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चुनावी बांड खरीदने वाली दूसरी सबसे बड़ी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज किया भ्रष्टाचार का मामला

तारिक़ आज़मी

डेस्क: चुनावी बॉन्ड खरीद मामले में दूसरा बड़ा नाम रही मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। ख़बरों के अनुसार, हाल ही में हुई सीबीआई कार्रवाई एक शिकायत के संबंध में है, जिसमें एनआईएसपी/एनएमडीसी के आठ अधिकारियों और मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों पर एमएनडीसी द्वारा मेघा इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रियल लिमिटेड को भुगतान के बदले रिश्वत लेने की बात कही गई है।

ज्ञात हो कि मेघा इंजीनियरिंग का नाम चुनावी बॉन्ड योजना में सामने आने के बाद से ही हैदराबाद स्थित ये कंपनी रडार पर है। खबरों से पता चलता है कि चुनावी बॉन्ड खरीदने के तुरंत बाद इस कंपनी को कई परियोजनाएं सौंपी गईं। एक विश्लेषण के अनुसार, मेघा इंजीनियरिंग को बॉन्ड खरीदने के समय 2019 से 2023 के बीच पांच प्रमुख परियोजनाएं मिलीं थी।

कंपनी द्वारा खरीदें कुल 966 करोड़ रुपये के बॉन्ड में से सबसे अधिक 584 करोड़ रुपये का चंदा भाजपा के पास गया। जबकि बीआरएस को 195 करोड़ रुपये, डीएमके को 85 करोड़ रुपये और वाईएसआरसीपी को 37 करोड़ रुपये का चंदा दिया गया। कंपनी से तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को करीब 25 करोड़ रुपये मिले, जबकि कांग्रेस को 17 करोड़ रुपये मिले। जनता दल (सेक्युलर), जन सेना पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) को 5 करोड़ रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक की राशि कंपनी की ओर से दी गई थी।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, एनएमडीसी आयरन एंड स्टील प्लांट और इस्पात मंत्रालय के आठ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई ने कथित भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई 315 करोड़ रुपये की परियोजना के अमल में हुई गड़बड़ियों को लेकर की गई है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि शनिवार को सार्वजनिक की गई एफआईआर के अनुसार, सीबीआई ने 10 अगस्त, 2023 को एकीकृत इस्पात संयंत्र जगदलपुर में इनटेक वेल और पंप हाउस और क्रॉस-कंट्री पाइपलाइन के कार्यों से संबंधित 315 करोड़ रुपये की परियोजना में कथित रिश्वत देने मामले में प्रारंभिक जांच शुरू की थी। यह परियोजना मेघा इंजीनियरिंग को सौंपी गई थी।

प्रारंभिक जांच के निष्कर्षों के आधार पर, 18 मार्च को कथित रिश्वत मामले में एक नियमित मामला दर्ज करने की सिफारिश की गई थी जो 31 मार्च को दायर की गई। सीबीआई ने एनआईएसपी और एनएमडीसी लिमिटेड के आठ अधिकारियों- सेवानिवृत्त कार्यकारी निदेशक प्रशांत दास, निदेशक (उत्पादन) डीके मोहंती, डीजीएम पीके भुइयां, डीएम नरेश बाबू, वरिष्ठ प्रबंधक सुब्रो बनर्जी, सेवानिवृत्त सीजीएम (वित्त) एल कृष्ण मोहन, महाप्रबंधक (वित्त) के राजशेखर, प्रबंधक (वित्त) सोमनाथ घोष को नामजद किया है। इन पर कथित तौर पर 73।85 लाख रुपये रिश्वत लेने का आरोप है।

केंद्रीय एजेंसी ने मेकॉन लिमिटेड के दो अधिकारियों, असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कॉन्ट्रैक्ट्स) संजीव सहाय और डिप्टी जनरल मैनेजर (कॉन्ट्रैक्ट्स) के इलावरसु को भी नामजद किया है। इन पर कथित तौर पर 174।41 करोड़ रुपये के भुगतान के बदले 5।01 लाख रुपये लेने का आरोप है। ये भुगतान सुभाष चंद्र संगरा, महाप्रबंधक, एमईआईएल, मेघा इंजीनियरिंग और अन्य अज्ञात लागों को 73 बिलों (चालान) के जरिये किया गया था। चंद्रा और मेघा इंजीनियरिंग को भी मामले में आरोपी बनाया गया है।

गौरतलब है कि मेघा इंजीनियरिंग के कार्यक्षेत्र में सिंचाई, जल प्रबंधन, बिजली, हाइड्रोकार्बन, परिवहन, भवन और औद्योगिक बुनियादी ढांचे की परियोजनाएं शामिल हैं। वेबसाइट यह भी बताती है कि कंपनी केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) में अग्रणी रही है और वर्तमान में देश भर के 18 से अधिक राज्यों में परियोजनाएं चला रही है। इंटरनेट पर कंपनी के बारे में खोजबीन करने से पता चलता है कि कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं इसकी झोली में गई हैं, जिनमें सितंबर में मंगोलिया में 5,400 करोड़ रुपये का क्रूड ऑइल प्रोजेक्ट (मंगोल रिफाइनरी दोनों सरकारों के बीच की एक पहल है), मई में कुल 14,400 करोड़ रुपये की बोली के लिए मुंबई में ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल परियोजना के निर्माण के लिए दो अलग-अलग पैकेज और जून में अपनी कंपनी आईकॉम (IComm) के लिए रक्षा मंत्रालय से 500 करोड़ रुपये का ऑर्डर शामिल है।

इसकी वेबसाइट के अनुसार, कंपनी जम्मू कश्मीर में ज़ोजिला सुरंग पर भी काम कर रही है। वेबसाइट पर और भी कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का उल्लेख है जिनमें मुख्य तौर पर चारधाम रेल सुरंग, विजयवाड़ा बाईपास की छह लेन, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, महाराष्ट्र समृद्धि महामार्ग, सोलापुर – कुरनूल – चेन्नई आर्थिक गलियारा जैसी प्रमुख परियोजनाएं शामिल हैं। इसी समूह की वेस्टर्न यूपी पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने भी चुनावी बॉन्ड में 220 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जो सबसे बड़े चंदादाताओं की सूची में सातवें पायदान पर है। हिंदू बिजनेसलाइन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 अक्टूबर 2019 को आयकर विभाग ने हैदराबाद में समूह के कार्यालयों का ‘निरीक्षण’ किया था। हालांकि, कंपनी ने एक बयान में इस बात से इनकार किया था कि यह कोई छापा या तलाशी थी और इसे ‘नियमित निरीक्षण’ बताया था।

जनवरी 2024 में डेक्कन क्रॉनिकल ने अपनी एक रिपोर्ट में कैग की ऑडिट रिपोर्ट का जिक्र किया था, जिसमें मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ तेलंगाना की एक प्रमुख सिंचाई परियोजना ‘कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना (केएलआईएस)’ में किए गए काम को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे, कहा गया था कि कंपनी ने हजारों करोड़ रुपये के सरकारी धन का गबन किया। डेक्कन क्रॉनिकल ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा केएलआईएस पर ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी को केवल चार पैकेजों में 5,188।43 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया गया था। कंपनी को तत्कालीन भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार का संरक्षण प्राप्त होने की बात कही जाती है।

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