रीना त्रिपाठी की बनारस के सम्बन्ध में स्मर्णिका: बनारस की हवा ने ही मुझे सपने देखना सिखाया, उन सपनों को साकार करने का जुनून दिखाया

रीना त्रिपाठी

वाराणसी के ग्रुप में एक बहन ने जोड़ा कुछ यादें ताजा हो गई। वैसे मेरा बनारस से कुछ लेना देना ना होते हुए भी एक अटूट बंधन है, एक कभी न टूटने वाला रिश्ता है। हम कानपुर के रहने वाले हैं और इस समय लखनऊ में पूरी तरह बस गए है। इसके बावजूद मेरी कक्षा पांच से लेकर इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई बनारस में हुई है। निश्चित रूप से बनारस में मुझे बहुत कुछ दिया। मेरे जन्म के बाद लगभग बारह साल बाद मेरे दो भाई जिनका जन्म बनारस में ही हुआ।

मेरे पिताजी पुलिस में ट्रैफिक इंस्पेक्टर हुआ करते थे। उनकी पोस्टिंग ज्यादातर पुलिस लाइन में रही। इसी दौरान भोजुबीर, अर्दली बाजार, शिवपुर, पुलिस लाइन और रामनगर में समय-समय पर रहना हुआ। अर्दली बाजार में स्थित यूपी कॉलेज इसे उदय प्रताप ऑटोनॉमस कॉलेज के नाम से भी जानते हैं। वही स्थित रानी मुरारी बालिका इंटर कॉलेज में इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई संपन्न हुई।

बनारस की सुबह बनारस की सकरी गलियां और बनारस के पान की तहजीब और विशेष भाषा की खनक निश्चित रूप से आज भी मेरे कानों में तरोताजा है। बनारस की हवा ने ही मुझे सपने देखना सिखाया, उन सपनों के लिए सोच और आगे बढ़ने का जुनून दिखाया। हमारे यहां आज यूपी बोर्ड की शिक्षा का स्तर भले ही कुछ गिर गया हो पर उस जमाने में उत्तर प्रदेश के टॉपर हमारे कॉलेज से हुआ करती थीं और उसको देख कर एवरेज स्टूडेंट हम लोग भी प्रथम श्रेणी में पास होने की तमन्ना साकार कर पाए।

लगभग 9 साल बनारस रहने के बाद भी फिल्मी दुनिया में दिखाया जाने वाला बनारस और जिससे एक विशेष डर का माहौल जो हमारे मन और मस्तिष्क में बन गया था और वह आज भी कायम है। बनारस में अकेले मैं कभी बाहर नहीं गई। यह बात अलग है कि मेरा भी बीएड गाजीपुर पीजी कॉलेज से होने के क्रम में, मैं पहली बार अकेले बाबा विश्वनाथ के दर्शन को गई तो शायद बचपन से बना हुआ वह डर कफूर हुआ।

और इस यात्रा के बाद कई बार विभिन्न ट्रेनिंग में, तो कभी किसी आयोजन में बनारस जाना हुआ। इसी क्रम में 19 नवंबर को वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई का जन्मदिन हम बनारस में भारतीय नागरिक परिषद के बैनर से आयोजित करने जा रहे हैं, आशा ही नहीं उम्मीद है सखी समागम की सभी सखियों से इस कार्यक्रम में भेंट हो जाए।

बाबा विश्वनाथ पंचकोसी परिक्रमा बाबा भैरवनाथ के दरबार की अर्जी और अन्नपूर्णा माता से लिया गया घर सदा धन्य धान्य से भरा रहने का आशीर्वाद, गंगा जी के सुसज्जित घाट और आरती, बनारस की कचौड़ी हो या लौंग लत्ता, बनारस की साड़ियां हो या फिर एक गली से निकल कर दूसरी गली में पूरा मोहल्ला घूम लेने का आनंद वाकई अविस्मरणीय है। रामनगर और लंका की सजीव रामलीला हो, रामनगर के राज परिवार द्वारा रामलीला में सोने की अशर्फी से किया गया कन्यादान, नक्कटैया का भरत मिलाप हो या दशहरा गोदौलिया की सकोरे वाली लस्सी, मुंह में गीली सुपारी के साथ पान की गिलोरी दबाए वहां के आम निवासी पुरुष और महिलाओं कि बातों की मिठास हो या गालियों की बौछार, आपको कहना ही पड़ेगा, वाह बनारस।।।! ई रजा बनारस, जियो बनारस। यादों को ताजा करने के लिए आप सब का धन्यवाद।
रीना त्रिपाठी
महामंत्री
भारतीय नागरिक परिषद

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *