साहब, आदमपुर पुलिस न माने अदालत का हुक्म, न कायदा-कानून, वह तो बाहुबली भू-माफिया का धनबल और मनबल जाने, अदालत का स्टे रख ताख पर ओमकार्लेश्वर खेत में दिनरात चल रही जेसीबी, देख ले साहब साक्ष्य

तारिक़ आज़मी

वाराणसी: वाराणसी पुलिस कमिश्नर अशोक मुथाजैन जिस प्रकार से नियमो का पालन करने वाले और कानून तथा अदालत का सम्मान करते है। उसके उलट विगत एक महीने के करीब हुआ आदमपुर पुलिस ने लगता है जैसे कसम खा रखा है कि वह न तो नियम मानेगी और न कानून, न अदालत का हुक्म मानेगी और न ही संवैधानिक बाते। वह मानेगी तो बाहुबली भू-माफिया की मर्ज़ी और उसका मनबल। शायद निजी हित समाज और कानून रक्षा के पहले आदमपुर पुलिस के नज़र में होगा तभी तो अदालत के तमाम हुक्मो को दरकिनार करते हुवे ओमकार्लेश्वर खेत पर दिन रात जेसीबी चल रही है।

मौके पर दिन रात धुँआधार चलती जेसीबी जबकि इस संपत्ति पर अदालत ने स्टे दे रखा है। रात को भी काम होता रहता है। ये बस आदमपुर पुलिस को नही नज़र आता, इस संपत्ति पर जिला जज की अदालत से यथास्थिति बरक़रार रखने का हुक्म 25 जनवरी को केस नंबर 83/22 में हुआ है, जो दिनांक 4 फरवरी तक लागू है। जबकि फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस संपत्ति पर यथास्थिति कायम रखने का हुक्म case No. 721/2001 में 31 जनवरी तक का दिया है। वीडियो दिनांक 27 दोपहर जनवरी का है। अब आदमपुर पुलिस कहेगी कि उसको तो इस स्टे की जानकारी ही नही है…..! 

अब बात तो कुछ ऐसी हो चुकी है कि बाहुबली किसी को जान से मार देने की धमकी कहलवाए या फिर दिन रात स्टे लगी हुई संपत्ति पर जेसीबी चलवाए। कमर पर अवैध पिस्टल लटका कर खड़ा होकर काम करवाता रहे। आवाम उसके खौफ से खौफज़दा होकर दौड़ती रहे। आखिर सुनेगा कौन और फ़रियाद करे तो करे कहा। आदमपुर इस्पेक्टर या फिर आदमपुर चौकी इंचार्ज किसी की निगाह कहा पड़ने वाली है। उनकी नजर-ए-इनायत तो शायद बाहुबली भू-माफिया के साथ थी, है और रहेगी। आप शिकायत करेगे तो आपको बताया जायेगा कि उसको बुलाकर पूछा, उसने कहा मैं नही, और फिर बात खत्म। इसको कहते है साहब “जबरा मारे तो रोवे भी न दे।”

मामला आदमपुर खेत का है। इस खेत पर दो मुक़दमे अदालत में विचाराधीन है। एक मुकदमा नंबर 721/2001 है जिसमे वादी मुकदमा मस्जिद पीर फत्ते खा के खुद को स्वयम-भू मुतवल्ली घोषित करके बैठे मुन्ना खा है। मुन्ना खान के मामले में अदालत ने 17 जनवरी 2023 की तारीख मुक़र्रर कर रखा था और मौके पर यथास्थिति बनाये रखने का निर्देश जारी किया था। जिसको अंग्रेजी में कहते है स्टे। इस स्टे के दरमियान ही लगभग एक माह पहले आदमपुर पुलिस के नाक के नीचे ताबड़तोड़ चारदीवारी उठाना शुरू कर दिया गया था। आखिर मामला हमारे द्वारा उठाया गया तो खुद की भूमिका पाक साफ़ दिखाने के लिए एक्टिव आदमपुर इस्पेक्टर भी हो गए और आदमपुर चौकी इंचार्ज साहब भी हो गए। मगर तब तक 3 फिट ऊँची चारदिवारी उठ चुकी थी।

मामला मीडिया में उछला तो बाहुबली भू-माफिया जिसने ये करोडो की संपत्ति कौड़ियो के दाम ख़रीदा था के द्वारा मुझको धमकी भी कहलवाया गया। धमकी गम्भीर थी क्योकि उसके पास असलहा है मैं भी जानता हु। धमकी के सम्बन्ध में मैं खुद उसी आदमपुर थाना क्षेत्र का रहने वाला हु इसकी जानकारी आदमपुर इस्पेक्टर और आदमपुर चौकी इंचार्ज को मिल कर प्रदान किया। दोनों के द्वारा आश्वासन मिला कि बुला कर पूछता हु, और आप कहे तो आपके सामने बुला कर पुछू। हम भी आमना सामना करने को बाहुबली से तैयार थे क्योकि हमारा क़त्ल होने पर मेरे खून के छींटे आदमपुर पुलिस अपनी आत्मा पर महसूस करे मैं भी सोचता हु। मगर आश्वासन तो आश्वासन होता है। वायदे निभाया नही जाता तोडा जाता है ये बात आदमपुर चौकी इंचार्ज राहुल रंजन को जितना पता है उससे अधिक आदमपुर इस्पेक्टर को पता है। आज तक 15 दिनों बाद भी मामला ठन्डे बसते में है।

