Varanasi

बनारस व्यापार मंडल में हुआ अब सबसे बड़ा खड्मंडल: अध्यक्ष, महामंत्री की जद्दोजेहद के बीच संस्था के असली महामंत्री ने कालातीत इस संस्था को डिज़ाल्व करने के लिए दिया सहायक निबंधक को पत्र

शाहीन बनारसी

वाराणसी: पूर्वांचल की सबसे बड़ी मार्किट की संस्था “बनारस व्यापार मंडल” हेतु हुवे एक कथित चुनाव की वैधानिकता को लेकर चल रहे खड्मंडल के दरमियान अब एक सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ आ रही है। अभी तक इस संस्था हेतु कथित रूप से हुवे चुनाव में निर्वाचित घोषित हुवे अध्यक्ष और महामंत्री पर ही नही बल्कि पुरे संस्था के ही अस्तित्व पर सवालिया निशान लग गया है। इस कालातीत संस्था को लेकर हो रहे रोज़-ब-रोज़ नए नए खुलासे में यह सबसे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज़ है।

दरअसल, पंजीकृत संस्था बनारस व्यापार मंडल पत्रावली संख्या थी P-29599, जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर था 743/2004-05 जो दिनांक 6/10/2004 को पंजीकृत हुई थी के महामंत्री मो0 असलम ने आज सहायक निबंधक को पत्र प्रदान कर इस कालातीत संस्था को ही डिजाल्व करने का आवेदन किया गया है। अब इस पत्र के बाद संस्था बनारस व्यापार मंडल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। अभी तक तो इसकी जद्दोजेहद कुछ लोग कर रहे थे कि आखिर संस्था के कागज़ का इंतज़ाम करने रिनिवल जो विगत 13 वर्षो से नही हुआ है करवा ले। अब इस जद्दोजेहद में उनको लगना पड़ेगा कि संस्था डिजाल्व होने से बचाया जाए और किसी प्रकार से महामंत्री मो0 असलम को मनाया जाए।

आज लिखे अपने पत्र में महामंत्री मोहम्मद असलम ने संस्था के पंजीकरण और पत्रावली संख्या का उल्लेख करते हुवे लिखा है कि “उक्त संस्था का पंजीकरण वर्ष 2009 में समाप्त हो चूका है और संस्था कालातीत है। संस्था में विगत 18 वर्षो से सदस्यों और अन्य कारणों से न तो चुनाव हुआ है और न ही संस्था की कोई बैठक हुई है। इतनी पुरानी कालातीत संस्था के अध्यक्ष और कई सदस्यों की मृत्यु हो चुकी है। कुछ लोग संस्था का दुरूपयोग करने के लिए फर्जी दस्तावेजों और हस्ताक्षर के द्वारा संस्था पर कब्ज़ा करने का प्रयास कर रहे है।”

मो0 असलम ने अपने पत्र में निवेदन करते हुवे सहायक निबंधक से कहा है कि “संस्था बनारस व्यापार मंडल को डिजाल्व करने का आदेश पारित करने का कष्ट करे।” इस पत्र को आज मो0 असलम के द्वारा सहायक निबंधक को प्रदान कर प्राप्ति ले लिया गया है। यह पत्र उनके लिए एक तगड़ा झटका है जो इस संस्था के रिनिवल हेतु आज सुबह से भागदौड़ करके किसी प्रकार से पत्रावली की पक्की नक़ल निकाल पाए थे। अब उनको यह पत्र एक जोर का झटका धीरे से दे बैठा है। अब अगर संस्था के बाइलाज को देखे तो महामंत्री मोहम्मद असलम के पास यह अधिकार निहित है कि वह ऐसा प्रत्यावेदन कर सकता है।

वही इस मामले में बात करते हुवे मोहम्मद असलम ने हमसे बताया कि चुनाव किसने करवाया इसकी जानकारी मुझको नहीं है। स्वास्थ कारणों से उन दिनों मैं दूकान नही जा रहा था। मुझको ऐसी जानकारी मिली कि कुछ लोग हमारी संस्था का चुनाव करवा रहे है जो नियमो के एकदम एकदम विरुद्ध था। देश और समाज संविधान से चलता है। कुछ ऐसे लोग जो संविधान में आस्था न रखते होंगे उन्होंने ऐसी हरकत-ए-बेजा किया है। मिली जानकारी के अनुसार संस्था का चुनाव ऐसे करवाया गया जैसे किसी बड़े जनप्रतिनिधि का चुनाव हो रहा हो। जबकि संस्था का संविधान कहता है कि अधिकतम 151 विशिष्ठ सदस्य ही इस संस्था में मतदान कर सकते थे।

मोहम्मद असलम ने कहा कि ऐसे असंवैधानिक चुनाव के बाद एक व्यक्ति खुद को अध्यक्ष और दुसरे व्यक्ति खुद को महामंत्री स्वयम्भू घोषित कर बैठे और जबकि संस्था कालातीत है और वर्ष 2004 से संस्था की कोई बैठक ही नही हुई और संस्था का रिनिवल वर्ष 2009 से नही हुआ है। जिनको चुनाव करवाने का शौक था उनको पहले संस्था का रिनिवल करवाना चाहिए था और संस्था का चुनाव नियमुसार करवाना चाहिए थे। संस्था पर कुछ लोग अवैध रूप से कब्ज़ा करना चाहते है। जो नियम के मुखालिफ है। मैंने अपने पद का उपयोग करते हुवे इस संस्था को ही डिजाल्व करने का आवेदन सहायक निबंधक को दिया है। वही इस सम्बन्ध में सहायक निबंधक मंगलेश सिंह ने कहा कि बनारस व्यापार मंडल को लेकर पत्र प्राप्त हुआ है। इस सम्बन्ध में पत्रावली का अवलोकन कर नियमानुसार कार्यवाही किया जायेगा।

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