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राहुल गांधी को नहीं मिली अवमानना केस में सत्र न्यायालय से राहत, सत्र न्यायधीश रोबिन मोगेरा ने किया रोक की अर्जी खारिज

तारिक़ खान

डेस्क: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात के सत्र न्यायालय ने अवमानन मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ रोक की याचिका को ख़ारिज कर दिया है। राहुल गाँधी को अप्रैल 2019 में करोल में आयोजित राजनीतिक रैली के दौरान टिप्पणी किया नीरव मोदी, ललित मोदी का ज़िक्र करते हुवे कहा था कि ‘सभी चोरों का नाम सरनेमा मोदी क्यों होता है’। जिसको लेकर भाजपा विधायक के द्वारा मानहानि का दावा करते हुवे सूरत की निचली अदालत में इसको पिछडो का अपमान बताया था।

जिस केस में बाद में खुद याचिका कर्ता ने स्टे ले लिया था। वर्ष 2023 में ‘हिडेनबर्ग’ रिपोर्ट के बाद अडानी पर हमलावर हुवे राहुल गांधी के खिलाफ इस केस में याचिकाकर्ता भाजपा विधायक द्वारा अपने लिए गए स्टे को वापस ले लिया था और फिर चंद दिनों बाद ही इस मामले में अदालत द्वारा इस धारा में अधिकतम सज़ा 2 साल की राहुल गाँधी को सुना दिया गया था। जिसके बाद महज़ 24 घंटे के अन्दर ही लोकसभा स्पीकर ओम बिडला ने उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दिया साथ ही एक दिन बाद ही उनको एलाट तुगलक रोड स्थित सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस जारी कर दिया।

निचली अदालत द्वारा दिए गए इस फैसले के खिलाफ राहुल गाँधी ने सत्र न्यायालय में याचिका दाखिल करके इस आदेश पर रोक की मांग किया था। सूरत के सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा ने 13 अप्रैल को गांधी और शिकायतकर्ता, भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस मामले में अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुवे याचिका ख़ारिज कर दिया और सजा पर रोक से मना करते हुवे कहा कि उनको (राहुल गाँधी) को अपनी भाषा पर संयम रखना चाहिए। अदालत ने जब फैसला सुनाया तब राहुल गांधी अदालत में मौजूद रहे। इससे पहले भी वह तीन बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। गांधी ने कहा कि जब उन्होंने प्रश्नगत बयान दिया तो उनकी ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी।

 

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