केस में दिला वादी मुकदमा के तरफ से प्रत्यावेदन, हमें यह कापी वादी मुकदमा ने ही उपलब्ध करवा दिया है

हाँ फर्क पडा तो सिर्फ एक इंसान पर वह थे मस्जिद पीर फत्ते खान के स्वयभू मुतवल्ली मुन्ना खान। बाहुबली भू-माफिया टुकडो पर फ़िदा इलाके के एक अमिताभ बच्चन (सही समय पर इस नाम का भी खुलासा होगा) के द्वारा मुन्ना खान को न मालूम कितना समझा दिया गया कि मस्जिद के मुतवल्ली खुद को ही खुदा समझ बैठे और मामले में सुलह मस्जिद के जानिब से कर लिया। मुन्ना बत्ती (बिजली का काम करते है और बिजली विभाग में लेफ्ट-राईट करते है तो लोग मुन्ना बत्ती कहते है) के लिए क्षेत्र में व्याप्त चर्चाओं के अनुसार 20 साल मुकदमा जो मस्जिद के चंदे से मुन्ना खा ने लड़ा होगा का मोटा हर्जाना मिला और 17 तारिख से पहले ही मौके पर जेसीबी चलने लग गई। आदमपुर इस्पेक्टर साहब को और आदमपुर चौकी इंचार्ज को एक स्टाम्प पेपर पर सुलहनामा मिल गया। फिर दस रूपये का ये स्टाम्प अदालत के स्थगनादेश पर भारी पड़ गया और काम अनवरत अभी तक चल रहा है।

मगर 17 जनवरी तक शायद मुन्ना मिया को तय रकम नही मिली होगी तो उन्होंने अदालत से अगली तारिख मांग लिया अदालत ने उनके प्रत्यावेदन पर स्टे 31 जनवरी तक कर दिया है और केस नम्बर 721/2001 में स्टे की अवधी 31 जनवरी तक कर दी गई। मुन्ना मियाँ अब कैसे मैनेज है ये वो जाने और उनकी आत्मा जाने। वैसे जो खुद को मस्जिद का मालिक समझे वह सामान्य इंसान नही बल्कि खुद को खुदा मानता होगा। अब साथ इलाकाई अमिताभ बच्चन का है तो मामला बढ़िया है। मगर बात यही खत्म नही बल्कि इसके आगे भी बड़ी ही रोचक है। इलाके के लोग थाने और चौकी पर इस मामले में जाने से खौफ खा रहे है ये बात तो स्पष्ट है, क्योकि इसके पहले देख चुके है लोग इसी मामले में कि थाने चौकी की दौड़ लगाते रहे और खुद फटकार सुनकर आते रहे। मामला मीडिया में न उठा होता तो काम रुकता भी नही।

इसी दरमियान एक केस और है जिसमे इसी संपत्ति का केस जीते पक्ष के ऊपर संपत्ति का केस हारे रामजी की पत्नी शांति ने जिला जज की अदालत में दाखिल किया था। केस नम्बर 83/22 में जिला जज की अदालत ने 25 जनवरी को सुनवाई किया। जिसमे बताया गया कि मौके पर जेसीबी लगा कर काम हो रहा है। 25 जनवरी को जिला जज ने साफ़ साफ शब्दों में हुक्म जारी किया है कि 4 फरवरी तक मौके पर कोई निर्माण कार्य न हो और यथा स्थिति बरक़रार रखी जाए। इस आदेश के बाद 26 को गणतंत्र दिवस होने के बाद आदेश के प्रति नही मिल सकी आज 27 को प्रति प्रदान करने की अर्जी दिली है जो पत्रावली में है, आज है चौथा शनिवार यानी कोर्ट बंद और परसों है रविवार यानी कोर्ट बंद। एक और बढ़िया बात कि सोमवार को भी शायद हड़ताल हो और प्रति मंगलवार को मिले। इस आदेश की जानकारी बाहुबली को मिल चुकी है। तब भी काम दिन-रात चल रहा है। चलता भी रहेगा। कोई कुछ नही कर सकता है क्योकि आदमपुर पुलिस अदालत के हुक्म को नही दस रुपया के स्टाम्प को अधिक तरजीह देती है।

हमने इस सम्बन्ध में चौकी इंचार्ज आदमपुर राहुल रंजन से बात किया तो उन्होंने कहा कि आप हमको आदेश की प्रति उपलब्ध करवा दे। अब बात ये है कि हम क्यों प्रति उनको उपलब्ध करवाए। उनके पास इस बात का तो साक्ष्य है कि मामला अदालत में विचाराधीन है और अदालत ने 17 जनवरी की अगली नियत तिथि तक स्टे आगे बढाया था। ऐसी स्थिति में वह उस पक्ष से अदालत की प्रश्नोतरी क्यों नही मांग लेते है कि केस खत्म हुआ और स्टे ख़त्म हुआ जो पक्ष मौके पर जेसीबी चलवा रहा है। नियमानुसार तो होना यही चाहिए। मगर किसी को विशेष सुविधा देने के लिए कुछ भी सुविधा नियमो के विपरीत उपलब्ध करवाया जा सकता है।

(अगले अंक में हम आपको बतायेगे कि किस तरह से अदालत के हुक्म को ताख पर रख कर इस संपत्ति की रजिस्ट्री करवा लिया गया और किस प्रकार से नियमो और अदालत के हुक्म को भी दरकिनार कर दिया गया। जुड़े रहे हमारे साथ)

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