शाहीन बनारसी
डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में चल रही “भारत जोड़ो यात्रा” का आज समापन हो गया। 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की यात्रा करने के बाद रविवार को समाप्त हुई कांग्रेस की मेगा “भारत जोड़ो यात्रा” का समापन समारोह आज श्रीनगर में हो गया। कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा ने काफी लम्बा सफ़र तय किया है। राहुल के साथ इस यात्रा में सफ़र तय कर रहे कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओ ने कदम से कदम मिलाये और हाथ थामे इस यात्रा के सफ़र को तय किया है। वो एक बहुत खुबसूरत सा कलाम है “मैं अकेले ही चला था जानिब-ए-मंजिल लोग मिलते गये और कारवां बनता गया।”
उसने लिखा कि मैं देख सकती हूं कि आपके घुटने में दर्द हो रहा है क्योंकि जब आप उस पैर पर दबाव डालते हैं, तो यह आपके चेहरे पर दिखता है। मैं आपके साथ नहीं चल सकती लेकिन मैं दिल से आपके साथ चल रही हूं क्योंकि मुझे पता है कि आप चल रहे हैं। मेरे और मेरे भविष्य के लिए। ठीक उसी क्षण, मेरा दर्द गायब हो गया। राहुल गांधी ने कहा कि पीड़ित महिलाएं मुझसे मिलकर रो रहीं थीं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि चार बच्चे मेरे पास आए, वे भिखारी थे और उनके पास कपड़े नहीं थे। मैंने उन्हें गले लगाया। वे ठंडे और कांप रहे थे। शायद उनके पास खाना नहीं था। मैंने सोचा कि अगर वे जैकेट या स्वेटर नहीं पहने हैं, मुझे भी वही नहीं पहनना चाहिए…। इसलिए बच्चों को देखकर मैंने जैकेट पहनना छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि कश्मीरियत को अपना घर मानता हूं।
राहुल गांधी ने कहा कि जो सेना के लोग यहां काम करते हैं, और सीआरपीएफ के लोग काम करते हैं। जम्मू-कश्मीर के युवाओं को, माताओं को, बहनों को, जवानों को, उनके परिवारों को, बच्चों को। देखिए मैं हिंसा को समझता हूं। मैंने हिंसा सही है, देखी है। जो हिंसा नहीं सहता, जिसने नहीं देखी है, उसे यह बात समझ नहीं आएगी। जैसे मोदीजी हैं, शाह जी हैं। आरएसएस के लोग हैं, उन्होंने हिंसा नहीं देखी है। वह डरते हैं। हम चार दिन पैदल चले। मैं आपको गारंटी देता हूं कि भाजपा का कोई नेता ऐसे नहीं चल सकते।
कहा कि पुलवामा में जो हमारे सैनिक मरे, उनके घरों पर टेलीफोन आया होगा, उनके परिजनों को टेलीफोन आया होगा। जो हिंसा करवाता है, पीएम मोदी जी हैं, अमित शाह जी हैं, आरएसएस के लोग हैं, डोभाल जी हैं। ये दर्द को समझ नहीं सकते। पुलवामा के जो सैनिक हैं, उनके दिल में क्या हुआ था। मैं जानता हूं। जो यहां कश्मीर में मरते हैं, उनके दिल में क्या होता है, क्या लगता है। मैं और मेरी बहन समझते हैं।
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