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शिरोमणि अकाली दल ने विधि आयोग को UCC मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुवे लिखा ‘UCC देश के हित में नहीं है’

तारिक़ खान

नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने विधि आयोग को अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) ‘देश के हित में नहीं है’। पार्टी ने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि विवादास्पद मामले पर निर्णय लेते समय सिख समुदाय का ‘सम्मान’ किया जाए। एक समय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी रहे अकाली दल ने केंद्र सरकार से जानना चाहा कि जब अगस्त 2018 में 21वें विधि आयोग ने कहा था कि ‘यूसीसी इस समय न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है’, तो नए सिरे से कवायद शुरू करने की क्या जरूरत है।

पार्टी ने कहा, ‘2018 के बाद से ऐसा कुछ भी उल्लेखनीय नहीं हुआ है, जिसने भारत सरकार को नए सिरे से हितधारकों के विचार जानने के लिए विवश किया हो। पिछले आयोग ने कवायद पूरी कर ली थी और 2018 में इस मुद्दे पर एक विस्तृत परामर्श पत्र प्रस्तुत किया था। अब इस रिपोर्ट पर विचार किए बिना, एक नई कवायद शुरू की गई है जो अनुचित प्रतीत होती है।’

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार पार्टी ने विधि आयोग को बताया, ‘जहां तक सिख समुदाय का सवाल है, उनकी धार्मिक पहचान का सवाल, जिनमें उनके रीति-रिवाज और संस्कृति शामिल हैं, उनके लिए जीवन से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं। यह प्रदर्शित करने के लिए कि सिखों के लिए खालसा पहचान जीवन से भी ऊपर है, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों ने जीवन के बजाय शहादत को प्राथमिकता दी।’ इसमें कहा गया है कि पार्टी की राय पंजाब और उसके बाहर के हितधारकों के साथ किए गए व्यापक विचार-विमर्श पर आधारित है।

पार्टी ने तर्क दिया कि समान नागरिक संहिता का देश में विभिन्न समुदायों के ‘विविध रीति-रिवाजों, संस्कृति और विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों’ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसमें कहा गया है, ‘इस प्रकार यह अनावश्यक रूप से देश में अशांति और उपद्रव पैदा करेगा, खासकर कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में, जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत कुछ कानूनों से विशेष छूट प्राप्त है।’ लिखा है कि पंजाबियों को ‘सबसे अधिक देशभक्त समुदाय’ बताते हुए शिअद ने कहा कि इस मामले पर निर्णय लेते समय उनकी भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। कहा गया है, ‘यह उल्लेख करना जरूरी है कि आम तौर पर पंजाबियों ने और विशेष रूप से सिखों ने देश की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। बलिदान की यह परंपरा आज भी जारी है।’

अकाली दल नेता दलजीत एस चीमा ने एक वीडियो बयान के साथ ट्वीट किया था, ‘पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को अब पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल से कहना चाहिए कि वे यूसीसी पर पार्टी का रुख स्पष्ट रूप से बताएं और इस संवेदनशील मुद्दे पर ‘आप’ के दोहरे रवैये का अंत करें। यह चौंकाने वाला है कि ‘आप’ राज्यसभा में यूसीसी के पक्ष में मतदान करना चाहती है, जबकि भगवंत मान यह कहकर पंजाबियों को बेवकूफ बना रहे हैं कि पार्टी पंजाब में इसके खिलाफ है।’

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