वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे: जाने कितनी है बंदिशें, और कितने है लब आज़ाद

शाहीन बनारसी

सच को सींचना और पत्रकारिता के मूल्यों की रक्षा करना पत्रकारिता का पहला धर्म है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। मीडिया अपना काम पूरी स्वतंत्रता और निष्पक्षता से कर पाए, इसके लिए यह सबसे जरुरी है कि पत्रकारिता पर कोई भी अंकुश न रहे। वैसे पत्रकारिता की आज़ादी के लिए कोई दिन मुक़र्रर नहीं है क्योकि पत्रकारिता को हमेशा स्वतन्त्र होना चाहिए। सच के साथ और तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता वह ताकत है जो एक अच्छे समाज और देश का निर्माण करने में सहायक होता है। बोलना व अपनी बात रखना हर किसी का अधिकार है। पूरी दुनिया में इस अधिकार यानी कि बोलने की आजादी को विशेष महत्व दिया जाता है और इसमें प्रेस का अहम रोल होता है।

बहरहाल, आज विश्व प्रेस स्वतन्त्र दिवस (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) मनाया जा रहा है। पत्रकार को लिखने और बोलने की आज़ादी हो और वो पूरी इमानदारी के साथ अपने काम को अंजाम दे सके, इसी उद्देश्य से दुनियाभर में 3 मई को वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे मनाया जाता है। आज हम 30वां वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे मना रहे हैं। 1991 में अफ्रीका में पहली बार इस मुहिम को छेड़ा गया। वहां के पत्रकारों ने प्रेस की आज़ादी के लिए आवाज़ उठाई। इन्होने 3 मई को ‘विंडहोक की घोषणा’ की थी जिसके अंतर्गत पत्रकारिता की आजादी के सिद्धांतो को लेकर बयान जारी किया गया था।

इसके दो साल बाद 1993 में यूनेस्कों की सिफारिश के बाद संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार इस दिन को मनानेका निर्णय लिया था और तबसे लेकर अब तक हर साल 3 मई को विंडहोक की घोषणा की वर्षगांठ को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल इस दिन को एक विशेष थीम पर मनाया जाता है। इस साल विश्व प्रेस दिवस 2023 की थीम है “अधिकारों के भविष्य को आकार देना: अन्य मानवाधिकारों के इंजन के रूप में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।” यूनेस्को के अनुसार, “इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित करने के संयुक्त राष्ट्र महासभा के निर्णय की 30वीं वर्षगांठ है।”

हालांकि हर देश में बोलने की कितनी आजादी यानी कि प्रेस को कितनी फ्रीडम है येपेरिस स्थित रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में स्पष्ट है। इसमें नॉर्वे टॉप पर है तो नार्थ कोरिया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है। इंडेक्स के अनुसार, भारत इस सर्वे में 180 देशों में आठ पायदान लुढ़ककर 150वें स्थान पर आ गया है। इसके पहले 2016 में यह 142वें नंबर पर था। वहीं रूस 155वें स्थान पर है। इस इंडेक्स में टॉप पर है नॉर्वे कंट्री नॉर्वे 92.65 के स्कोर के साथ वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2022 में सबसे ऊपर है। इसके अलावा 90.27 और 88.84 के वर्ल्ड स्कोर के साथ डेनमार्क और स्वीडन का नंबर है। नार्थ कोरिया सबसे खराब रैंक वाला देश वहीं उत्तर कोरिया 13.92 के स्कोर के साथ दुनिया में सबसे खराब रैंक वाला देश है।

लेखिका शाहीन बनारसी एक युवा पत्रकार है

इसके अलावा निचले पांच में अन्य देश म्यांमार, तुर्कमेनिस्तान, ईरान और इरिट्रिया शामिल हैं।चीन और पाकिस्तान की ये है पोजीशनभारत के अच्छे पड़ोसी देशों में गिने जाने वाले भूटान का 33वां नंबर है। चीन और पाकिस्तान दोनों भारत के प्रमुख पड़ोसी, 25.17 और 37.99 के कुल स्कोर संग इंडेक्स में नीचे हैं।वर्ल्ड रैंकिंग में चीन 175वें नंबर पर नेपाल वर्ल्ड रैंकिंग में 30 अंकों की बढ़त के साथ 76वें, पाकिस्तान 157वें, श्रीलंका 146वें, बांग्लादेश 162वें और म्यांमार 176वें नंबर पर है। इसके अलावा चीन 175वें नंबर पर है।

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