क्या कहा…? लानत ? अमा जाने दो यारो, पत्रकारिता, नेतागिरी, समाजसेवा… ! आकथू… ! आदमपुर के कोयला बाज़ार में सड़क पर घुमने वाली मानसिक विक्षिप्त युवती हुई गर्भवती, अब तो शर्मसार हो जा इंसानियत

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: क्या कहा मोरबतियाँ……? यानी पत्रकारिता…..! अमा जाने भी दो यारो। लानत सिर्फ पत्रकारिता पर ही क्यों ? समाजसेवा, नेतागिरी, इंसानियत आदि जितने भी शब्द है लानत तो वहाँ तक जानी चाहिए। आखिर शर्मसार होना है तो सिर्फ इंसानियत को ही शर्मसार क्यों कर दिया जाए। थोडा हम और आप भी शर्मसार हो लेते है। शर्मसार तो समाज को भी होना होगा। शर्मसार तो वहशी, दरिन्दे और भेडियो के लिए भी होने की बात है कि सड़क पर मानिसक विक्षिप्त जैसी स्थिति में घुमने वाली एक युवती गर्भवती है….! क्या कहा आपने…? बेहद शर्मिंदा कर देने वाली ये बात है…..! तो आप अपने फ़र्ज़ से बेज़ार न हो हुजुर, ये इंसानियत को शर्मिंदा कही युगांडा के जंगलो में करने वाली घटना नही है। बल्कि इसी वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के आदमपुर थाना क्षेत्र स्थित कोयला बाज़ार इलाके में ये घटना सामने आई है।

विगत लगभग डेढ़ वर्ष से एक 23-24 साल की युवती मानिसक विक्षिप्त की स्थिति में सडको पर कोयला बाज़ार और आसपास टहला करती है। किसी ने कुछ दे दिया तो खा लिया। किसी ने कपडे दे दिया तो पहन लिया। नींद आई तो सड़क किनारे कही चबूतरे पर अथवा गली में सो लिया। घर के नाम पर अथवा कुनबे के नाम पर जब जानकारी हासिल किया तो एक माँ है और एक बहन है। एक सौतेली बहन भी है। माँ की आर्थिक स्थिति ऐसी नही है जो अपनी बेटी को पाल सके। बेटी मानसिक बीमार है। सडको पर विगत डेढ़ वर्ष अथवा उससे कुछ कमोबेश ये युवती इसी इलाके यानि कोयला बाज़ार स्थित मौलाना बाबा से लेकर कोयला बाज़ार धान मिल तक घूम फिर कर रहती है।

लोगो की नज़र भी उसके ऊपर पड़ना शुरू हुई जब उसका पेट इस बात की गवाही देने के लिए बेचैन है कि वह गर्भ से है। वक्त गुज़रता गया और अब आखिर इस बात को उसकी शारीरिक बनावट गवाह बनकर कह रही है कि वह युवती गर्भ से है। आपको सोच कर रोंगटे खड़े हो गए होंगे कि आखिर ऐसे वहशी भेडिये इस समाज का हिस्सा है जिनकी गन्दी और घिनौनी नज़र ऐसे मानसिक विक्षिप्त पर भी पड़ जाती है। हम भी उसी इलाके के रहने वाले है। हमारी नज़रे भी उस तरफ दिखाई गई और हमने भी इसको देखा कि मानसिक विक्षिप्त युवती गर्भ से है और शायद उसका गर्भ 7 माह के लगभग का हो गया होगा।

इंसानियत तो शायद हमारी भी कोमा में रही होगी। नज़र में तो हमारे मामला दो माह पहले भी आया था। मगर बताया न कि शायद हमारी इंसानियत भी कोमा में थी। आज उस इंसानियत को झकझोर कर हमारे दोस्तों ने उठा दिया और कल की घटना के सम्बन्ध में बताया कि कोयला बाज़ार के चबूतरे पर सोते समय उक्त युवती ज़बरदस्त उलटी कर रही थी। सोच कर हमारे रोंगटे खड़े होने को तैयार हो गए कि आखिर कितनी घिनौनी मानसिकता के लोग इस समाज में है। मगर बताया इंसानियत तो हमारी भी कोमा में थी। तो क्या इलाके के नेता, समाजसेवक, बड़े बुज़ुर्ग किसी की इंसानियत जाग रही थी क्या? ओह…..! हो सकता है सबकी इंसानियत ऐसी ही सो रही हो।

