वक्फ बोर्ड के संपत्तियों की जाँच कराये जाने और 1989 के शासनादेश को खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री बधाई के पात्र है: एड0 शशांक शेखर त्रिपाठी

ए0 जावेद

वाराणसी: भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र की तरफ से वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों की जांच कराए जाने व 7 अप्रैल 1989 के शासनादेस को समाप्त करने के आदेश पर मुख्यमंत्री को हार्दिक बधाई दी है। भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र के संयोजक शशांक शेखर त्रिपाठी एडवोकेट ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से यह मांग जोर पकड़ रही थी कि कांग्रेस की सरकार के द्वारा जो अवैध कानून बनाकर हिंदुओं के साथ अपराध किया गया है, उन कानूनों की संविधान के प्रस्तावना व मूल भावना के अनुरूप व्याख्या होनी चाहिए। इसी क्रम में वक़्फ़ एक्ट 1995 जो कि केंद्र सरकार में नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री रहते हुए बना तथा उत्तर प्रदेश सरकार में जब एनडी तिवारी मुख्यमंत्री थे, तब एक अविधिक  शासनादेश 7 अप्रैल 1989 को राजस्व विभाग से जारी कराया गया कि ऊसर बंजर और भीटा की जमीन अभी वक़्फ़ बोर्ड के कब्जे के आधार पर उनको ट्रांसफर की जा सकती है।

उन्होंने कहा है कि इस प्रकार से एक षड्यंत्र के तहत कांग्रेस की सरकार ने सरकारी जमीन को वक़्फ़ बोर्ड को देने का एक ऐसा षड्यंत्र रचा जिसके बारे में सामान्य जनता को आज तक पता ही नहीं चल पाया और सभी सरकारी ऐसी जमीनी जिनके बारे में राजस्व संहिता में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि वह जमीन अनुसूचित जाति और जनजाति को भी पट्टा नहीं कि जा सकती, उन जमीनों को वक़्फ़ बोर्ड को देने के लिए एक अवैध और गलत प्रकार का शासनादेश जारी करके सरकारी जमीनों पर मस्जिद मजार और मदरसे बनाने का षड्यंत्र कांग्रेस की सरकार द्वारा किया गया।

शशांक शेखर त्रिपाठी ने कहा कि 7 अगस्त 1989 के शासनादेश को समाप्त करने का कार्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया है और जो भी जमीन  इस शासनादेश के तहत वक़्फ़ बोर्ड को दी गई है उन जमीनों के जांच का आदेश जारी कर दिया गया है। इस कार्य के लिए भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र की तरफ से उनको बधाई दी जाती है। उनका धन्यवाद ज्ञापित किया जाता है कि कांग्रेस को उसके किए गए पापों का जवाब देना ही होगा और हम हम सब लोग जागृत होकर कानूनी रूप से कांग्रेस के किए हुए सभी षड्यंत्रों का खुलासा करने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ है।

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