अनुराग पाण्डेय
डेस्क: इलेक्ट्रोल बांड को लेकर रोज़ रोज़ नए खुलासे होते जा रहे है। कई ऐसी कंपनियों के नाम सामने आ रहे है जिन पर केंद्रीय जाँच एजेंसियों की कार्यवाही के बाद उन्होंने इलेक्ट्रोल बांड खरीदे। आम आदमी पार्टी लगातार दावा कर रही है कि कथित शराब घोटाले के सरकारी गवाह ने अपनी गिरफ़्तारी के ठीक 5 दिन बाद इलेक्ट्रोल बांड खरीदे थे जिसे भाजपा ने भुनाया।
द हिंदू का दावा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड देने वाली इन 33 कंपनियों को 2016-17 से 2022-23 के बीच कोई मुनाफा नहीं हुआ है। खबर के मुताबिक इन 33 कंपनियों को एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ था। ख़बर के मुताबिक़ इस डेटा से इस बात का संकेत मिलता है कि ये कंपनियां यो तो किसी दूसरी कंपनियों के लिए मुखौटे का काम कर रही थी या फिर इन्होंने अपने लाभ और घाटे की सही से जानकारी नहीं दी है, जिससे मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना बढ़ गई है। गौरतलब है कि 2017-2018 और 2022-2023 के बीच बेचे गए 12,008 करोड़ रुपये के कुल चुनावी बॉन्ड में से भाजपा को लगभग 55% या 6,564 करोड़ रुपये मिले हैं।
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