मरकज़ यौमुन्नबी कमेटी के जानिब से सजा रोज़ा इफ्तार का दस्तरख्वान, जुटे सैकड़ो रोज़ेदार

शाहीन बनारसी

वाराणसी: शहर-ए-बनारस की पुरानी तंजीमो में एक मरकज़ यौमुन्नबी कमेटी के जानिब से आज मरियम एजुकेशनल सोसाइटी में रोज़े इफ्तार का आवामी दस्तरख्वान सजा। इस मौके पर सैकड़ो रोजेदारो ने इस दस्तरख्वान पर इफ्तार किया।

बताते चले कि मरकज़ के जानिब से हर साल रोज़े इफ्तार का त’आम किया जाता रहा है। ये इफ्तार के दस्तरख्वान बतौर ‘दावत-ए-ताम’ (ऐसी दावत जिसमे लोगो को बुलाया जाता है) किया जाता था। मगर इस साल रोज़ा इफ्तार का दस्तरख्वान बतौर ‘दावत-ए-आम’ (सार्वजनिक दावत, जिसमे कोई भी आकर शिरकत कर सकता हो) किया गया। इस बार रोज़ा इफ्तार के दस्तरख्वान पर सैकड़ो रोजेदारो ने इफ्तार किया।

इस इफ्तार दस्तरख्वान के इन्तेजामात में खुसूसी तौर पर पूर्व मंत्री शकील अहमद ‘बब्लू’, हाजी महमूद, मो0 इमरान खान, शकील अहमद, रियाज़ ‘नूर’ ने खासी मशक्कत किया। दस्तरख्वान पर सैकड़ो रोजेदारो ने इफ्तार किया और बाद नमाज़-ए-मगरिब रब की बारगाह में मुल्क के अमनो चैन के लिए दुआ-ए-खुसूसी भी हुई।

हर एक रोजेदारो के लिए इफ्तार का भरपूर इंतज़ाम इस दस्तरखवाना पर था। सभी के शरबत और पानी की सबील के साथ साथ अन्य व्यंजनों के स्वाद और खुशबु फिजाओं में महकी हुई थी। इस मुक़द्दस मौके पर हाजी महमूद ने आने वाले सभी आम-ओ-ख़ास मेहमानों का इस्तकबाल इत्र से किया। एक बेहद दिलकश खुश्बू का इत्र सबको तकसीम किया गया।

इस मौके पर हमसे बात करते हुवे रियाज़ अहमद ‘नूर’ ने कहा कि इफ्तार के दस्तरख्वान में रब खुद बरकत देता है। हम सिर्फ रब की रज़ा के लिए इसका एतेमाम किये है। न मीडिया के कैमरों की चकाचौंध चाहिए न कोई तमगा, हमको तो सिर्फ रब्बुल आलमीन की रज़ा चाहिए।

हमसे बात करते हुवे पूर्व मंत्री शकील अहमद ‘बब्लू’ और हाजी महमूद ने बताया कि मरकज़ यौमुननबी कमेटी की तवारीख गवाह है कि जंग-ए-आज़ादी से लेकर आज तक हर आवामी मसायल पर मरकज़ ने खिदमत-ए-खल्क और खिदमत-ए-मुल्क में कोई कसर नही छोड़ी है।

उन्होंने कहा कि हमारे पुरखो ने 1947 से पहले इसी मरकज़ के ज़ेर-ए-नाम अंग्रेजो से लोहे लिए। जंग-ए-आज़ादी एक बाद तमाम मरकजो का रजिस्ट्रेशन वर्ष 1948 में हुआ। जिसके बाद से मरकज़ ने खिदमत-ए-खल्क और खिदमत-ए-मुल्क का का कोई भी मौका नही छोड़ा है।

उन्होंने बताया कि हमेशा से इफ्तार के दस्तरखान मरकज़ ने हर साल सजाये है। इस साल मरकज़ के दस्तरख्वान को और भी बड़ा किया गया है। नवजवानों ने बढचढ कर हिस्सा लिया। जिसमे तमाम नाम शुमार है। इंशा अल्लाह हमारी इस परंपरा को आने वाली नवजवान पीढ़ी बढाती ही रहेगी। इफ्तार करने एक बाद हुई नमाज़-ए-मगरिब में अल्लाह के हुजुर में मुल्क में अमन-ओ-चैन की दुआ किया गया है।

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