अतीक को उमेश पाल अपहरण मामले में हुई सजा, मगर प्रयागराज पुलिस अन्य अभियुक्तों पर 25 आर्म्स एक्ट और अशरफ पर 30 आर्म्स एक्ट भी अदालत में साबित नही कर पाई

तारिक़ आज़मी

प्रयागराज पुलिस फिलहाल जश्न इस बात का मना रही है कि वर्ष 2007 में दर्ज उमेश पाल अपहरण काण्ड में अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत खान को आजीवन कारावास की सज़ा अपनी प्रभावी पैरवी से दिलवाने में कामयाब रही। बेशक अतीक के खौफ पर एक तगड़ा प्रहार इस सजा के ज़रिये हुआ है। मगर इस जश्न का रंग फीका फीका सा कई सवालो के साथ नज़र आएगा।

भले वर्ष 2007 में दर्ज इस मामले में पुलिस ने अपनी प्रभावी पैरवी की बात कहकर खुद को इसका श्रेय प्रदान कर ले। मगर कई बड़े सवाल इस जश्न के माहोल को थोडा फीका करेगे। पुलिस ने इस मामले में अपनी विवेचना के दरमियान कई अन्य अभियुक्तों से असलहां बरामद किया था और उन पर 25 आर्म्स एक्ट के तहत कार्यवाही किया। साथ ही अशरफ के द्वारा अपना लाइसेंसी असलहा बरामद न करवाने और पुलिस को बार बार गुमराह करने के बाद पुलिस ने उसके ऊपर अन्य धाराओं के साथ 30 आर्म्स एक्ट में भी आरोप पत्र दाखिल किया था।

उमेश पाल अपहरण काण्ड में नामज़द अभियुक्तों जावेद, फरहान, एजाज इसरार, कासिफ, खालिद और आबिद को जहा अदालत ने दोषमुक्त करार दिया तो वही फरहान आदि पर लगे 25 आर्म्स एक्ट में भी उनको दोषमुक्त किया गया। यही नही अदालत ने अतीक के भाई अशरफ उर्फ़ अज़ीम को भी इस मामले में दोषमुक्त करार दिया और साथ ही उसके ऊपर लगे 30 आर्म्स एक्ट में भी उसको दोषमुक्त करार दिया। अब इससे पुलिस की पैरवी कितनी प्रभावी रही या फिर आरोपियों ने अपना पक्ष किस मजबूती से रखा, यह अदालत के आज आये फैसले से साफ दिखाई दे रहा है।

पुलिस अपनी फर्द और आरोप पत्र को अदालत में इन अभियुक्तों के खिलाफ साबित करने में असफल रही है। यहा तक कि जिन अभियुक्तों के पास से पुलिस ने अवैध असलहो की बरामदगी दिखाई वह भी अदालत में साबित नही हो पाया। उदहारण के तौर पर फरहान के पास से पुलिस ने 12 बोर का कट्टा और कारतूस की बरामदगी दिखाया था। मगर अदालत में पुलिस इस बरामदगी को भी साबित नही कर पाई। अशरफ जैसे बाहुबली के खिलाफ जिस आरोप पत्र में पुलिस ने 30 आर्म्स एक्ट के तहत आरोप लगाया वह भी अदालत की सुनवाई में फैसले तक नही पहुच सका और अदालत में साबित नही हो पाया।

साबित हुआ तो महज़ अतीक, दिनेश पासी और खान सौलत खान पर अपहरण, मारपीट और अपराधिक षड़यंत्र का मामला। बकिया बचे सभी आरोपी इस मामले में बरी हो गये। बात बेशक प्रयागराज पुलिस को सोचने वाली है कि जिन आधार पर फरहान और अशरफ की गिरफ़्तारी इस मामले में हुई, अशरफ की रिमांड 48 घंटे तक पुलिस ने लिया। उस आरोप को वह अपनी पैरवी से अदालत में साबित नही कर सकी। बेशक अदालत का इन्साफ सबूतों और गवाहों के मद्देनज़र होता है। अदालत ने सबूतों और गवाहों के मद्देनज़र अपना फैसला भी सुनाया। तो क्या पुलिस अपने आरोप पत्र पर इन सभी आरोपियों के मुखालिफ मजबूत पैरवी नही कर सकी।

अदालत के आज आये फैसले से उमेश पाल का परिवार खुश नही है। वह इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करेगे। वही दूसरी तरफ अदालत से आने वाले आज फैसले के पहले ही अतीक अहमद के अधिवक्ता ने साफ़ साफ़ मीडिया को बयान में कहा था कि हमारे मुखालिफ फैसला आने पर हम हाई कोर्ट जायेगे। कुल मिला कर अदालत का यह फैसला हाई कोर्ट जाता हुआ अभी तक दिखाई दे रहा है। इन अभियुक्तों में अतीक और अशरफ के अन्य कुछ मामलो में 4 अप्रैल की तारिख मुक़र्रर हुई है। सबकी निगाहें अब उन केस में अदालत के फैसलों पर टिकी हुई है।

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