कहा कि सिविल जज ने वजुस्थल के पास मिले शिवलिंग को सील करने का आदेश दिया है। जिसे सुप्रीमकोर्ट ने संशोधित करते ड्यू प्रोटेक्शन देने की बात कही यानि माइनर बालक को जैसे रखा जाता है, अन्न जल दिया जाता है उसी तरह देवता को भी राग भोग की व्यस्था मर्यादित तरीके से धार्मिक प्रथा के अनुसार की जाए। शिवलिंग की सम्यक संरक्षण की व्यवस्था की जाय। उन्होंने समर्थन में कुर्म पुराण, धार्मिक ग्रंथों, भारतीय संविधान के प्रावधानों और ड्यू प्रोटक्शन की व्याख्या दी।

अनुरोध किया कि डीएम उच्चतम न्यायालय के निर्णय के अनुसार राग-भोग की व्यवस्था करें ऐसा न करके सुप्रीमकोर्ट के आदेश का अनुपालन नही किया गया। वहीं रमेश उपाध्याय ने भविष्यपुराण का जिक्र करते हुए कहा कि शिवलिंग के साथ पाप किया जा रहा है शिवलिंग मिलने के दावे के बीच स्वामी स्वरूपाचार्य शंकराचार्य व भगवान विष्णु के प्रतिनिधि डंडी स्वामी अविमुकेश्वरानन्द ने शिवलिंग के रागभोग पूजन अर्चन की अनुमति पुलिस व प्रशासन से मांगी तब अनुमति भी नही दी गई और आवास से निकलने नही दिया गया। जिसके विरोध में 3 जून से अन्न त्यागकर अनशन पर है ऐसे में बाल स्वरूप देवता शिवलिंग को रागभोग पूजन अर्चन की अनुमति दिया जाना न्यायसंगत है। इसी मद्देनजर अर्जेट वाद दाखिल किया गया कि देवता को भूखा नही रखा जा सकता। अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ व धीरेन्द्रनाथ शर्मा ने भी राग भोग के लिए अनुमति देने की याचना की। लगभग आधे घंटे की दलीलें सुनने के बाद जिला जज ने पत्रावली आदेश हेतु सुरक्षित रख लिया है।

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