Varanasi

आदमपुर के ओमकारलेश्वर खेत पर भू-माफिया द्वारा अवैध कब्ज़े प्रकरण: इस्पेक्टर साहब, ये है स्टे की प्रति, नव्य्यत तो बदल गई, क्या लक्सा के इस हिस्ट्रीशीटर पर अब होगी अदालत के अवमानना की कार्यवाही ?

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र स्थित बहुविवादित संपत्ति खेत पर शनिवार देर रात से मदनपुरा स्थित रामपुरा निवासी लक्सा थाने के हिस्ट्रीशीटर भू-माफिया द्वारा अचानक अवैध रूप से कब्ज़े का प्रयास जारी हो गया। इस संपत्ति के ऊपर एक नही बल्कि दो केस अदालत में विचाराधीन है। इसके बावजूद भी बाहुबल और सेटिंग गेटिंग के खेल को खेलते हुवे भू-माफिया द्वारा सपत्ति की चारदिवारी खिचवाई जाने लगी। दो दिन अदालत के बंद रहने का नाजायज़ फायदा उठाते हुवे बाहुबल और सेटिंग के बल पर आदमकद चारदीवारी भी उठवा लिया गया।

मामले में दुसरे पक्ष मस्जिद पीर फत्ते के मुतवल्ली द्वारा बार बार दौड़ लगाई गई मगर सुनवाई शुन्य रही और स्थानीय चौकी इंचार्ज द्वारा काम रोकने के लिए लेटेस्ट स्टे की मांग किया जा रहा था। एक पुराने स्टे की कापी दिखाने और सोमवार को स्टे की नवीनतम प्रति उपलब्ध करवा देने के वायदे के बाद भी पुलिस अपनी जगह से हिल नही रही थी। शायद मजबूत फेविकोल का जोड़ रहा होगा जो पुलिस को हिलने ही नही दे रहा था। दूसरी तरफ युद्ध स्तर पर 25 मिस्त्री और 40 मज्दुरा लगा कर बाहुबली हिस्ट्रीशीटर और भू-माफिया के द्वारा चारदिवारी निर्माण जारी रहा।

रविवार के दोपहर तक मामला मीडिया में आने के बाद हमारी खबर का असर हुआ और आदमपुर पुलिस अपनी कार्यवाही को निष्पक्ष बनाने की कवायद करते हुवे शाम को लगभग 4 बजे काम रुकवाई। फिर भी चूहा बिल्ली का खेल भू-माफिया ने जारी रखा था। पुलिस आती तो काम बंद होता जाती तो दुबारा उससे भी तेज़ रफ़्तार से काम जारी हो जाता। अदालत का आदेश ताख पर रख कर भू-माफिया हिस्ट्रीशीटर के द्वारा शाम 4 बजे जब स्थानीय पुलिस ने काम रुकवा दिया तब तक नवय्यत संपत्ति की बदल डी गई थी। सूत्र बताते है कि इस दरमियान खुद हिस्ट्रीशीटर मौके पर अवैध असलहो के साथ मौजूद था।

बहरहाल, आज अदालत खुली और मस्जिद फत्ते पीर के मुतवल्ली को अदालत से स्टे की प्रति उपलब्ध हो है। हमने भी फाइल का मूआयाना अपने अधिवक्ता के ज़रिये करवाया तो स्टे काफी समय से मौजूद मिला। अमूमन वादी जब संपत्ति यथा स्थिति की पड़ी रहती है तो स्टे की प्रति नही लेते है। मस्जिद कमेटी के पास जो प्रति थी वह प्रति कही गायब हो चुकी थी। अचानक ऐसे शनिवार और रविवार की बंदी का फायदा उठा कर संपत्ति की नवय्यत तो बदल दिया गया। भू-माफिया काफी चालाक किस्म का हिस्ट्रीशीटर है। इस संपत्ति की नवय्यत बदल कर वह अदालत में इसका बड़ा फायदा लेगा। चंद लाख खर्च कर करोडो कमाने का जुगाड़ तो वाकई बढ़िया था।

अब जब स्टे की प्रति थाने को उपलब्ध हो चुकी है। हमारे समाचार के साथ भी पब्लिश है और आम जनता देख रही है तो सवाल बड़ा उठता है कि क्या अब आदमपुर पुलिस “अदालत की अवमानना” का मामला इस कुख्यात हिस्ट्रीशीटर भू माफिया पर दर्ज कर कार्यवाही करेगे ? क्योकि पुलिस को मुगालते में रख कर युद्ध स्तर पर विवादित और निषेधाज्ञ लगी हुई संपत्ति की नवय्यत बदल डाली। इस सवाल का जवाब तो सिर्फ आदमपुर इस्पेक्टर के पास ही होगा कि वह कार्यवाही करेगे अथवा बात आई और गई करार दे देंगे।

गौरतलब हो कि वाराणसी के आदमपुर क्षेत्र स्थित ओमकार्लेश्वर के बहुविवादित खेत पर शनिवार देर रात से अचानक जोरो शोर के साथ चारदीवारी घेरने का सिलसिला चला। इस संपत्ति पर एक नही बल्कि दो दो कोर्ट केस होने और एक केस में स्टे के बावजूद भी शनिवार रविवार अदालत बंद होने का फायदा उठा कर ज़बरदस्ती कब्जा करने का प्रयास हुआ और आदमकद चारदीवारी उठ गई। भारी संख्या में मजदूर और मिस्त्री के साथ मदनपुर इलाके का निवासी लक्सा थाने का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर द्वारा कब्ज़ा करने का प्रयास किया गया जिसमे स्थानीय पुलिस की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध नज़र आई। जब्व्की वाद संख्या 721/2001 सिविल जज सी0डी0 की अदालत में विचाराधीन है जिसमे अदालत ने स्थगनादेश दे रखा है। वाद में वादी मुकदमा मस्जिद पीर फत्ते है। मस्जिद के मुत्वल्लियान के पास एक स्टे की कापी भी है। वह स्टे की मियाद कंडीशनल थी और वर्ष 2019 के 10 अक्टूबर तक थी। जो इस केस की नेक्स्ट हियरिंग थी। मस्जिद कमेटी का कहना है कि उक्त स्थगनादेश आगे बढ़ गया है। सोमवार को अदालत खुलने पर उसकी नवीनतम प्रति प्रदान कर दिया जायेगा। मगर स्थानीय पुलिस हिस्ट्रीशीटर की सुन रही थी उनकी सुन ही नही रही थी।

इस संपत्ति को लेकर जमकर विवाद और तनाव आज से दो दशक पहले भी हो चूका है। एक पार्टी मस्जिद होने के कारण क्षेत्र में तनाव और भी ज्यादा बढ़ गया था। मगर इस सबके बावजूद भी पुलिस का ऐसा उदासीन रहना शांति व्यवस्था के लिए एक बड़ा खतरा था। देर रात से ताबड़तोड़ बहुतायत में मजदूर और मिस्त्री लगा कर चारदीवारी घेरी जाना वह भी अदालत की छुट्टी के दिन, नियत पर आम इंसान के शक खड़ा कर सकता है कि आखिर इतनी जल्दी क्या है? आखिर एक दिन रुकने में क्या हर्ज है? अब सवाल ये है कि चारदीवारी जो आदमकद हो चुकी है को क्या पुलिस तोडवा सकती है? क्योकि यहाँ खेल तो संपत्ति की नवय्यत बदलने का था और अदालत के हुक्म की अवमानना करते हुवे ये काम हो भी गया।

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