1 जुलाई से शुरू होगी मथुरा ईदगाह-श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद पर सिविल जज (सी0 डी0) की अदालत में सुनवाई

रवि पाल

मथुरा: मथुरा ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण में 1 जुलाई से सुनवाई शुरू हो रही है। सुनवाई मथुरा सिविल जज (सी0डी0) की अदालत में होगी। अदालत में सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के द्वारा बतौर श्रीकृष्ण विराजमान की भक्त बनकर दाखिल वाद की पहले सुनवाई होगी। पक्षकार के मुताबिक उनके केस के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जिला जज की अदालत में सुनवाई हो चुकी है। अब सीधे केस की सुनवाई शुरू होगी।

दावे के विपक्षी श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट पहले ही अपने स्वामित्व से संबंधित कागजात अदालत में पेश कर चुका है। विपक्षी मुस्लिम पक्ष के अनुसार वह अदालत में जो भी विधिक प्रक्रिया होगी, उसे अमल में लाएंगे। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और ईदगाह इंतजामिया कमेटी के समझौते को चुनौती दी है। इस समझौते के बाद केस की डिक्री को भी दावे में चुनौती दी गई है। केस की स्वीकारोक्ति को लेकर जिला जज राजीव भारती की अदालत में रिवीजन में सुनवाई हुई। रिवीजन में केस को सुनवाई योग्य माना गया और जिला जज ने केस की सुनवाई के लिए सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में भेज दिया। इसकी सुनवाई की तारीख एक जुलाई तय की है।

पक्षकार अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने बताया कि जिला जज की अदालत ने उनके केस में उपासना स्थल अधिनियम के लागू न होने की बात कही है। विपक्ष के इस आरोप को भी नजरअंदाज कर दिया है कि वह मथुरा से बाहर की हैं और दावा नहीं कर सकती हैं। जबकि दावे के विपक्षियों में से एक ईदगाह की इंतजामिया कमेटी के सचिव एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि वह न्यायालय की विधिक प्रक्रिया के तहत जो कार्यवाही होगी, वही अमल में लाएंगे।

दावे के विपक्षियों में से एक श्रीकृष्ण जन्मस्थान के विशेष कार्याधिकारी विजय बहादुर सिंह ने बताया कि रिवीजन के बाद पहली ही तारीख पर ट्रस्ट ने स्वामित्व से संबंधित राजस्व अभिलेख एवं नगर निगम के अभिलेख सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में प्रस्तुत कर दिए हैं। इनमें ट्रस्ट का स्वामित्व स्पष्ट है। संपूर्ण कटरा केशव परिसर जिसका वास्तविक क्षेत्र 13.34 एकड़ है, जिसमें सभी भवन मंदिर तथा मस्जिद शामिल है। अविवादित रूप से स्वामी हैं। अन्य किसी को वहां पर बिना ट्रस्ट की अनुमति के विधिक अधिकार नहीं है।

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