हमारी इंसानियत जागी और इस सम्बन्ध में हमने डीसीपी वोमेन ममता रानी से फोन पर बात किया और पुरे मामले की जानकारी उनको प्रदान दिया। मामले की जानकारी होने के बाद डीसीपी ममता रानी ने तत्काल इस मामले को हैंडल करने के लिए चेतगंज चौकी इंचार्ज सुमन यादव को हमारा नम्बर प्रदान करते हुवे उन्हें मौके पर पहुचने को निर्देशित किया। मामले की जानकारी थाना आदमपुर को होने के बाद मछोदरी चौकी इंचार्ज अजय पाल और अन्य पुलिस बल भी चंद मिनटों में मौके पर पंहुचा और सभी ने मिलकर उसके दवा इलाज के लिए उसको मदर टेरेसा संस्थान भेजा। डीसीपी वोमेन ममता रानी इस मामले में अपनी पैनी निगाह खुद बनाये हुवे है।

जिसको भी मामले की जानकारी मिली उन सबने कहा अरे…..! ऐसा कैसे……! बेहद ज़लील हरकत हुई….! मगर कौन…..? दोषी कौन…..? आरोपी कौन…..? क्या पुलिस तलाश पाएगी……? हमारे पास भी इस सवाल का जवाब नही है। पीडिता खुद मानसिक विक्षिप्त है। जिसको आप पागल कहते है। बेशक आप कह सकते है क्योकि आपका दावा आपकी अक्ल-ए-सलाहियत का है न। मगर एक बात का जवाब दीजिये…….! छोड़ उसकी खता…..! तू तो पागल नही। मगर समाज सच बताता हु भेड चाल चल रहा है। कई मूकदर्शक थे जब पुलिस मौके पर आकर उस मजलूम युवती को इलाज हेतु लेकर जा रही थी। मूकदर्शक कहे या फिर दर्शक कहे बेहतर होगा। क्रांतिकारी तो समाज में चाहिए ही होता है। मगर कोई अपने घर में नही चाहिए होता है।

बहरहाल, फिलहाल युवती को दवा सम्बन्धित संस्थान ने प्रदान कर दिया है। दवा लेकर युवती वापस पुलिस चौकी मछोदरी आई जहा पर उसको इलाज के बाद उसकी माँ के सुपुर्द कर दिया गया। माँ उसकी लेकर तो उसको गई मगर एक बार फिर वह युवती सड़क पर ही घूम रही है। समाज के बीच में जिस समाज के बीच में इंसानों के भेष में घुसे किसी भेडिये या फिर भेडियो ने उसका ये हाल किया है। हम आप मूकदर्शक बन कर देख सकते है। सिर्फ देखते रहेगे। जिला प्रोबेशन अधिकारी के पास कोई ऐसी संस्था नही है जो ऐसी युवतियों का इलाज करवा सके। महिला सुरक्षा उसके लिए तो पुलिस मुस्तैद होने की बात करती है। बेशक चेतगंज चौकी इंचार्ज सुमन यादव और मछोदरी चौकी इंचार्ज अजय पाल ने कोई कोर कसर नही छोड़ी कि उस युवती को एक रिहाइश मिल जाए। मगर कोई भी संस्था ने कदम आगे नहीं बढ़ाया और आखिर उस युवती को उसके माँ और बहन की सुपुर्दगी में सौप दिया गया। यानी सडक पर वापस वह आई बस तरीका कान घुमा कर पकड़ने का हो गया।

क्या कहते है जिला प्रोबेशन अधिकारी

जिला प्रोबेशन अधिकारी से सुधाकर शरण पाण्डेय से इस सम्बन्ध में हमने बात करने की कोशिश किया तो एक मीटिंग में व्यस्त होने के कारण उनका फोन नही उठा। मगर यहाँ सवाल उठता है कि आखिर महानगर बनारस में ऐसा कोई स्थान नही है जहा इस प्रकार से माज़ूर महिलाओं के लिए कोई छत हो।

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