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भारत जोड़ो यात्रा के समापन जनसभा में बोले राहुल गांधी “मैं आपको गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकते,” पढ़ें राहुल गांधी के भाषण का मुख्य अंश

शाहीन बनारसी

डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही “भारत जोड़ो यात्रा” का आज समापन हो गया। 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की यात्रा करने के बाद रविवार को समाप्त हुई कांग्रेस की मेगा “भारत जोड़ो यात्रा” का समापन समारोह आज श्रीनगर में हो गया। कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा ने काफी लम्बा सफ़र तय किया है। राहुल के साथ इस यात्रा में सफ़र तय कर रहे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओ ने कदम से कदम मिलाये और हाथ थामे इस यात्रा के सफ़र को तय किया है। वो एक बहुत खुबसूरत सा कलाम है “मैं अकेले ही चला था जानिब-ए-मंजिल लोग मिलते गये और कारवां बनता गया।”

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भी इस यात्रा में बहुत लोग शामिल हुए है। नेता से लेकर अभिनेता और खिलाडियों, युवाओ, आम नागरिको ने राहुल के साथ इस यात्रा में शामिल होकार उनके हौसले को बढ़ाया है। कन्याकुमारी से मुहब्बत और एकता का पैगाम और नफरतों के बाज़ार में मुहब्बत की दूकान खोलने को लेकर  राहुल गांधी चले थे और लम्बे सफ़र तय करने के बाद आज राहुल की पदयात्रा का समापन हो गया। “भारत जोड़ो यात्रा” के समापन में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि एक दिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मैंने सोचा कि मुझे 6-7 घंटे और चलना होगा और यह मुश्किल होगा। लेकिन एक युवती दौड़ती हुई मेरे पास आई और बोली कि उसने मेरे लिए कुछ लिखा है। उसने मुझे गले लगाया और भाग गई। मैंने इसे पढ़ना शुरू किया।

उसने लिखा कि मैं देख सकती हूं कि आपके घुटने में दर्द हो रहा है क्योंकि जब आप उस पैर पर दबाव डालते हैं, तो यह आपके चेहरे पर दिखता है। मैं आपके साथ नहीं चल सकती लेकिन मैं दिल से आपके साथ चल रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि आप चल रहे हैं। मेरे और मेरे भविष्य के लिए। ठीक उसी क्षण, मेरा दर्द गायब हो गया। राहुल गांधी ने कहा कि पीड़ित महिलाएं मुझसे मिलकर रो रहीं थीं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि चार बच्चे मेरे पास आए, वे भिखारी थे और उनके पास कपड़े नहीं थे। मैंने उन्हें गले लगाया। वे ठंडे और कांप रहे थे। शायद उनके पास खाना नहीं था। मैंने सोचा कि अगर वे जैकेट या स्वेटर नहीं पहने हैं, मुझे भी वही नहीं पहनना चाहिए…। इसलिए बच्चों को देखकर मैंने जैकेट पहनना छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि कश्मीरियत को अपना घर मानता हूं।

राहुल गांधी बोले कि मुझसे लोगों ने कहा कि पूरे भारत में आप पैदल चल सकते हैं, लेकिन कश्मीर में गाड़ी से चलिए, मैंने कहा कि यह (कश्मीरी) अपने घर के लोग हैं। मैं उनके बीच में चलूंगा। मैंने सोचा कि जो मुझसे नफरत करते हैं, उन्हें क्यों न मौका दें कि वह मेरी टी-शर्ट को लाल कर दें। क्योंकि गांधी जी ने मुझे सिखाया है कि जीना है तो बिना डरे जीना है। मैंने सोचा कि करना है तो लाल कर दो मेरी टी-शर्ट। लेकिन जो मैंने सोचा था वही हुआ। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने मुझे दिल खोलकर प्यार किया और मुझे बहुत खुशी हुई कि उन्होंने मुझे अपना माना और बुजुर्गों-बच्चों ने आंसुओं से मेरा स्वागत किया।

राहुल गांधी ने कहा कि जो सेना के लोग यहां काम करते हैं, और सीआरपीएफ के लोग काम करते हैं। जम्मू-कश्मीर के युवाओं को, माताओं को, बहनों को, जवानों को, उनके परिवारों को, बच्चों को। देखिए मैं हिंसा को समझता हूंमैंने हिंसा सही है, देखी है। जो हिंसा नहीं सहता, जिसने नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आएगी। जैसे मोदीजी हैं, शाह जी हैं। आरएसएस के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है। वह डरते हैं। हम चार दिन पैदल चले। मैं आपको गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकते।

राहुल गांधी ने कहा कि मैं 14 साल का था। स्कूल में पढ़ रहा था। टीचर आए, मुझसे पूछा कि राहुल तुम्हें प्रिंसिपल ने बुलाया है। मैं बदमाश था, मैंने सोचा कि मैंने शायद कोई शैतानी की है। मगर जब मैं चल रहा था, तो जिस टीचर ने मुझे बुलाया था, उसे देखकर मुझे कुछ अजीब सा हुआ। प्रिंसिपल ने मुझसे कहा कि राहुल तुम्हारे घर से फोन कॉल है। जब मैंने उसके शब्द सुने, तो पता लग गया कि कुछ गलत हो गया है। मेरे पैर कांपे और जैसे ही मैंने फोन कान पर लगाया तो मेरी मां के साथ एक औरत चिल्ला रही थी। राहुल, दादी को गोली मार दी, दादी को गोली मार दी। ये जो मैं कह रहा हूं ये बात पीएम को नहीं समझ आएगी, अमित शाह को समझ नहीं आएगी। डोभाल जी को समझ नहीं आएगी। ये बात कश्मीर के लोगों को समझ आएगी, सीआरपीएफ-सेना के लोगों को समझ आएगी।

कहा कि पुलवामा में जो हमारे सैनिक मरे, उनके घरों पर टेलीफोन आया होगा, उनके परिजनों को टेलीफोन आया होगा। जो हिंसा करवाता है, पीएम मोदी जी हैं, अमित शाह जी हैं, आरएसएस के लोग हैं, डोभाल जी हैं। ये दर्द को समझ नहीं सकते। पुलवामा के जो सैनिक हैं, उनके दिल में क्या हुआ था। मैं जानता हूं। जो यहां कश्मीर में मरते हैं, उनके दिल में क्या होता है, क्या लगता है। मैं और मेरी बहन समझते हैं।

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