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पत्रकार मोहम्मद जुबैर के खिलाफ भड़काऊ आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा कार्यवाही न करने पर मिली हाई कोर्ट से जमकर फटकार

ईदुल अमीन

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते शुक्रवार (26 मई) को दिल्ली पुलिस से पूछा कि फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट पोस्ट करने वाले एक ट्विटर यूजर के खिलाफ उसने क्या कार्रवाई की है। जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है और कहा है कि शिकायत न होने पर भी पुलिस को स्वत: संज्ञान लेकर मामला दर्ज करना चाहिए।

समाचार वेबसाइट लाइव लॉ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि हाईकोर्ट ने पुलिस से छह सप्ताह के भीतर इस मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। हाईकोर्ट ने कहा, ‘आपने (दिल्ली पुलिस) उनके (जुबैर) बहुत उत्साहपूर्वक कार्रवाई की थी, लेकिन मामला अब समाप्त हो गया है, जैसा कि होना चाहिए था… क्योंकि कोई सबूत नहीं था, लेकिन आपने इस आदमी (ट्विटर यूजर) के खिलाफ क्या कार्रवाई की है?’ मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।

हाईकोर्ट ने जुबैर की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी, क्योंकि उन्होंने एक ट्विटर यूजर को जवाब दिया था, जिसने उन्हें गाली दी थी और उनके पेज पर सांप्रदायिक टिप्पणियां भी की थीं। जुबैर ने उस शख्स को जवाब दिया, जो ट्विटर पर डिस्प्ले पिक्चर के रूप में अपनी पोती के साथ अपनी तस्वीर का इस्तेमाल कर रहा था। अपने ट्वीट में जुबैर ने नाबालिग लड़की के चेहरे को धुंधला कर दिया था और लिखा था, ‘हैलो… क्या आपकी प्यारी पोती सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने के आपके अंशकालिक काम के बारे में जानती है? मैं आपको सुझाव देता हूं कि आप अपनी प्रोफ़ाइल पिक्चर बदल लें।’

इसके बाद इस ट्विटर यूजर ने कई एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें जुबैर पर उनकी पोती के साइबर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। जुबैर के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम की धारा 12 (एक बच्चे का यौन उत्पीड़न करने की सजा), भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 509बी (इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिये यौन उत्पीड़न) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने की सजा) और 67ए (यौन रूप से स्पष्ट कार्य वाली सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करने की सजा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

सितंबर 2020 में हुए इस मामले में जुबैर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया गया था। दिल्ली पुलिस ने मई 2022 में हाईकोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि उसने चार्जशीट में जुबैर का नाम नहीं लिया है, क्योंकि उसे उनके द्वारा पोस्ट किए गए ट्वीट में कोई अपराध नहीं मिला है। जिसके बाद हाल ही में मोहम्मद जुबैर ने शिकायत की थी कि उन्हें ऑनलाइन जान से मारने की धमकी मिली हैं और कूरियर के माध्यम से सूअर का मांस उनके घर भेजा गया था, जिसके बाद इसी मई महीने में बेंगलुरु पुलिस ने 16 ट्विटर हैंडल के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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