मथुरा ईदगाह प्रकरण: मस्जिद पक्ष ने कहा हमारी जानकारी के बगैर ही हुआ है 8 दिसम्बर को ये आदेश, अब हुआ सार्वजनिक, हम करेगे इसके खिलाफ अपील, जाने क्या है “कान्हा की नगरी” का सूरत-ए-हाल

रवि पाल

मथुरा: अदालत द्वारा मथुरा शाही ईदगाह पर अमीन सर्वे तलब करने के आदेश की जानकारी कल यानी 24 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष को होने पर अब मस्जिद कमेटी इस फैसले के खिलाफ अपील करेगी। बताते चले कि 8 दिसंबर को एक हिंदू संगठन की तरफ़ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मथुरा की एक स्थानीय अदालत ने संपत्ति की अमीन रिपोर्ट मांगी है। अदालत ने आठ दिसंबर को ही इस याचिका पर आदेश दिया था जिसकी जानकारी 24 दिसंबर यानी शनिवार को सार्वजनिक हुई।

इस आदेश के सार्वजनिक होने के बाद भले देश भर के टीवी कैमरे मथुरा की तरह दौड़ लगा रहे है। मगर एक हकीकत ये भी है कि “कान्हा की नगरी” जैसे आपसी इकराहीयत के साथ पहले रहती थी आज भी है। आज भी दोनों संप्रदाय अपने अपने कारोबार कर रहे है। मस्जिद में जैसे पहले नमाज़े होती थी वैसे ही अभी भी हो रही है और जैसे सब कुछ चलता था वैसे ही ज़िन्दगी अपनी रफ़्तार से चल रही है। बस फर्क इतना पड़ा है कि देश भर के टीवी कैमरे शहर में दौड़ रहे है।

बहरहाल, विवाद से जुड़े मुसलिम पक्ष का दावा है कि ये ‘एकतरफा आदेश है’ जो उनका पक्ष सुने बिना ही पारित किया गया है। मुसलिम पक्ष का दावा है कि आदेश सर्वे का नहीं है बल्कि अदालत ने मौके की अमीन रिपोर्ट (मौके पर क्या-क्या मौजूद है और उसका मालिकाना हक़ किसके पास है) मांगी है। मगर ये फैसला एकतरफा आदेश है जिसके खिलाफ हम अपील दाखिल करेगे। अदालत को हमारा पक्ष रखने का मौका देना चाहिए था।

बताते चले कि मथुरा ये कुल 13।77 एकड़ ज़मीन का मामला है। इसके एक हिस्से में ईदगाह बनी है। इससे जुड़े कई मामले अदालत में चल रहे हैं। मथुरा की सीनियर सिविल जज सोनिका वर्मा ने ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अमीन (राजस्व विभाग के अधिकारी) को मौके का मुआयना करने और 20 जनवरी तक अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश करने के लिए कहा है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।

मस्जिद-ईदगाह की इंतेजामिया समिति के अधिवक्ता तनवीर अहमद कहते हैं, “मस्जिद-मंदिर को लेकर एक दर्जन से अधिक मुक़दमे हैं, पांच मुक़दमे रद्द हो चुके हैं। अभी तक मथुरा की किसी अदालत ने कोई आदेश नहीं दिया है। एक वादी पक्ष ने आठ दिसंबर को एक नया मुक़दमा दायर किया था। हम उसमें एक पक्ष थे, लेकिन अदालत ने हमें सुने बिना ही एकतरफ़ा आदेश देते हुए कहा है कि मौके की अमीन रिपोर्ट दायर की जाए। ये सर्वे का आदेश नहीं है बल्कि अमीन रिपोर्ट मांगी गई है। इसका मतलब ये है कि मौक़े की स्थिति कोर्ट को बताई जाए की वहां क्या-क्या बना हुआ है।” ये मुक़दमा आठ दिसंबर को दायर हुआ था और उसी दिन आदेश पारित हुआ जिसके बारे में जानकारी 24 दिसंबर को सार्वजनिक हुई।

तनवीर अहमद कहते हैं, “मस्जिद में अभी पांचों वक्त की नमाज़ जारी है, किसी तरह की पाबंदी ना पहले थी ना अब है। ईदगाह में भी सभी नमाज़ें होती हैं। वादी पक्ष का ये दावा ग़लत है कि 1968 से पहले यहां नमाज़ नही होती थी। यहां जब से मस्जिद है तब से लगातार नमाज़ हो रही है, सदियों से ये सिलसिला चला आ रहा है। यहां कोई विवाद था ही नहीं, बाबरी मस्जिद के फैसले को जब सबने स्वीकार कर लिया, तब बाहरी लोगों ने यहां आकर नया विवाद शुरू करने के लिए मुक़दमे दायर करने शुरू कर दिए। पहले तो ये मुक़दमा स्वीकार ही नहीं होते थे।”

अदालत ने ये आदेश हिंदूवादी संगठन ‘हिंदू सेना’ की तरफ़ से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दी है। हिंदू सेना ने देव बालकृष्ण की तरफ़ से याचिका दायर की है और हिंदू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता को उनकी तरफ से अधिकृत बताया गया है। हिन्दू सभा के विष्णु गुप्ता कहते हैं कि “मथुरा विवाद में ये हिंदू पक्ष की पहली जीत है। लंबे समय बाद यहां सर्वे का आदेश हुआ है। हमने अदालत से कहा है कि ये मस्जिद औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़कर बनवाई है, इसका सर्वे होना चाहिए।”

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *