National

अतीक अशरफ मर्डर केस: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांगी स्टेटस रिपोर्ट, कहा दोनों पुलिस हिरासत में थे तो उन्हें एम्बुलेस से क्यों नही हॉस्पिटल के भीतर ले गए, सार्वजनिक परेड क्यों करवाया?

आदिल अहमद/ईदुल अमीन

डेस्क: अतीक-अशरफ हत्याकांड और यूपी में 2017 से हुए 183 एनकाउंटर की जांच की मांग के लिए वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख़ सवालात उत्तर प्रदेश सरकार से पूछे है। याचिका पर जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने आज सुनवाई की। बेंच ने केस की सुनवाई के दरमियान अतीक-अशरफ हत्याकांड में यूपी सरकार से “विस्तृत हलफनामा” दाखिल करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने अतीक अहमद के बेटे असद के एनकाउंटर पर रिपोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया है।

गौरतलब हो कि अतीक की हत्या से दो दिन पहले एक कथित एनकाउंटर में असद की मौत हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के दरमियान यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट की मांग की है। साथ ही कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि अतीक और उसका भाई अशरफ जब पुलिस हिरासत में थे, तो उन्हें एंबुलेंस में हॉस्पिटल के भीतर क्यों नहीं ले जाया गया और दोनों की सार्वजनिक रूप से परेड क्यों करवाई जा रही थी।

सुनवाई के दरमियान ‘हमने वीडियो फुटेज देखे हैं……। उन्हें हॉस्पिटल गेट तक एंबुलेंस में ले जाने के बदले पैदल क्यों ले जाया जा रहा था? हत्यारों को कैसे पता था कि दोनों भाइयों को मेडिकल के लिए मोतीलाल नेहरू डिविजनल हॉस्पिटल लाया जाएगा?’ इस मामले में यूपी सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने जवाब दिया कि पुलिस कस्टडी में होने के कारण हर दो दिन पर मेडिकल जांच जरूरी थी। रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि जांच में पता चला है कि हमलावर तीन दिन से रेकी कर रहे थे।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में स्वतंत्र जांच की मांग की। इस पर मुकुल रोहतगी ने बताया कि मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया है, सरकार ने इस पर तेजी से काम किया है। इस आयोग में दो रिटायर्ड जज हैं और राज्य के एक पूर्व डीजीपी हैं। मामले की जांच के लिए एक एसआईटी गठित की गई है। हालांकि याचिकाकर्ता ने जांच आयोग पर सवाल उठाया और कहा कि इसमें सरकार की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने के लिए यूपी सरकार को तीन हफ्ते का समय दिया।

कोर्ट ने विकास दुबे एनकाउंटर की जांच के लिए गठित जस्टिस (रिटायर्ड) बीएस चौहान की रिपोर्ट पर भी सरकार से सवाल किया। पूछा गया कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए हैं? जस्टिस चौहान आयोग ने जांच रिपोर्ट में सिफारिश की थी कि उन सरकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, जिन्होंने विकास दुबे की जांच से जुड़े कागजात गायब कर दिए।

pnn24.in

Recent Posts

आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा ‘भाजपा घबरा गई है और पीएम मोदी परेशान है’

तारिक खान डेस्क: आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने दावा किया है कि…

6 hours ago

बहुचर्चित आनलाइन महादेव सट्टा ऐप मामले में फिल्म अभिनेता साहिल खान गिरफ्तार

आदिल अहमद डेस्क: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित ऑनलाइन महादेव सट्टा ऐप मामले में मुंबई पुलिस ने…

6 hours ago

आरक्षण मुद्दे पर बोले अमित शाह ‘भाजपा की आरक्षण खत्म करने की कोई मंशा नही है’

आफताब फारुकी डेस्क: कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा भाजपा नेताओं के बयानों को आधार…

6 hours ago

भाजपा की तुलना तालिबान से करने पर बसपा के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद पर दर्ज हुई ऍफ़आईआर

शफी उस्मानी डेस्क: बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक आकाश आनंद पर उत्तर प्रदेश के…

6 hours ago