शाहीन बनारसी
कानपुर: औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर रही है नगरी कानपुर। बड़े फक्र से लोग कानपुरिया लोग कहते थे कि ‘नगरी है नगीना, आते लोग चार दिन को और रह जाते है महीना।’ मगर वक्त की रफ़्तार के साथ सब रफ़्तार पकड़ चुके है। शहर भागम भाग में है। सभी व्यस्त है। इतना व्यस्त है कि बेकनगंज थाने की पकड़ खुद सटोरियों पर ढीली पड़ गई है और खुल्लम खुल्ला हीरामनपूरवा में सटोरिया सट्टा सञ्चालन कर रहा है।
कल तक गरीबी में ज़िन्दगी बसर कर रहा सट्टा संचालक नदीम उर्फ नद्दू इस कारोबार में दिन दुनी, रात चौगुना कमाने का काम कर रहा है। वहीं नदीम नद्दू के पास सट्टा लगाने वाले सैकड़ो लोग शार्टकट के चक्कर मे अपने घर परिवार को भुखमरी की कगार पर छोड़कर दिन रात सट्टे में गाढ़ी कमाई को लगा रहे हैं। अब सवाल यह उठता है कि आखिर खुल्लम खुल्ला सट्टे का संचालन होने के बाद भी स्थानीय पुलिस कार्यवाही क्यों नही करती है, तो इसका जवाब हमारे पास नही है। वैसे नदीम ‘नद्दु’ की माने तो ‘आल इज वेल’ है। अब नद्दु की मानने को दिल कहे या न कहे, दिमाग ज़रूर कहता है क्योकि खुल्लमखुल्ला सट्टे का संचालन उसके बात को बल देता है।
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